जब बात मनमोहन सिंह, 2004‑2009 में भारत के प्रधान मंत्री, जिन्होंने आर्थिक उदारीकरण, सूचना‑प्रौद्योगिकी, और विदेश नीति को नई दिशा दी. Also known as श्री मो.सिंह, इस चरण में भारत ने जीडीपी में तेज़ी, विदेशी निवेश में वृद्धि, और सामाजिक सुधार देखे।
वो समय जिसमें भारतीय राजनीति, देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और पार्टी प्रणाली पर उनका प्रभाव स्पष्ट था। मनमोहन सिंह ने केंद्र‑राज्य संबंधों को दृढ़ किया, जिससे राज्य स्तर पर विकास योजनाओं का कार्यान्वयन तेज़ हुआ। साथ ही आर्थिक नीति, उदारीकरण, कर सुधार, और बुनियादी ढांचे में निवेश पर केंद्रित ने विदेशी निवेश को आकर्षित किया और विश्व बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धा बढ़ी। ये दो मुख्य तत्व आपस में जुड़े हुए थे: आर्थिक नीति ने राजनीति को स्थिर किया और राजनीति ने नीति को कार्यान्वित करने के लिए मंच तैयार किया।
मनमोहन सिंह की सरकार ने कई प्रमुख योजनाएँ चलायीं। जीएनआर (जनसंख्या अधारित राष्ट्रीय लाभ) योजना ने निर्धन वर्ग को लाभ पहुंचाया, जबकि प्रौद्योगिकी‑उन्मुख पहल जैसे "डिजिटल इंडिया" के पूर्ववर्ती कार्यक्रमों ने सूचना‑संचार में क्रांति लाई। विदेशी नीति में, उन्होंने "नॉर्थ‑ईस्ट कॉरिडोर" जैसी परियोजनाओं को प्रोत्साहित किया, जिससे भारत‑चीन‑आधारित व्यापार मार्ग विस्तारित हुआ। यह विदेश नीति, दुर्लभ साझेदारी, रणनीतिक गठबंधन और द्विपक्षीय समझौते को मजबूत करने का प्रमाण है।
शिक्षा सुधार में भी उनका योगदान उल्लेखनीय था। हाई‑एडुकेशन में निजी निवेश को बढ़ावा दिया गया, जिससे नई विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों की स्थापना हुई। इससे भारत की युवा शक्ति को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिली। इस प्रकार शिक्षा सुधार, आर्थिक नीति, और विदेश नीति एक‑दूसरे को पूरक बनते हुए राष्ट्रीय विकास को तेज़ किया।
इन सभी पहलों ने "परस्पर निर्भरता" का एक मजबूत ताना‑बाना बुनाया। आर्थिक स्थिरता ने राजनीति में विश्वास बढ़ाया, जिससे सरकार को दीर्घकालिक योजनाएँ लागू करने का अवसर मिला। विदेश संबंधों में सुधार ने नई बाजारों को खोला, जो फिर आर्थिक वृद्धि की नई राहें खोल गया। शिक्षा में निवेश ने जनशक्ति को तैयार किया, जो नीति‑निर्माण को समर्थन देती है। यही परस्पर प्रभावी त्रिकोण मनमोहन सिंह के कार्यकाल की पहचान बनता है।
अब आप नीचे उन लेखों की एक सूची देखेंगे जो इन विषयों – राजनीति, आर्थिक सुधार, विदेश नीति, तथा सामाजिक बदलाव – को विस्तार से कवर करती हैं। चाहे आप नीति विश्लेषक हों, छात्र हों, या सामान्य पाठक, इस संग्रह में आपको मनमोहन सिंह की दृष्टि और उनके समकालीन प्रभाव के कई पहलू मिलेंगे। आगे पढ़ते हुए इन विविध पहलुओं से जुड़ी गहरी समझ प्राप्त करेंगे।
जेल में बंद जमीं‑और‑कश्मीर के विद्रोही यासिन मालिक ने दिल्ली हाई कोर्ट के अफ़िडेविट में दावे किये कि 2006 में हाफ़िज़ सईद से मुलाक़ात के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनका धन्यवाद किया। वह दावा करते हैं कि यह मुलाक़ात भारतीय इंटेलिजेंस के निर्देश पर हुई थी। दावे ने बंधु‑भाई को राजनीति में गर्मा‑गरम चर्चा को जन्म दिया, जहाँ BJP ने UPA सरकार के सुरक्षा निर्णयों को सवालों के घेरे में लाया और कांग्रेस ने विपक्षी पक्ष के समान कदमों को उजागर किया। इस मामले को लेकर NIA ने अब तक की सज़ा को मौत की सज़ा तक बढ़ाने की अपील दायर की है।