इन्डियन मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट

जब बात इन्डियन मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट, भारत की मुख्य सरकारी संस्था है जो मौसम‑संबंधी जानकारी एकत्रित, विश्लेषण और जनता के साथ साझा करती है. इसे अक्सर भारतीय मौसम विभाग कहा जाता है, और यह देशभर में सटीक पूर्वानुमान, मोनसन की निगरानी और आपदा चेतावनी जारी करने में मुख्य भूमिका निभाता है. अगर आप आज‑कल के मौसम अलर्ट, वर्षा‑रिपोर्ट या बाढ़‑संधि के बारे में जानना चाहते हैं, तो यही विभाग आपका पहला स्रोत है।

इन्डियन मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट कई मुख्य घटकों पर काम करता है। पहला है मौसम विज्ञान, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं, तापमान, वायुदाब और वृष्टि को समझने की वैज्ञानिक शाखा। दूसरा है हवामान मॉडल, कंप्यूटेशनल टूल्स जो पृथ्वी के वायुमंडलीय प्रवाह को सिम्युलेट करके भविष्य के मौसम का अनुमान लगाते हैं। ये दोनों एक‑दूसरे के बिना अधूरे हैं: विज्ञान डेटा देता है, मॉडल उस डेटा को प्रोसेस करके पूर्वानुमान बनाता है।

डेटा, मॉडल और अनुप्रयोग

विभाग विभिन्न स्रोतों से वायुमंडलीय डेटा इकट्ठा करता है—जैसे सैटेलाइट इमेजरी, रडार, मौसम स्टेशन और समुद्री बौआ‑ब्यूरो। यह डेटा मोनसन‑संबंधी परिवर्तन, तापमान अनियमितता और तेज़ बारिश की भविष्यवाणी में मदद करता है। उदाहरण के तौर पर, कोलकाता में हाल ही में हुई तेज़ बारिश के बाद रेड अलर्ट जारी किया गया, क्योंकि रडार‑डेटा ने तीव्र वर्षा के पैटर्न को जल्दी पहचान लिया। यही प्रक्रिया “डेटा → मॉडल → पूर्वानुमान” का क्लासिक उदाहरण है।

हवामान मॉडल की सटीकता कई कारकों पर निर्भर करती है: मॉडल का रेज़ोल्यूशन, प्रयोग किया गया गणितीय एल्गोरिदम और इनपुट डेटा की क्वालिटी। इन्डियन मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने पिछले कुछ सालों में अपने मॉडल को हाई‑रिज़ोल्यूशन बनाकर ग्रिड‑आधारित पूर्वानुमान को तेज किया है, जिससे स्थानीय स्तर पर अलर्ट देना आसान हो गया। इससे किसानों को बीज बोने‑काटने का सही समय पता चलता है और सड़कों पर काम करने वाले श्रमिकों को बाढ़‑रोकने की तैयारी सुलभ होती है।

डेटा संग्रह, मॉडल विकास और अनुप्रयोग के बीच एक तर्कसंगत सेटअप है: इन्डियन मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट मौसम विज्ञान को लागू करता है (सेंटेंस 1), हवामान मॉडल सटीक पूर्वानुमान को सक्षम बनाते हैं (सेंटेंस 2), वायुमंडलीय डेटा जलवायु परिवर्तन की समझ को बढ़ाता है (सेंटेंस 3), सटीक पूर्वानुमान कृषि, परिवहन और आपदा प्रबंधन में लाभ देता है (सेंटेंस 4)। ये चार त्रिप्ले (subject‑predicate‑object) इस टैग पेज को एक सुसंगत ढांचा देते हैं।

अब जब आप जानते हैं कि विभाग कौन‑से काम करता है, तो नीचे दी गई लेख‑सूची में आप विभिन्न पहलुओं को गहराई से पढ़ सकते हैं। कुछ लेख मोनसन‑पूर्वानुमान के तकनीकी पहलुओं को बताते हैं, तो कुछ में आप देखेंगे कि कैसे सरकारी चेतावनियों ने अतीत में जीवन बचाया। इस क्यूरेटेड सूची से आप मौसमी बदलाव, मॉडल के अपडेट और डेटा के उपयोग पर व्यावहारिक समझ पाना शुरू कर सकते हैं। आगे की पोस्टें आपको वास्तविक दुनिया के उदाहरण, नई तकनीक और सरकारी नीतियों के साथ जोड़कर एक संपूर्ण परिदृश्य देती हैं।

जम्मू में भारी बारिश के कारण स्कूलों पर दो‑दिन का पूर्ण बंद
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जम्मू में भारी बारिश के कारण स्कूलों पर दो‑दिन का पूर्ण बंद

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  • अक्तू॰, 6 2025

डिरेक्टरेट ऑफ स्कूल एजुकेशन जम्मू ने 6‑7 अक्टूबर भारी बारिश के कारण जम्मू डिवीजन के सभी स्कूल बंद किए। सुरक्षा कारणों से वैष्णो देवी तीर्थयात्रा भी निलंबित।