पॉलिटेक्निक में प्रवेश लेना है तो सबसे पहले नोटिफिकेशन पर नजर रखें। आमतौर पर राज्य-स्तर पर CET/POLYCET और कुछ संस्थानों में राष्ट्रीय या संस्थागत परीक्षा होती हैं। आपकी तैयारी और आवेदन का समय ठीक से प्लान करें—आवेदन खुलने, एडमिट कार्ड और काउंसलिंग की तिथियाँ अक्सर अलग-अलग रहती हैं।
योग्यता क्या चाहिए? आमतौर पर 10वीं पास छात्र इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल, सिविल जैसे डिप्लोमा कोर्स के लिए पात्र होते हैं। 12वीं विज्ञान या ITI धारक कई राज्यों में सीधे दूसरे वर्ष (लैटरल एंट्री) में दाखिला ले सकते हैं। उम्र सीमा और विशेष न्यूनतम अंकों के नियम राज्य और कॉलेज के हिसाब से बदलते हैं, इसलिए आधिकारिक विज्ञापन पढ़ना जरूरी है।
1) आधिकारिक पोर्टल पर अकाउंट बनाएं और सही दस्तावेज स्कैन रखें — 10वीं/12वीं मार्कशीट, जन्मतिथि प्रमाण, पहचान, पासपोर्ट साइज फोटो और हस्ताक्षर।
2) आवेदन फॉर्म ध्यान से भरें: नाम, पिता का नाम, श्रेणी, राष्ट्रीयता व पता। गलती होने पर सुधार विंडो में ठीक कर लें।
3) दस्तावेज़ अपलोड करते समय फॉर्मेट और साइज की शर्तें पढ़ें—कई बार फोटो या सिग्नेचर होने से आवेदन रद्द हो सकता है।
4) आवेदन शुल्क ऑनलाइन चेक/UPI/गेटवे से भरें और पेमेंट रसीद सुरक्षित रखें।
5) एडमिट कार्ड डाउनलोड कर लें और परीक्षा केंद्र व समय की जानकारी नोट कर लें।
परीक्षा में सामान्यतः गणित, विज्ञान (भौतिक-विज्ञान/रसायन), और सामान्य ज्ञान/सामान्य इंजीनियरिंग विषय होते हैं। पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र हल करें और टाइम-टेबल बनाकर प्रैक्टिस करें। छोटे-छोटे फॉर्मूले और इकाइयों का नोटबंद रखें—परीक्षा में ये काम आ जाते हैं।
प्रैक्टिकल टिप्स: हर दिन कम-से-कम एक मॉडल पेपर समयबद्ध तरीके से हल करें; कमजोर विषय पर उस दिन का अतिरिक्त समय दें; गलतियों की सूची बनाकर उसे दोहराते रहें। अगर तेज़ रिवीजन चाहिए तो 30-40 दिनों के शेड्यूल में सिलेबस को हिस्सों में बांट लें।
काउंसलिंग की प्रक्रिया में सीट मैट्रिक्स, दस्तावेज़ सत्यापन और विकल्प भरना होता है। जब काउंसलिंग शुरू हो, तो डॉक्यूमेंट्स की मूल प्रति साथ रखें और पहले पसंद की सूची बुद्धिमानी से बनाएं—फर्स्ट चॉइस पर जल्दी भरना बेहतर होता है।
आम गलतियां जो बचनी चाहिए: आंकड़ों में गलती, फोटो/सिग्नेचर गलत साइज में अपलोड करना, रसीद का बैकअप नहीं रखना, और काउंसलिंग में देर से पहुंचना। इन छोटी-छोटी गलतियों से सीट गंवाने का जोखिम रहता है।
फीस और स्कॉलरशिप: सरकारी महाविद्यालयों में फीस अक्सर कम रहती है, जबकि प्राइवेट कॉलेज में ज्यादा। छात्रवृत्तियाँ राज्य-सरकार या केंद्र की योजना के तहत मिल सकती हैं—आवेदन से पहले पात्रता चेक कर लें।
यदि आप जल्दी रजिस्टर कर लेंगे और नियमित प्रैक्टिस रखेंगे तो एडमिशन संभल जाएगा। कोई भी संदेह हो तो आधिकारिक नोटिफिकेशन और कॉलेज/बोर्ड के helpline नंबर से पक्के उत्तर लें। सफलता के लिए योजनाबद्ध तैयारी और सही दस्तावेज सबसे बड़ी कुंजी हैं।