रेपो दर वह दर है जिस पर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है। जब बैंकों को ज्यादा नकदी चाहिए होती है, तो वे RBI से कर्ज लेकर व्यापार जारी रखते हैं। RBI रेपो दर बदलकर अर्थव्यवस्था में पैसे की आपूर्ति और महँगाई को नियंत्रित करता है।
सीधी भाषा में: अगर रेपो दर बढ़ेगी तो बैंक महँगा कर्ज लेंगे और उन्होंने कर्ज़ देने की दरें भी बढ़ा दींगी। रेपो घटे तो कर्ज सस्ता होने की संभावना बढ़ जाती है।
लोन लेने वाले: होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दर अक्सर रेपो के साथ जुड़ी रहती है। रेपो बढ़ने पर floating‑rate लोन की EMI बढ़ सकती है। अगर आपने फिक्स्ड रेट लिया है तो बदलाव का असर तुरंत नहीं होगा।
बचत और जमाएं: रेपो घटे तो बैंक ब्याज घटा सकते हैं, जिसका असर FD और बचत पर पड़ता है। बचत पर मिलने वाली असल बढ़त बजट और महँगाई पर निर्भर करती है।
बिजनेस और निवेश: कंपनियों के उधार लेने की लागत बढ़े या घटेगी, जिससे उनकी विस्तार योजना प्रभावित होती है। बॉण्ड मार्केट में रेट बढ़ने पर मौजूदा बॉण्ड्स का भाव गिरता है, जबकि इक्विटी पर असर मिली‑झुली होता है।
अगर रेपो बढ़ रहा है:
अगर रेपो घट रहा है:
कुछ और काम की बातें: रिज़र्व बैंक की घोषणा के बाद बैंक दर तुरंत बदल नहींतीं—ट्रांसमिशन टाइम लगता है। बैंक की बेस‑रेट, MCLR या एक्सटर्नल बेंचमार्क भी देखें, क्योंकि दरें उन्हीं के आधार पर तय होती हैं।
अंत में, अपनी वित्तीय स्थिति पर नज़र रखें: नौकरी में गारंटी हो तो रिस्क लें, वरना सुरक्षित विकल्प चुनें। बड़े फैसले लेने से पहले बैंक ऑफर और बाजार की स्थिति दोनों की तुलना कर लें।
इस पेज पर रेपो और ब्याज दरों से जुड़ी खबरें व सरल सलाह मिलती रहेगी। यदि आपकी सिचुएशन स्पेशल है तो अपने बैंक या वित्तीय सलाहकार से बात कर लें।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आज अपनी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के परिणामों की घोषणा करेगा। मुंबई में बुधवार से शुरू हुई यह बैठक यह तय करेगी कि रेपो दर में बदलाव होगा या नहीं। वर्तमान में 6.50% पर स्थित रेपो दर को फरवरी 2023 में 25 बेसिस पॉइंट्स से बढ़ाया गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार दर में कोई बदलाव नहीं होगा।