वित्त मंत्रालय के CBDT निर्देश ने हाल ही में आयकर कार्यालयों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे जांच के दौरान करदाता से ऐसे प्रश्न न पूछें जो मामले से असंबंधित हों। यह आदेश टैक्सपेयर्स की शिकायतों को देखते हुए जारी किया गया, जहाँ कई बार अधिकारी अनावश्यक विवरण मांगकर प्रक्रिया को जटिल बना देते थे।
क्यों आया यह नया प्रोटोकॉल?
पिछले कुछ सालों में कर विभाग को लेकर कई शिकायतें व्याप्त थीं। करदाता अक्सर बताते थे कि अधिकारियों द्वारा पूछे जाने वाले सवालों में अक्सर उनकी आय, खर्च या दस्तावेजों से बाहर के व्यक्तिगत मुद्दे भी शामिल होते थे। इससे न सिर्फ जांच लंबी होती थी, बल्कि टैक्सपेयर्स को अनावश्यक तनाव भी झेलना पड़ता था। इसीलिए CBDR ने एक व्यापक फ्रेमवर्क तैयार किया, जिसमें प्रश्नों की प्रासंगिकता को कड़ी निगरानी में रखा गया।

निर्देशों का मुख्य बिंदु क्या हैं?
नए निर्देश में प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
- पूछे जाने वाले प्रश्नों को सीधे संबंधित आय या आयकर दायित्व से जुड़ना अनिवार्य है।
- ऑफ़िसर को करदाता को पूछे गए हर प्रश्न का कारण स्पष्ट रूप से बताना होगा।
- यदि प्रश्न का कोई प्रासंगिक आधार नहीं है, तो अधिकारी को तुरंत उसे वापस लेना होगा।
- नियमित प्रशिक्षण सत्र आयोजित कर आयकर अधिकारियों को इस नीति से परिचित कराना अनिवार्य किया गया है।
- उल्लंघन करने वाले अधिकारियों पर प्रक्रिया के दामन में लिखित चेतावनी और दोहराव पर पारिश्रमिक से कटौती जैसा दंड लागू होगा।
यह दिशा-निर्देश सभी आयकर विभागीय स्तरों पर एक समान लागू होगा, चाहे वह मुख्य कार्यालय हो या ज़िला स्तर पर कार्यरत अधिकारी। आदेश के अनुसार, प्रत्येक जांच में एक प्रश्नावली तैयार की जाएगी जिसमें केवल वही सवाल शामिल होंगे जो टैक्स दायित्व की पुष्टि में सहायक हों।
टैक्सपेयर्स की संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया, यह कहते हुए कि इससे न केवल उनका समय बचेगा, बल्कि भविष्य में टैक्स कंप्लायंस की भावना भी बढ़ेगी। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल डिजिटल टैक्स प्रक्रियाओं के साथ मिलकर कर संग्रह को अधिक प्रभावी बना सकती है।