पैरालंपिक – भारत में विकलांग एथलीटों की अनोखी कहानी

जब पैरालंपिक, वर्ल्ड पीयरालिंपिक गेम्स का अंतर्राष्ट्रीय संस्करण है, जहाँ विकलांग एथलीट विभिन्न खेलों में प्रतिस्पर्धा करते हैं. इसे अक्सर "डिसएबिलिटीज़ के साथ ओलंपिक" कहा जाता है, जो समानता और समावेशी खेल भावना को दर्शाता है। यह टैग खासकर उन खबरों को इकट्ठा करता है जो भारत और दुनिया भर में पैरालंपिक से जुड़ी हैं। नीचे आप विभिन्न एथलीटों की उपलब्धियों, प्रतियोगिताओं की रिपोर्ट और आगामी इवेंट्स की जानकारी देखेंगे।

मुख्य घटक और उनका संबंध

पैरालंपिक का एक अहम भाग है विकलांग एथलीट, वे खिलाड़ी जो शारीरिक या बौद्धिक चुनौतियों के बावजूद विविध खेलों में प्रतिस्पर्धा करते हैं. इनके प्रदर्शन से ना सिर्फ देश को गर्व मिलता है, बल्कि सामाजिक जागरूकता भी बढ़ती है। इसी कारण इंडियन पैरालंपिक कमेटी, भारत में पैरालंपिक खेलों की योजना, प्रबंधन और प्रचार का मुख्य निकाय है हर चार साल में बड़े इवेंट की तैयारी करता है। ये दो संस्थाएँ मिलकर पैरालंपिक खेल को बढ़ावा देती हैं, जैसे कुश्ती, तैराकी, बोर्डिंग और थ्रोइंग इवेंट्स।

इन संस्थाओं के बीच का संबंध स्पष्ट है: इंडियन पैरालंपिक कमेटी विकलांग एथलीटों को प्रशिक्षण, स्पॉन्सरशिप और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए मंच प्रदान करती है। इस सहयोग से एथलीटों को बेहतर सुविधाएँ, कोचिंग और मेडिकल सपोर्ट मिलती है, जिससे उनका प्रदर्शन भी सुधरता है। साथ ही, पैरालंपिक खेल राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया कवरेज और सार्वजनिक रुचि को बढ़ाते हैं, जिससे भविष्य के युवा प्रतिभाओं को प्रेरणा मिलती है।

जब आप इस टैग में उपलब्ध लेख पढ़ेंगे, तो आपको पता चलेगा कि कैसे 2024 टोक्यो पैरालंपिक में भारत ने कई मेडल जीते, कैसे नई कक्षा के एथलीटों ने अपने घर के नजदीकी स्टेडियम में प्रैक्टिस शुरू की, और कौन‑से खेलों में भारत को अब भी सुधार की जरूरत है। प्रत्येक कहानी में एथलीट की मेहनत, कोच की रणनीति और कमेटी की समर्थन प्रणाली का जिक्र है—ये सब मिलकर पैरालंपिक का व्यापक परिप्रेक्ष्य बनाते हैं।

अब आप नीचे दिए गए लेखों में डुबकी लगा सकते हैं, जहाँ हम विशिष्ट एथलीट प्रोफ़ाइल, आगामी टूर्नामेंट कैलेंडर, और पारदर्शी चयन प्रक्रिया को विस्तार से समझाते हैं। यह संग्रह आपके लिए एक प्रैक्टिकल गाइड के रूप में काम करेगा, चाहे आप एक उत्साही दर्शक हों या फिर आगे का एथलीट बनना चाहते हों। आगे की पढ़ाई में आपको उन सब रोचक तथ्यों और प्रेरणादायक किस्सों का सामना होगा जो पैरालंपिक को भारत में एक सशक्त आंदोलन बनाते हैं।

पैरालंपिक में शीतल देवी ने ब्रॉंज जेतें, 17‑साल की युवा तीरंदाज़
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पैरालंपिक में शीतल देवी ने ब्रॉंज जेतें, 17‑साल की युवा तीरंदाज़

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  • सित॰, 28 2025

किश्तावर की 17‑साल की तीरंदाज़ शीतल देवी ने पेरिस 2024 पैरालंपिक में मिश्रित टीम कॉम्पाउंड में ब्रॉंज जीता, भारत को पहला पैरालाइटिक तीरंदाज़ी पदक दिलाया।