जम्मू में भारी बारिश के कारण स्कूलों पर दो‑दिन का पूर्ण बंद

समाचार जम्मू में भारी बारिश के कारण स्कूलों पर दो‑दिन का पूर्ण बंद

जब डॉ. नसीम जावेद चौधरी (JKAS), डिरेक्टरेट ऑफ स्कूल एजुकेशन जम्मू (DSEJ) के निदेशक, ने 5 अक्टूबर 2025 को एक आधिकारिक आदेश जारी किया, तो पूरे जम्मू डिवीजन में सभी सरकारी तथा निजी स्कूलों को स्कूल बंद कर दिया गया। यह कदम इन्डियन मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) के भारी बारिश के चेतावनी के जवाब में लिया गया, जिसने 6‑10‑2025 (सोमवार) और 7‑10‑2025 (मंगलवार) दो दिनों तक लगातार तेज़ वर्षा की भविष्यवाणी की थी।

बंद स्कूलों की घोषणा और उसका कारण

आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि "सभी सरकारी और निजी स्कूल जम्मू डिवीजन में 06‑10‑2025 (सोमवार) और 07‑10‑2025 (मंगलवार) को बंद रहेंगे।" DSEJ ने यह कदम छात्रों और कर्मचारियों की सुरक्षा को देखते हुए उठाया। IMD की रिपोर्ट ने जम्मू के कई जिलों में भारी से अत्यधिक बारिश का संकेत दिया, जिससे जलभराव, सड़कों पर गड़बड़ी और संभावित बाढ़‑भूस्खलन की चिंता बढ़ गई।

इंडियन मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने बताया कि यह वर्षा शाम 5 अक्टूबर से लेकर 7 अक्टूबर तक लगातार चलने की संभावना है, जबकि पहाड़ी इलाकों में जलवंछन (लैंडस्लाइड) का जोखिम भी उच्च है। स्थानीय प्रशासन ने पहले से ही आपातकालीन प्रबंधन टीमों को तत्पर रखा है, ताकि किसी भी आपदा स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके।

वायश्णो देवी मंदिर पर प्रभाव

स्कूल बंद के साथ ही श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने भी 5‑10 से 7‑10 अक्टूबर तक वैष्णो देवी तीर्थयात्रा को अस्थायी रूप से रोक दिया है। बोर्ड ने यात्रियों से अनुरोध किया है कि वे इस अवधि में अनावश्यक यात्रा न करें, खासकर निचले और पहाड़ी क्षेत्रों में जहाँ बाढ़‑भूस्खलन का खतरा अधिक है।

यह निर्णय एक व्यापक सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है, जिसमें स्थानीय पुलिस, डाकघर और हेलीकॉप्टर रेस्क्यू दल भी शामिल हैं। बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा कि "पहाड़ों की नमी और तेज़ बारिश के कारण राहगीरों की सुरक्षा सर्वोपरि है, इसलिए हम इस समय यात्रा को रोक रहे हैं।"

भारी बारिश के संभावित खतरे और स्थानीय प्रतिक्रिया

IMD की चेतावनी के अनुसार, नीचे दिए गये मुख्य बिंदुओं पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है:

  • जलभराव की संभावना: कई निचले क्षेत्रों में नालों का जल स्तर बढ़ सकता है, जिससे गली‑गली में जल रुकावटें हो सकती हैं।
  • भूस्खलन: जम्मू के पहाड़ी इलाकों में बारिश के साथ मिट्टी की स्थिरता घटती है, जिससे अचानक ढीली मिट्टी के ढेर गिरने की आशंका रहती है।
  • सड़क एवं परिवहन बाधाएँ: बाढ़ के कारण कई मुख्य सड़कों पर बाधा उत्पन्न हो सकती है, जिससे आपातकालीन सेवाओं का प्रावधान प्रभावित हो सकता है।

