जब मौसम विभाग या सरक़ार किसी इलाके में गंभीर खतरा महसूस करती है, तो वह "रेड अलर्ट" जारी करती है। यह सबसे उच्च स्तर की चेतावनी होती है, जिसका मतलब है कि मौसमी आपदा या अन्य आपातकालीन स्थिति तुरंत आपके जीवन, संपत्ति या यात्रा पर असर डाल सकती है। अगर आप रेड अलर्ट देख रहे हैं, तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए—तुरंत कदम उठाना ज़रूरी है।
रेड अलर्ट सिर्फ बारिश या बाढ़ के लिए नहीं, बल्कि तूफ़ान, बर्फ़ीला तुफ़ान, सूखा, भूस्खलन, फिर भी ज्वालामुखी एरोल, या बड़े स्तर के नागरिक विरोध जैसे स्थितियों में भी जारी हो सकता है। भारत में मौसम विज्ञान विभाग (IMD) अक्सर भारी वर्षा के समय, विशेषकर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पहाड़ी इलाकों में रेड अलर्ट जारी करता है। यही कारण है कि 18‑19 जून 2025 को उत्तराखंड में भारी बारिश और बिजली गिरने की चेतावनी ने स्थानीय लोगों को सतर्क किया।
1. सूचना स्रोत खुले रखें—टीवी, रेडियो, मोबाइल अलर्ट या आधिकारिक वेबसाइट पर नियमित अपडेट देखें।
2. घर और परिवार को सुरक्षित जगह पर ले जाएँ—बच्चों, बुजुर्गों और रोगियों को प्राथमिकता दें।
3. ऊँची जगह से नीचे न उतरें—बाढ़ और तेज़ बवंडर वाले क्षेत्रों में पानी के जमाव से बचें।
4. इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बंद रखें—अचानक बिजली गिरने पर सर्किट शॉर्ट से बचेंगे।
5. आपातकालीन किट तैयार रखें—टॉर्च, बैटरी, पानी, दवाइयाँ, टॉवेल और छोटे स्नैक रखें।
इन बुनियादी कदमों से आप अपने आप को और अपने परिवार को बड़ी आपदाओं से बचा सकते हैं। कई लोग कहते हैं कि अलर्ट मिलने पर केवल ‘देखते’ रहना ही बड़ा जोखिम है। इसलिए, सक्रिय रहें और सुरक्षा उपायों को तुरंत लागू करें।
अभी कुछ हफ़्तों में उत्तराखंड में तेज़ बारिश और गरज के कारण रेड अलर्ट जारी हुआ था। प्रदेश के कई पहाड़ी इलाके, जैसे उत्तरकाशी और कुमाऊँ, में जल स्तर अचानक बढ़ गया, जिससे बाढ़ का खतरा उत्पन्न हुआ। स्थानीय प्रशासन ने लोगों को निचले क्षेत्रों से हटने और ऊँची जगहों पर शरण लेने की सलाह दी। इसी दौरान, कई शहरों में बाढ़‑रोधी अभियांत्रिकी कार्य तेज़ी से शुरू हो गए।
एक और उल्लेखनीय केस 9 जुलाई 2025 का भारत बंद आंदोलन था, जिसमें 25 करोड़ लोग विभिन्न क्षेत्रों में हड़ताल का समर्थन कर रहे थे। जबकि यह रेड अलर्ट नहीं था, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर जनता को तत्काल अपडेट देना, सुरक्षा सुनिश्चित करना और अनिवार्य सेवाओं को चलाना वैसी ही गंभीर स्थिति थी। इस तरह की बड़ी घटनाएँ भी सरकारी अलर्ट प्रणाली द्वारा संभाली जाती हैं—अभी के समय में ‘डिजिटल रेड अलर्ट’ मोबाइल ऐप्स, एसएमएस और सोशल मीडिया तक पहुँचते हैं।
यदि आप अक्सर यात्रा करते हैं या पर्वत इलाके में रहते हैं, तो इन चेतावनियों को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए। कई बार छोटे‑छोटे संकेत जैसे अचानक बदलती हवाओं की दिशा, सड़कों पर पानी की भराव और बिजली की निरंतर गड़गड़ाहट, रेड अलर्ट का आधा हिस्सा हो सकते हैं। ऐसे संकेतों को पहचानना और तुरंत स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करना, जीवित रहने का सबसे आसान तरीका है।
सार में, रेड अलर्ट एक जीवन‑रक्षक संकेत है। इसे समझना, सुनना और सही कदम उठाना ही आपके और आपके प्रियजनों की सुरक्षा का सबसे बड़ा भरोसा है। अगले बार जब रेड अलर्ट आए, तो याद रखें—सूचना रखें, तैयार रहें और तुरंत कार्रवाई करें।
कोलकाता में इस सीजन की सबसे तीव्र बारिश देर रात हुई, जिसके बाद मौसम विभाग ने शहर और आसपास के जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया। अलीपुर में 24 घंटों में 47.1 मिमी बारिश दर्ज हुई। लो-प्रेशर एरिया बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिम में बना, जिससे गरज-चमक के साथ तेज बारिश हुई। बुधवार तक मध्यम बारिश के आसार हैं, फिर बरसात बिखरी होगी। सीजनल बारिश 16% ज्यादा है।