ग्रीन एक्सप्रेसवे: भारत का हरा हाईवे

When working with ग्रीन एक्सप्रेसवे, पर्यावरण‑मित्र उच्च‑गति मार्ग जो ट्रैफ़िक को सुगम बनाते हुए कार्बन फुटप्रिंट घटाते हैं. Also known as पर्यावरण‑सुरक्षित राजमार्ग, it शहरों को जोड़ते हुए हरित corridors स्थापित करता है. इस दिशा में भारत कई प्रोजेक्ट्स चला रहा है, जहाँ सड़कों के किनारे पेड़ लगाए जाते हैं और सौर पैनल लगाकर ऊर्जा उत्पादन किया जाता है. इस मॉडल से न सिर्फ वायु गुणवत्ता सुधरती है, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी छाया और स्वच्छ हवा मिलती है.

एक मजबूत सतत विकास, आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लक्ष्यों का संतुलित मिश्रण बिना ग्रीन एक्सप्रेसवे के संभव नहीं। जब राजमार्ग पर नवीनीकृत ऊर्जा का उपयोग होता है, तो जलवायु लक्ष्य तेज़ी से पहुंचते हैं. भारत में कई एक्सप्रेसवे पर सौर पैनल और पवन टर्बाइन स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे पूरा सड़कों का पावर ग्रिड ग्रीन बन रहा है. इसके अलावा, जल संरक्षण के लिए हाईवे के नीचे ड्रेनेज सिस्टम लगाया जाता है, जो बारिश के पानी को जलाशयों में जमा करता है.

इलेक्ट्रिक वाहन (इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी‑पावर्ड मोटर वाहनों का वर्ग) की बढ़ती लोकप्रियता ग्रीन एक्सप्रेसवे की उपयोगिता को बढ़ाती है. चार्जिंग स्टेशन सीधे हाईवे के किनारे बिंदु‑से‑बिंदु स्थापित किए जाते हैं, तो ड्राइवर लम्बी दूरी बिना बैटरी खत्म हुए तय कर सकते हैं. यह सुविधा न केवल समय बचाती है, बल्कि पेट्रोल‑डिज़ल की खपत भी घटाती है. कई राज्य अब रीयल‑टाइम चार्जिंग मॉनिटरिंग ऐप भी दे रहे हैं, जिससे ड्राइवर को बैटरी लेवल का सटीक डेटा मिलता है.

नवीनीकृत ऊर्जा (नवीनीकृत ऊर्जा, सूर्य, पवन, जल आदि से उत्पन्न ऊर्जा) ग्रीन एक्सप्रेसवे को शक्ति देती है। सौर पैनल से मिलने वाली बिजली को चार्जिंग पॉइंट्स, लाइटिंग और संचार सिस्टम को चलाने में इस्तेमाल किया जाता है, जिससे राजमार्ग की संचालन लागत घटती है और CO₂ उत्सर्जन भी कम होता है. कई प्रोजेक्ट में बायो‑मास प्लांट्स को भी एकीकृत किया गया है, जिससे स्थानीय किसानों को अतिरिक्त आय मिलती है. इस ऊर्जा को ग्रिड में फीड‑इन करने पर अतिरिक्त राजस्व भी उत्पन्न होता है.

ग्रीन एक्सप्रेसवे के साथ जुड़े प्रमुख पहल

सड़कें, रेल और हवाई परिवहन के बीच एक व्यवस्थित कनेक्शन बनाकर ग्रीन एक्सप्रेसवे राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स को भी सस्टेनेबल बनाता है. जब माल ढुलाई के लिए इलेक्ट्रिक ट्रक और हाइब्रिड रेल का उपयोग किया जाता है, तो कुल उत्सर्जन में उल्लेखनीय गिरावट आती है. यह पहल न केवल पर्यावरण को संरक्षित करती है, बल्कि आर्थिक दक्षता भी बढ़ाती है क्योंकि ईंधन लागत कम होती है. कंपनियां अब इस मॉडल को अपनाकर अपने कार्बन लक्ष्यों को जल्दी हासिल कर रही हैं.

समुदायों के लिए ग्रीन एक्सप्रेसवे कई सामाजिक लाभ लाता है. हरित पेटी, स्वच्छ जल तालाब और साइकिल लेन जोड़ने से लोकल निवासी अधिक स्वस्थ जीवन शैली अपना सकते हैं. साथ ही, नयी रोजगार के अवसर भी बने हैं—बागवानी, रखरखाव और तकनीकी निगरानी में कई लोगों को काम मिल रहा है. स्कूलों के पास बने शैक्षिक पैनल बच्चों को पर्यावरण के बारे में जागरूक बनाते हैं, जिससे अगली पीढ़ी में हरे सोच का विकास होता है.

अंत में, ग्रीन एक्सप्रेसवे का भविष्य एआई‑सहायता वाले ट्रैफ़िक मैनेजमेंट और स्मार्ट सेंसर्स पर निर्भर करता है. जब डेटा‑ड्रिवन विश्लेषण से ट्रैफ़िक फ्लो को अनुकूलित किया जाता है, तो ईंधन बचत और समय की बचत दोनों होती है. यही कारण है कि सरकारी नीतियों में अब ‘स्मार्ट‑ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर’ को प्राथमिकता दी जा रही है. जल्द ही हम देखेंगे कि कैसे ड्रोन‑आधारित निरीक्षण और ब्लॉकचेन‑आधारित कार्बन क्रेडिट ट्रैकिंग इस हरे नेटवर्क को और पारदर्शी बनाते हैं.

अब आप नीचे दिए गए लेखों में ग्रीन एक्सप्रेसवे से जुड़े विभिन्न पहलुओं—सतत विकास रणनीतियों, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग, नवीनीकृत ऊर्जा समाधान और सामाजिक प्रभाव—के बारे में विस्तृत जानकारी पाएंगे. प्रत्येक पोस्ट इस बड़े बदलाव के एक हिस्से को उजागर करता है, जिससे आप समझ पाएँगे कि कैसे हरे राजमार्ग हमारे रोज़मर्रा के जीवन को बदल रहे हैं.

उपर प्रदेश में 6‑लेन हाईवे विस्तार, किसानों को 58 करोड़ का मुआवजा
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उपर प्रदेश में 6‑लेन हाईवे विस्तार, किसानों को 58 करोड़ का मुआवजा

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  • सित॰, 26 2025

उपर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा कई हाईवे प्रोजेक्ट चल रहे हैं। 6‑लेन विस्तार के साथ बरेली‑बदायूं कॉरिडोर, अगा‑मथुरा‑बरेली ग्रीन एक्सप्रेसवे और जमीन‑अधिग्रहण का बड़ा कदम उठाया गया है। किसानों को कुल 58 करोड़ रुपये की भरपाई दी गई है। ये परियोजनाएं यात्रा‑समय घटाकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगी। विभिन्न चरणों में कार्य की गति और भूमि‑संकलन की स्थिति भी रिपोर्ट में बताई गई है।