जीएसटी की नई नीतियां और पुरानी कारों पर असर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित 55वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इस बैठक के दौरान पुरानी और पहले से इस्तेमाल की गई वाहनों की बिक्री पर 18% जीएसटी लागू करने की मंजूरी दी गई। इसका प्रमुख उद्देश्य कराधान में एकरूपता लाना है, लेकिन यह निर्णय काफी विवादास्पद रहा है क्योंकि इसका संभावित कई सामाजिक और आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं।
जीएसटी दर में इस बदलाव के पीछे का तर्क यह है कि इससे विभिन्न क्षेत्रों में कर भारियता समान होगी और परिवहन के क्षेत्र में नियमन की प्रक्रिया में सादगी आएगी। इससे पहले कुछ वाहनों पर कर की दर 12% थी, जबकि बड़े वाहनों और एसयूवी पर 18% थी। इस बदलाव के बाद, सभी पुरानी कारों पर एक समान 18% जीएसटी लागू होगा। हालांकि, यह देखा गया है कि इसके नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं, खासकर उन मध्य वर्ग के लोगों पर जो परिवहन के लिए पुरानी कारों पर निर्भर हैं।
व्यापारिक पुनर्विक्रय और जीएसटी दर
यह नया जीएसटी नियम केवल उन व्यवसायों पर लागू होता है जो वाहनों के पुनर्विक्रय में संलग्न होते हैं। यह व्यक्तिगत विक्रेताओं पर लागू नहीं होता है। व्यापारिक पुनर्विक्रय के मामले में जीएसटी उस मार्जिन पर लगाया जाता है जो कि क्रय मूल्य और बिकने वाली कीमत के घटित मूल्य के अंतर का प्रतिनिधित्व करता है।
एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि यदि किसी कारोबार के लिए मार्जिन नकारात्मक होता है, यानी अगर बिकने की कीमत खरीद के घटित मूल्य से कम होती है, तो किसी भी प्रकार का जीएसटी भुगतान आवश्यक नहीं है। हालांकि, इस नई दर से व्यापारियों के लिए एक अतिरिक्त बोझ खड़ा हो सकता है। विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि इससे सेकंड हैंड कार बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
मध्यवर्ग पर संभावित असर
कारोबारी जगत को यह डर सता रहा है कि जीएसटी में इस वृद्धि से पुरानी कारों का बाजार प्रभावित हो सकता है। इससे उद्योग के लिए ग्रे मार्केट का खतरा बढ़ सकता है, जैसा कि वर्तमान में 42% पुरानी कारें अनौपचारिक चैनलों के माध्यम से खरीदी-बेची जा रही हैं। कई उद्योग विशेषज्ञ मानते हैं कि नए नियम लागू होने के बाद अधिक पुरानी कारें ग्रे मार्केट का हिस्सा बन सकती हैं क्योंकि लोग कर से बचने की कोशिश कर सकते हैं।
व्यक्तिगत उपयोग के लिए पुरानी कार खरीदने या बेचने वाले व्यक्तियों पर यह बढ़ी हुई दर लागू नहीं होती है। यह निर्णय मुख्य रूप से व्यवसायिक पुनर्विक्रय को लक्षित करता है। वित्त मंत्रालय इस बारे में स्पष्ट कर चुका है कि जीएसटी केवल विक्रेता के मार्जिन मूल्य पर ही लागू होता है, न कि वाहन के संपूर्ण मूल्य पर।
इस नियम के लागू होने के बाद, केवल पंजीकृत संस्थाएं, जैसे कि कार डीलरशिप और जीएसटी पंजीकरण वाले व्यवसाय, ही पुरानी कारों के पुनर्विक्रय पर जीएसटी देने के लिए जिम्मेदार होंगे। इस निर्णय के बाद लंबे समय के लिए देखा जाना बाकी है कि क्या यह सच में उद्योग के लिए लाभकारी होगा या फिर इससे उद्योग को अन्य प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।