कभी सोचा है कि किसी काम के लिए बस "एक अच्छा दिन" कैसे चुना जाए? शुभ मुहूर्त का मतलब सिर्फ पारंपरिक रिवाज़ नहीं, बल्कि काम की सफलता और मानसिक शांति भी है। यहाँ आसान और सीधे तरीके बताए गए हैं जिनको आप तुरंत अपनाकर शादी, गृह-प्रवेश, नामकरण या अन्य शुभ कार्यों का सही समय चुन सकते हैं।
सबसे पहले पanchang (दिनचर्या) देखें — तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण ये पांच चीजें सबसे ज़रूरी हैं। ये सभी मिलकर किसी दिन का कुल प्रभाव बताते हैं। उदाहरण के लिए, विवाह के लिए अक्सर शुक्ल पक्ष की तिथियाँ पसंद की जाती हैं और विशेष नक्षत्र जैसे रोहिणी, पुष्य आदि कई लोगों के लिए शुभ माने जाते हैं।
दूसरा, ग्रह गोचर और ग्रहों की दशा जान लें। अगर कोई ग्रह भारी प्रमाण में प्रभावित हो तो बड़े निर्णय टालना बेहतर है। तीसरा, हिंदू कैलेंडर में पर्व-त्योहार और व्रतों को देखें — कई बार त्यौहार के दिन भी शुभ कार्य करने पर ज्यादा धार्मिक और सामाजिक सुख मिलता है।
कभी भी ग्रहण और सूर्य/चंद्र दोष के समय बड़े संस्कार जैसे घर प्रवेश या शादी शिफ्ट न करें। ऐसा करना कई परंपराएँ और ज्योतिष सलाहें दोनों ही टालती हैं।
मुहूर्त चुनते वक्त घर के सदस्यों की सुविधा भी देखें — धार्मिक रूप से सही समय तो चाहिए ही, पर परिवार के ज्यादातर लोग यदि उस समय उपस्थित नहीं हो सकेंगे तो कार्यक्रम का महत्व घट सकता है। इसलिए पंडित या ज्योतिष से सुझाव लेते समय पारिवारिक उपलब्धता भी बताएं।
डिजिटल पंचांग ऐप और वेबसाइट से आप त्वरित जानकारी ले सकते हैं, पर अंतिम निर्णय से पहले स्थानीय पंडित या अनुभवी व्यक्ति से मिलकर पुष्टि कर लें। कई बार छोटे-छोटे क्षेत्रीय रीति-रिवाज़ भी मायने रखते हैं।
अगर आप तेजी से मुहूर्त देखना चाहते हैं तो तीन चीज़ों को प्राथमिकता दें: तिथि (शुक्ल/कृष्ण पक्ष), नक्षत्र और वार। इन तीनों का समन्वय अक्सर पर्याप्त रहता है। किसी भी काम के लिए 'अभिजीत मुहूर्त' जैसे छोटे-से समयवाले विंडो भी ज़रूरी निर्णय में मदद करते हैं।
अंत में, याद रखें—मुहूर्त सही रखना अच्छा है, पर योजना, तैयारी और सही लोग साथ होना भी उतना ही जरूरी है। मुहूर्त सिर्फ शुरुआत को आसान बनाता है; मेहनत और सही क्रियान्वयन काम को सफल बनाते हैं।
अगर आप चाहते हैं तो हमारी साइट पर उपलब्ध पंचांग लिंक और स्थानीय पूजा-पंडित की सलाह वाले लेख भी देखें। वहां से आप सीधे अपने शहर के अनुसार दिन और समय देख सकते हैं। शुभ मुहूर्त चुनने में किसी भी मदद के लिए आप हमारी टीम से भी संपर्क कर सकते हैं।
 
                                                            आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2024 का उत्सव 6 जुलाई से शुरू होकर 15 जुलाई तक चलेगा। यह गुप्त नवरात्रि विशेषतः गुप्त साधनाओं के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है और देवी की कृपा प्राप्ति का माध्यम बनती है। कलशस्थापना का शुभ मुहूर्त 6 जुलाई की सुबह 5:29 बजे से 10:07 बजे तक है।