जिला स्तर पर, सड़कों की सफाई, पुलों की जांच और आपातकालीन शरणस्थलों की तैयारी की जा रही है। डिसास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटीज (DMA) ने नागरिकों से कहा है कि वे उच्च सतह वाले क्षेत्रों में रहने वालों के साथ सतर्क रहें और आवश्यक सामग्री का संग्रह पहले से कर लें।

नेपाली मौसमी आपदा का ब्योरा

जम्मू के साथ ही पड़ोसी नेपाल भी इस महीने में भारी वर्षा से ग्रसित हो रहा है। नेपाल के कोशी प्रांत में 52 मौतें और 29 तीव्र चोटें दर्ज की गई हैं। इलाॅम जिला में अकेले 37 मौतें हुईं, जबकि अन्य जिलों में कुल मिलाकर 12 और मृत्युदंड हुए।

नेपाली आर्म्ड पुलिस फोर्स ने बताया कि सात लोग अभी भी लापता हैं, और 17 लोग घायल हैं। यह आपदा बिम्बई बे से आने वाले मॉन्सून हवाओं के कारण हुई, जो हिमालयी रिज़रवॉर में भारी वर्षा का कारण बन रही है। इस कारण नेपाल के कई गाँवों में सड़कें और पुल टूट चुके हैं, जिससे बचाव कार्य कठिन हो रहा है।

जम्मू में मौसम विभाग ने नेपाल की स्थिति को भी ध्यान में रखकर चेतावनी जारी की है, क्योंकि दो देशों के बीच जलसंकट की संभावनाएँ बढ़ रही हैं।

आगे क्या कदम उठाए जाएंगे?

आगे क्या कदम उठाए जाएंगे?

DSEJ ने स्पष्ट किया है कि मौसम के आधार पर स्कूलों को पुनः खोलने का निर्णय लिया जाएगा। यदि 8 अक्टूबर के बाद स्थिति सुधरती है, तो सामान्य शैक्षणिक गतिविधियाँ फिर से शुरू की जा सकती हैं। साथ ही, शैक्षणिक बोर्ड ने छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा के विकल्प प्रदान करने की संभावना जताई है, ताकि पढ़ाई में कोई अंतर न आए।

वहीं, स्थानीय प्रशासन ने आपातकालीन राहत सामग्री तैयार रखी है, और किसी भी एम्बेडेड आपदा के मामले में तुरंत डिसास्टर रेस्पॉन्स टीम को भेजा जाएगा। नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे निरंतर आधिकारिक घोषणाओं पर नज़र रखें और सोशल मीडिया पर अफवाहों से दूर रहें।

समुदाय की प्रतिक्रिया और अनुभव

जम्मू के कई माता‑पिता ने इस कदम की सराहना की, जबकि कुछ ने बच्चों की पढ़ाई पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंता व्यक्त की। स्थानीय व्यापारी ने कहा, "अगर लोग घर में रहेंगे तो छोटे‑मोटे व्यापार को भी झटका लग सकता है, पर सुरक्षा पहले आती है।"

डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से कई शिक्षक ऑनलाइन क्लासेस शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। एक अनुभवी शिक्षक ने कहा, "हमें अब तकनीकी सहायता की जरूरत है, ताकि हम छात्रों को दूरस्थ शिक्षा प्रदान कर सकें।"

Frequently Asked Questions

स्कूल बंद होने से छात्रों की पढ़ाई पर क्या असर पड़ेगा?

अधिकांश स्कूल अब ऑनलाइन कक्षाएँ आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। DSEJ ने डिजिटल शिक्षण उपकरणों व प्रशिक्षण की व्यवस्था करने का वादा किया है, जिससे पढ़ाई में कोई बड़ा अंतर न आए।

भारी बारिश के कारण किस प्रकार की आपातकालीन सेवाएँ उपलब्ध होंगी?

डिसास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटीज (DMA) ने प्रत्यक्षीकरण टीम, हेलीकॉप्टर रेस्क्यू, और मोबाइल मेडिकल यूनिट्स को तैयार रखा है। वे तुरंत प्रभावित क्षेत्रों में पहुँच कर बचाव कार्य करेंगे।

श्री माता वैष्णो देवी तीर्थयात्रा क्यों निलंबित की गई?

