उपर प्रदेश में 6‑लेन हाईवे विस्तार, किसानों को 58 करोड़ का मुआवजा

समाचार उपर प्रदेश में 6‑लेन हाईवे विस्तार, किसानों को 58 करोड़ का मुआवजा

परियोजना का विस्तृत विवरण

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने उपर प्रदेश के प्रमुख आर्थिक किनारों को जोड़ने हेतु कई बड़े‑बड़े रोड प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। सबसे बड़ा कदम बरेली‑बदायूं हाईवे को 4‑लेन से 6‑लेन तक विस्तारित करना है। इस काम में 58 करोड़ रुपये की राशि किसानों को टेंडर प्रक्रिया के बाद निर्धारित की गई है, जिससे उन्हें अपने उगाए हुए खेतों के लिये पूर्ण मुआवजा मिल रहा है।

बरेली‑बदायूं कॉरिडोर के अलावा, अगा‑मथुरा‑बरेली ग्रीन एक्सप्रेसवे भी चल रहा है। यह 228 किमी लंबा 4‑लेन एक्सप्रेसवे है, जिसकी कुल लागत 7,700 करोड़ रुपये है। इसे दो चरणों में बांटा गया है: पहला चरण (मैथुरा‑हाथरस) 66 किमी की दूरी को कवर करता है और अब तक 50% काम पूरा हो चुका है, जहाँ से ट्रैफ़िक को अंशिक रूप से चलाया जा रहा है। दूसरा चरण 162 किमी का है और इसमें हाथरस‑कसगंज (57 किमी), कसगंज‑बदायूं (46 किमी) और बदायूं‑बरेली (59 किमी) शामिल हैं; इस हिस्से के 30% काम पूरे हो चुके हैं।

  • पहला चरण: 66 किमी, 50% पूरा, अंशिक संचालन
  • दूसरा चरण: 162 किमी, 30% पूरा, तीन सब‑सेगमेंट
  • कुल लागत: 7,700 करोड़ रुपये
  • प्रमुख लक्ष्य: यात्रा‑समय को 5‑6 घंटे से घटा कर 2.5 घंटे करना

भू‑अधिग्रहण में NHAI ने यह शर्त रखी है कि कार्य शुरू होने से पहले 80% जमीन का अधिग्रहण हो। अभी तक 40% जमीन विभिन्न खंडों में खरीदी जा चुकी है। इस प्रक्रिया में किसानों को 58 करोड़ रुपये का व्यापक मुआवजा देने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे विस्थापन के सामाजिक‑आर्थिक असर को कम किया जा सके।

क्षेत्रीय प्रभाव और आर्थिक लाभ

क्षेत्रीय प्रभाव और आर्थिक लाभ

इन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से पश्चिमी उपर प्रदेश के शहर‑शहरों के बीच कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। अगा‑मथुरा‑बरेली ग्रीन एक्सप्रेसवे के पूरा होने पर, पहले के 5‑6 घंटे का सफ़र अब मात्र 2.5 घंटे में घट जाएगा। इस तेज़ लिंक से माल‑भाड़ा लागत घटेगी, लॉजिस्टिक्स कंपनियों को लाभ होगा और छोटे‑बड़े व्यवसायों के लिए बाजार तक पहुंच आसान होगी।

सड़कों की 6‑लेन विस्तार से ट्रैफ़िक जाम में कमी आएगी, दुर्घटना दर घटेगी और ईंधन की खपत भी कम होगी। स्थानीय किसान भी बेहतर नौकरियों के लिये तैयार हो रहे हैं, क्योंकि निर्माण कार्य में कई श्रमिकों और छोटे ठेकेदारों को काम मिला है।

राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने भूमि‑अधिग्रहण की प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए समाधान निकाले हैं। तेज़ी से ज़मीनी दस्तावेज तैयार करना, रहन‑सहन वाले लोगों को पुनर्वास योजना देना, और मुआवजा समय पर देना प्रमुख कदम रहे हैं। इन सभी उपायों से न केवल परियोजना की टाइम‑लाइन में सुधार हुआ है, बल्कि सामाजिक वैद्यन और राजनीतिक संतुलन भी बना रहे हैं।

समग्र रूप में, यह देखा जा सकता है कि उपर प्रदेश हाईवे विकास के तहत चल रहे ये प्रोजेक्ट न सिर्फ रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ करेंगे, बल्कि क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा देंगे। आगे आने वाले दो वर्षों में कई खंडों की पूर्णता की उम्मीद है, जिससे उपर प्रदेश की राष्ट्रीय और अंतर‑राज्यीय कनेक्टिविटी में उल्लेखनीय उछाल आएगा।