गांव प्रधान गाँव का सबसे बड़ा प्रतिनिधि होता है. वह पंचायत का प्रमुख होता है और गाँव के हर काम में हाथ बंटाता है. पानी की टंकी लगवाना हो, सड़क बनवाना हो या स्कूल की जरूरतें हों, प्रधान की जिम्मेदारी होती है. लोग अक्सर सोचते हैं कि वह सिर्फ राजनैतिक नाम है, पर असल में वह गांव के विकास में सीधे‑सीधे जुड़ा रहता है.
हर सुबह प्रधान सुनवाई बैठकों में लोगों की समस्याएँ सुनता है. अगर कोई किसान को बीज नहीं मिल रहा या खेत में पानी की कमी है, तो वह ग्रामीण विभाग से संपर्क करता है. इसी तरह, अगर गाँव में बिजली नहीं आई या सड़कों में गड्ढे हैं, तो वह स्थानीय इंजीनियर को काम शुरू करने का आदेश देता है.
एक और महत्वपूर्ण काम है सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन. प्रधानमंत्री ग्राम स्वच्छता मिशन, डिजिटल इंडिया या स्वच्छ भारत अभियान जैसी योजना के लिए प्रधान को फॉर्म भरना, दस्तावेज़ जमा करना और निगरानी करना पड़ता है. अगर ये सही ढंग से नहीं हुआ तो गाँव को फायदा नहीं मिला.
कई बार गाँव में राजनीतिक दबाव या एंथेपरन्याद (भ्रष्टाचार) की वजह से काम रुक जाता है. ऐसे में transparent (पारदर्शी) प्रक्रिया अपनाना ज़रूरी है. पंचायत मीटिंग की मिनट्स लिखवाना, सभी दस्तावेज़ ऑनलाइन अपलोड करना और लोगों को जानकारी देना मदद करता है.
दूसरी समस्या है युवाओं का बाहर जाना. अगर गाँव में रोजगार नहीं है, तो युवा शहर की तरफ चल पड़ते हैं. प्रधान को स्थानीय उद्योग या छोटे व्यापार को प्रोन्नत करना चाहिए. सरकारी रोजगार योजना जैसे मिशन रोजगार या स्वरोजगार योजना को गाँव में प्रचारित करके लोग अपना काम शुरू कर सकते हैं.
अगर आप गाँव प्रधान बनना चाहते हैं तो पहले पंचायत से जुड़ें, लोगों की समस्याओं को समझें और छोटे‑छोटे प्रोजेक्ट करें. भरोसा बनता है तो बड़े काम भी आसान हो जाते हैं.
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देह गाँव में दशहरा मेला के लिए जबर्दस्त तैयारी चल रही है। गाँव प्रधान के सक्रिय नेतृत्व में भूमि तैयार करने का समारोह बड़े संगठित ढंग से हुआ। स्थानीय कारीगरों, कलाकारों और व्यापारीयों को विशेष मंच मिल रहा है। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम, पुतला प्रदर्शनी और पारंपरिक व्यंजन प्रस्तुत किए जाएंगे। इस पहल से ग्रामीण पर्यटन को नई दिशा मिलेगी।