जब आप यूएपीए, अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए बनाया गया केंद्र सरकार का मुख्य कानून. इसे अक्सर अवैध गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम कहा जाता है, यह पुलिस को विस्तृत कार्रवाई का अधिकार देता है और संविधानिक अधिकार पर महत्वपूर्ण असर डालता है। इस अधिनियम का उद्देश्य आतंकवादी समूहों को सीमित करना, राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना और आपराधिक गतिविधियों को कड़ी सज़ा देना है। इस पेज में यूएपीए से जुड़ी सभी ताज़ा खबरों और विश्लेषण को पढ़ेंगे।
पहला घटक है आतंकवादी समूह की परिभाषा – अधिनियम में समूह को वही माना जाता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा बनाता है। दूसरा घटक है पुलिस जांच का विस्तार, जिसमें बिना वारंट की तलाशी, अटकाने की अवधि बढ़ाना और सम्पत्ति जब्त करने की शक्ति शामिल है। तीसरा महत्वपूर्ण पहलू है न्यायिक प्रक्रिया से जुड़ी सुरक्षा, जहाँ विशेष ट्रिब्यूनल और कोर्ट के आदेश तेज़ी से लागू होते हैं। इन तीनों तत्वों का परस्पर संबंध यूएपीए को एक सशक्त, मगर विवादित, प्रावधान बनाता है। अक्सर आलोचक कहते हैं कि यह कानून नागरिकों की मौलिक स्वतंत्रताओं को कमज़ोर कर सकता है, जबकि समर्थक मानते हैं कि यह देश की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।
इन मुद्दों को समझते हुए, इस टैग पेज में हमने विभिन्न पहलुओं को कवर किया है – चाहे वह हाल ही में जारी हुए संशोधन हों, हाई‑प्रोफ़ाइल मामलों की रिपोर्टिंग हो, या न्यायालय के फैसले जो यूएपीए के उपयोग को परिभाषित करते हैं। आप यहाँ पढ़ेंगे कैसे अदालतें यूएपीए की धारा 17 पर टिप्पणी करती हैं, पुलिस ने कौन‑सी नई तकनीकें अपनाई हैं, और नागरिकों ने किन कानूनी उपायों से अपना बचाव किया। आगे आने वाले लेखों में आप विभिन्न केस स्टडी, विशेषज्ञ राय और सरकारी बयान का विस्तृत विश्लेषण पाएँगे, जिससे आपके पास इस जटिल कानून को समझने के लिए पर्याप्त जानकारी होगी।
जेल में बंद जमीं‑और‑कश्मीर के विद्रोही यासिन मालिक ने दिल्ली हाई कोर्ट के अफ़िडेविट में दावे किये कि 2006 में हाफ़िज़ सईद से मुलाक़ात के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनका धन्यवाद किया। वह दावा करते हैं कि यह मुलाक़ात भारतीय इंटेलिजेंस के निर्देश पर हुई थी। दावे ने बंधु‑भाई को राजनीति में गर्मा‑गरम चर्चा को जन्म दिया, जहाँ BJP ने UPA सरकार के सुरक्षा निर्णयों को सवालों के घेरे में लाया और कांग्रेस ने विपक्षी पक्ष के समान कदमों को उजागर किया। इस मामले को लेकर NIA ने अब तक की सज़ा को मौत की सज़ा तक बढ़ाने की अपील दायर की है।