दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों में अभी तक कभी नहीं देखा गया एक दोहरा मौसमी खतरा छाया हुआ है। भारतीय मौसम विभाग ने तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश और अंडमान-निकोबार द्वीप के लिए चेतावनी जारी कर दी है, क्योंकि दो अलग-अलग चक्रवात — सेन्यार और दित्वाह — एक साथ बढ़ रहे हैं। ये दोनों तूफान एक दूसरे के प्रभाव को बढ़ा रहे हैं, और आने वाले दिनों में ये बारिश और हवाओं का एक ऐसा तूफान ला सकते हैं जिसका असर लाखों लोगों के जीवन पर पड़ेगा।
दो चक्रवात, एक खतरा
सेन्यार, जिसका नाम संयुक्त अरब अमीरात ने दिया है (अर्थ: शेर), इंडोनेशिया के उत्तर-पूर्वी तट के ऊपर बन रहा है। इसकी गति अभी धीमी है, लेकिन यह 48 घंटे में दक्षिण-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी में तेज होकर एक शक्तिशाली चक्रवात बन सकता है। वहीं, एक अलग चक्रवात — दित्वाह — बंगाल की खाड़ी में तेजी से विकसित हो रहा है। यह श्रीलंका के तट से गुजरकर 30 नवंबर की सुबह तमिलनाडु के उत्तरी और आंध्र प्रदेश के दक्षिणी तटों को छूने की उम्मीद है।
यहाँ तक कि जब सेन्यार कमजोर हो रहा है, तो दित्वाह तेज हो रहा है। इसका मतलब यह है कि दक्षिण भारत के लिए एक चक्रवात की जगह दो चक्रवातों का दबाव है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दोहरा प्रभाव बारिश के बादलों को एक साथ जमा कर रहा है — जैसे दो नदियाँ एक ही घाटी में बह रही हों।
बारिश और हवाओं का असर
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, 26 से 27 नवंबर तक अंडमान-निकोबार में बहुत भारी बारिश होगी — कुछ जगहों पर घंटे में 10 से 15 सेमी बारिश की संभावना है। इसके बाद 28 से 1 दिसंबर तक तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में भी भारी से अति भारी बारिश की चेतावनी है।
हवाएं 35-55 किमी/घंटा की रफ्तार से चल रही हैं, लेकिन कुछ अनुमानों के अनुसार, बंगाल की खाड़ी के केंद्रीय हिस्से में ये 100 किमी/घंटा तक पहुँच सकती हैं। यह बात निश्चित है: मछुआरे अभी दक्षिण-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी में नहीं जा सकते — 25 नवंबर तक। और दक्षिणी बंगाल की खाड़ी में तब तक नहीं जा सकते जब तक 28 नवंबर न हो जाए।
उत्तर और दक्षिण में विपरीत मौसम
यहाँ एक अजीब और खतरनाक विपरीतता देखने को मिल रही है। जबकि दक्षिण भारत में तूफान और बारिश की लहर आ रही है, उत्तर भारत में शीतल विक्षेप (western disturbances) सक्रिय हो गए हैं। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पंजाब में अब बर्फीली ठंड, कोहरा और ओस जैसी स्थितियाँ बन रही हैं।
इसका मतलब यह है कि भारत एक ही समय में दो अलग धरती पर रह रहा है — एक तरफ दक्षिण में बारिश की गड़गड़ाहट, दूसरी तरफ उत्तर में बर्फीली चुप्पी। यह द्वैत अभी तक कभी नहीं देखा गया था।
दक्षिण बंगाल की सर्दियाँ टाल दी गईं
यहाँ एक अनपढ़ बात है: दक्षिण बंगाल और कोलकाता में सर्दियों का आगमन अभी टाल दिया गया है। क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र अलीपुर के वैज्ञानिकों का कहना है कि सेन्यार के बादल और उसकी गर्म हवाएं शीतल वायु के प्रवाह को रोक रही हैं। इसलिए, जिन लोगों को अक्टूबर के अंत में ठंड की शुरुआत की उम्मीद थी, उन्हें अब अगले हफ्ते तक इंतजार करना पड़ सकता है।
क्या अगला कदम?