भारी वर्षा के कारण पहाड़ी रास्ते फिसलन भरे हो सकते हैं, जिससे यात्रियों की सुरक्षा जोखिम में पड़ जाती है। इसलिए बोर्ड ने 5‑10 से 7‑10 अक्टूबर तक पूरी यात्रा को रोक दिया है।

नेपाल में इस वर्षा से हुई आपदा के बारे में क्या जानकारी उपलब्ध है?

कोशी प्रांत में कुल 52 मौतें, 29 घायल और 7 लापता व्यक्तियों की रिपोर्ट आई है। इलाॅम जिला में सबसे अधिक मृत्युदंड (37) दर्ज हुए, जबकि अन्य जिलों में मिलाकर 12 और मौतें हुईं।

स्कूल फिर कब सामान्य रूप से खुलेगे?

जम्मू डिवीजन के अधिकारी स्थानीय मौसम की स्थिति के आधार पर निर्णय लेंगे। यदि 8 अक्टूबर के बाद बारिश में कमी आती है, तो स्कूलों को क्रमिक रूप से पुनः खोलने की संभावना है।

1 Comment

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    gaganpreet singh

    अक्तूबर 6, 2025 AT 00:04

    समाज के प्रत्येक सदस्य को यह समझना चाहिए कि सरकारी आदेशों का उल्लंघन करना केवल व्यक्तिगत असुविधा नहीं, बल्कि सामूहिक सुरक्षा के प्रति सतही रवैया है। इस प्रकार के भारी वर्षा के समय स्कूलों को बंद करके बच्चों और शिक्षकों की रक्षा करना अनिवार्य है, क्योंकि जीवन का मूल अधिकार ही सुरक्षा है। यदि हम इस आदेश को नज़रअंदाज़ कर बारिश में भीड़भाड़ वाले स्कूल परिसर में प्रवेश कराते हैं, तो इसे लापरवाही कहा जा सकता है। लापरवाही का परिणाम अक्सर अनिवार्य रूप से बड़े पैमाने पर दुर्घटना में बदल जाता है, जो न केवल जीवन को खतरे में डालता है बल्कि सामाजिक व्यवस्था को भी हिला सकता है। इस क्षण में हमें यह याद रखना चाहिए कि हर एक कदम, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, व्यापक प्रभाव डालता है। सरकारी निर्देशों के प्रति अनुशासन और नागरिकों की जिम्मेदारी को समझना आवश्यक है। प्रकृति की शक्ति को कम करके नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि हिमालयी क्षेत्रों में जलसंकट की स्थिति पहले से ही तनावपूर्ण है। दूसरी ओर, वैष्णो देवी जैसी पवित्र तीर्थस्थलों को भी बंद करना दर्शाता है कि प्रशासन सभी पक्षों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है। इस निर्णय को व्यक्तिगत असुविधा के रूप में देखना पागलपन है, क्योंकि दीर्घकालिक लक्ष्य सुरक्षा है। हमें सामुदायिक सहयोग की भावना को जगाना चाहिए, ताकि आपदा प्रबंधन में सभी मिलकर कार्य कर सकें। यह स्पष्ट है कि विद्यालय बंद होना केवल एक संकेत है, असली काम तो राहत कार्यों की तत्परता में है। जलभराव, भूस्खलन और सड़क बाधाओं को लेकर स्थानीय प्रशासन ने पहले से योजना बनाई हुई है, जो एक सकारात्मक कदम है। इस प्रकार की तैयारियों के बिना कोई भी आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रभावी नहीं हो सकती। इसलिए, हम सभी को सलाह दी जाती है कि आधिकारिक घोषणाओं पर नज़र रखें और अफवाहों से दूर रहें। अंत में, यह कहा जा सकता है कि इस तरह की प्रकौशिक स्थितियों में अनुशासन और सहयोग ही हमारे बचाव का मूलमंत्र है।

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