ग्रीन ट्रांजिशन का मतलब है ऊर्जा, परिवहन और उद्योग को साफ़ और कम प्रदूषक तरीकों पर बदलना ताकि कार्बन उत्सर्जन घटे और जीवन बेहतर बने। यह सिर्फ पर्यावरण की बात नहीं है, बल्कि नई नौकरियों, सस्ती ऊर्जा और स्वच्छ हवा देने का रास्ता भी है।
सरकार ने 2030 तक ऊर्जा का बड़ा हिस्सा नॉन-फॉसिल सोर्स से लाने और 2070 तक नेट-जीरो लक्ष्यों की घोषणा की है। इस लक्ष्य के लिए सोलर-पार्क, विंड फार्म, और ग्रिड अपडेट पर निवेश तेज़ हुआ है। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और बैटरी निर्माण पर भी कई प्रोत्साहन मिल रहे हैं।
असल में ग्रीन ट्रांजिशन के चार प्रमुख स्तम्भ हैं: ऊर्जा उत्पादन, ऊर्जा बचत (कार्यक्षमता), स्वच्छ परिवहन और औद्योगिक प्रक्रिया में बदलाव। हर स्तम्भ में छोटे और बड़े स्तर पर कदम उठाये जा सकते हैं। एक औद्योगिक संयंत्र में ऊर्जा एफिशिएंसी सुधारना जितना असर रखता है, उतना ही घरों में सोलर छत लगाने से भी होता है।
पहला: किफायती ऊर्जा—सोलर और विंड की लागत घट रही है, जिससे बिजली सस्ती होती जा रही है। दूसरा: स्वास्थ्य लाभ—कम प्रदूषण से फेफड़ों और हृदय की बीमारियां घटती हैं। तीसरा: रोजगार—री-एनर्जी और इको-टेक में नई नौकरियाँ बन रही हैं। चौथा: ऊर्जा सुरक्षा—अंततः आयात पर निर्भरता कम होती है।
घर पर क्या कर सकते हैं? छत पर सोलर लगाने से बिजली का बिल घटता है। ऊर्जा बचाने वाले बल्ब और एलईडी का इस्तेमाल करें। पानी गरम करने के लिए सोलर हीटर पर विचार करें। यात्रा में छोटे लिए सार्वजनिक परिवहन और साइकिल अपनाएं, और जब संभव हो तो EV चुनें।
बिजनेस के लिए कदम साफ हैं—ऊर्जा ऑडिट कराएं, ऊर्जा कुशल मशीनरी अपनाएं, और आपूर्ति श्रृंखला में ग्रीन सर्टिफिकेट रखें। छोटे उद्योग सरकारी सब्सिडी और प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
कॉर्पोरेट रूप से ग्रीन फाइनेंस और हरे बॉन्ड से प्रोजेक्ट फंड कराना आसान हुआ है। शहरों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और सार्वजनिक परिवहन में निवेश ग्रीन ट्रांजिशन को तेज करते हैं।
कठिनाइयाँ भी हैं: निवेश की जरूरत, पुराने को बदलने का खर्च और तकनीकी क्षमता। मगर सही नीति, प्रशिक्षण और फाइनेंसिंग मॉडल से ये चुनौतियाँ पार की जा सकती हैं।
अगर आप अभी शुरू करना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने ऊर्जा उपयोग का आंकलन करें, छोटे बदलावों से शुरुआत करें और उपलब्ध सरकारी योजनाओं की जानकारी लें। छोटे कदम मिलकर बड़ा फर्क करते हैं।
स्टार्ट करने के आसान तरीके हैं। पहले अपने बिजली बिल देखें और सबसे बड़े उपयोग वाले उपकरण पहचानें। धीमी गति के पंखे और पुराने फ्रिज बदलना छोटा लेकिन असरदार कदम है। सोलर लोन और सब्सिडी के विकल्प जांचें। काम पर रिमोट वर्क, शिफ्टिंग और कार पूल से परिवहन खर्च और उत्सर्जन दोनों घटते हैं। छोटे व्यवसाय सोलर-रूफटॉप, ऊर्जा प्रबंधन सॉफ्टवेयर और ऊर्जा बचत उपायों से लागत घटा सकते हैं। स्थायी आदतें बनाने में समय लगता है, पर हर महीने बचत और साफ हवा का फायदा साफ दिखेगा।
स्थानीय समुदाय में जुड़ें, जानकारी बाँटें और मिलकर छोटे ग्रीन प्रोजेक्ट लेकर आएं। स्थानीय फंडिंग जुटाएँ।
भारत में ग्रीन ट्रांजिशन का दौर ऊर्जा बदलाव और आर्थिक विकास के लिए बड़ी चुनौती के साथ-साथ नया अवसर भी है। इसके तहत इलेक्ट्रिक वाहन, ग्रीन हाइड्रोजन और औद्योगिक आधुनिकीकरण जरूरी हैं। इस बदलाव के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग, फंडिंग सपोर्ट और सही नीतियों की दरकार है।