अब तक का एकमात्र आश्वासन यह है कि भारतीय मौसम विभाग लगातार अपडेट दे रहा है। अगले 72 घंटों में जो भी बदलाव होगा, वह निर्णायक होगा। राज्य सरकारें आपातकालीन टीमों को तैनात कर रही हैं। तमिलनाडु में शहरी निगमों ने बाढ़ के लिए अस्पतालों और शरणार्थी केंद्रों की तैयारी शुरू कर दी है।
समस्या यह है कि दो चक्रवातों के बीच अभी तक कोई स्पष्ट रास्ता नहीं बना है। क्या दित्वाह सेन्यार को धकेल देगा? क्या दोनों एक साथ टकराएंगे? या क्या एक दूसरे को निगल जाएगा? वैज्ञानिक अभी भी इन प्रश्नों के जवाब ढूंढ रहे हैं।
क्यों यह खतरा अब बढ़ गया?
पिछले 10 सालों में बंगाल की खाड़ी में चक्रवातों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2020 में यहाँ केवल दो चक्रवात बने थे। 2023 में चार। और अब 2025 में, अक्टूबर में मोथा आया, अब नवंबर में सेन्यार और दित्वाह। यह एक नमूना है — जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, और इसके नतीजे में चक्रवात अधिक तीव्र और अक्सर बन रहे हैं।
मौसम विज्ञान के एक पूर्व वैज्ञानिक ने कहा, "हम पहले एक चक्रवात के बारे में चिंतित होते थे। अब हम दो चक्रवातों के बीच बचने की तैयारी कर रहे हैं। यह नया नियम हो गया है।"
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सेन्यार और दित्वाह एक साथ क्यों बन रहे हैं?
जलवायु परिवर्तन के कारण बंगाल की खाड़ी का पानी पिछले 15 सालों में 1.5°C गर्म हो चुका है। यह तापमान चक्रवात बनने के लिए आदर्श है। इसके अलावा, अब दो अलग वायुमंडलीय प्रणालियाँ — एक इंडोनेशिया से, दूसरी मलेशिया से — एक साथ बंगाल की खाड़ी में प्रवेश कर रही हैं। यह एक दुर्लभ घटना है, लेकिन अब यह नियम बन रहा है।
मछुआरों को क्या करना चाहिए?
भारतीय मौसम विभाग ने 25 नवंबर तक दक्षिण-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी और 28 नवंबर तक दक्षिणी बंगाल की खाड़ी में मछली पकड़ने की सख्त अनुमति नहीं दी है। अगर कोई मछुआरा फंस जाए, तो बचाव टीमों के लिए भी जोखिम बढ़ जाता है। अब तक 12 जहाजों को बंदरगाहों में बुलाया जा चुका है।
क्या अंडमान-निकोबार में बाढ़ हो सकती है?
हाँ, बहुत अधिक संभावना है। अंडमान-निकोबार के 80% क्षेत्र तटीय हैं, और 26-27 नवंबर को घंटे में 10-15 सेमी बारिश की भविष्यवाणी है। इससे नदियाँ बाढ़ से भर जाएंगी। राज्य सरकार ने द्वीपों के 17 गाँवों को खाली करने का आदेश दे दिया है।
क्या यह दक्षिण भारत की फसलों को नुकसान पहुँचाएगा?
हाँ, बहुत ज्यादा। तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में अभी गेहूं और सरसों की फसलें उग रही हैं। भारी बारिश और तूफानी हवाएँ इन फसलों को नष्ट कर सकती हैं। कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार, अगर बारिश लगातार रही, तो लगभग 3,200 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
उत्तर भारत की ठंड क्यों नहीं आ रही?
दक्षिण भारत में चक्रवात के कारण उत्तरी हवाओं का प्रवाह बाधित हो रहा है। जब बंगाल की खाड़ी में गर्म हवाएँ ऊपर उठती हैं, तो वे उत्तर की ओर बहने वाली ठंडी हवाओं को रोक देती हैं। इसलिए, कोलकाता और बिहार में सर्दियाँ अभी आईं ही नहीं।
क्या भविष्य में ऐसी दोहरी चेतावनियाँ आम हो जाएंगी?
हाँ। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले 20 वर्षों में बंगाल की खाड़ी में हर साल कम से कम दो चक्रवात बनने की संभावना है। जलवायु परिवर्तन ने यह नियम बदल दिया है। अब हमें एक चक्रवात के लिए तैयार नहीं, बल्कि दो चक्रवातों के लिए तैयार होना होगा।