क्या आप पुरानी कार खरीदने के बारे में सोच रहे हैं? पुरानी या क्लासिक कार सस्ते दाम और अलग पहचान देती हैं, पर सही निर्णय के लिए जानकार होना जरूरी है। यहां सीधे, उपयोगी और व्यावहारिक तरीके दिए जा रहे हैं ताकि आप फैसला समझदारी से ले सकें।
किसी भी पुरानी कार को घर ले जाने से पहले ये बातें ज़रूर जांचें। ये छोटे-छोटे निरीक्षण बड़े खर्च और झंझट से बचाते हैं।
अगर आप खुद न समझें तो किसी भरोसेमंद मैकेनिक से प्री-पर्चेज इंस्पेक्शन करवा लें। खर्च कुछ हजार का होगा, पर यह बचत और सुरक्षा दोनों देता है।
कागजी कार्रवाई सही होनी चाहिए — RC, फिटनेस सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस, pollution प्रमाणपत्र और रिस्टोरेशन/रिपेयर की रसीदें। हस्तांतरण में स्मार्ट बनें: विरोधी दावों और पुराने लोन का क्लियर रिकॉर्ड मांगें।
मूल्य तय करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें: मॉडल की मांग, पुर्ज़ों की उपलब्धता, रस्ट लेवल, और सर्विस हिस्ट्री। कम रस्ट और पूरी सर्विस हिस्ट्री वाली कार पर थोड़ा प्रीमियम दें—आगे खर्च कम होगा।
वार्तालाप में सवाल सीधे और स्पष्ट रखें। "इंजन कब ओवरऑहल हुआ?" या "किस वजह से बेचना चाहते हैं?" जैसे सवाल बेइंतहा मदद करते हैं। नकदी में छूट मिल सकती है, पर रिसीट जरूर लें।
रख-रखाव और छोटे रेस्टोरेशन के लिए नियमित देखभाल अपनाएँ: समय पर ऑइल बदलवाएँ, गीयर व क्लच एडजस्ट रखें और जंग रोकने के लिए नीचे की पट्टी पर एंटी-रस्ट ट्रीटमेंट करवाएँ। अगर क्लासिक मॉडल है तो ओरिजिनल स्पेयर पार्ट्स के बजाय अच्छी क्वालिटी रिप्लेसमेंट चुनें।
अंत में, पुरानी कार खरीदना भावनात्मक भी हो सकता है—पर पैसे की समझ रखिए। सही निरीक्षण, स्पष्ट दस्तावेज और थोड़ी तकनीकी जानकारी आपको संतोषजनक खरीद और लंबा मज़ा देगी। सोच-समझ कर कदम रखें और जहाँ जरूरत हो पेशेवर मदद लें।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई 55वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में सभी पुरानी वाहनों की बिक्री पर 18% यूनिफॉर्म जीएसटी दर लागू करने की मंजूरी दी गई। इस निर्णय का उद्देश्य कराधान में एकरूपता लाना है, लेकिन इससे परिवहन की वहनीयता प्रभावित हो सकती है, खासकर मध्यवर्गीय भारतीयों के लिए। व्यापारिक पुनर्विक्रय पर लागू यह नया नियम उद्योग को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।