अमेरिकी शेयर बाजार (US stock market) दुनिया का सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट है। यहाँ के फैसले और सूचकांक—जैसे S&P 500, Dow Jones और Nasdaq—दुनिया भर के बाज़ारों को प्रभावित करते हैं। अगर आप भारत से अमेरिकी स्टॉक्स या ETFs को फॉलो या निवेश करना चाहते हैं, तो कुछ आसान बातों को समझना जरूरी है।
अमेरिका की नियमित ट्रेडिंग टाइमिंग: 9:30 AM से 4:00 PM Eastern Time (ET)।
इंडिया में यह समय बदलता है—डेलाइट सेविंग (March–Nov) के दौरान 7:00 PM से 1:30 AM IST, और बाकी साल 8:00 PM से 2:30 AM IST। अपने ट्रेडिंग या अलर्ट सेट करते समय यह ध्यान रखें।
प्रारंभिक और आफ्टर-आवर ट्रेडिंग भी मायने रखती है—कॉनरैक्ट ब्रेकिंग न्यूज और कंपनी की अरनिंग रिपोर्ट में प्राइस में तेज़ी/मंदी तब आती है।
कुछ स्पॉटलाइट इवेंट हमेशा बाजार को हिला सकते हैं: Federal Reserve की रेपो घोषणा, CPI (मुद्रास्फीति) डेटा, Non-Farm Payrolls (NFP) और बड़ी टेक कंपनियों की earnings रिपोर्ट। रिपोर्ट्स से पहले और बाद के प्राइस मूव्स पर सतर्क रहें।
कम्पनी-स्तर पर earnings, guidance और M&A खबरें सीधे स्टॉक की कीमतें प्रभावित करती हैं। बड़े ETFs जैसे SPY (S&P 500), QQQ (Nasdaq-100) और VOO को भी देखें—ये इंडेक्स की हेल्थ बताती हैं।
भारत से निवेश करने वालों के लिए मुद्रा का असर भी अहम है। USD/INR की बढ़त या गिरावट से रिटर्न बदल जाएगा—अमेरिकी स्टॉक में लाभ हो भी सकता है और रुपये में लाने पर कम या ज्यादा।
ट्रैकिंग टूल्स: TradingView, Yahoo Finance, Google Finance और ब्रोकर्स की मोबाइल ऐप्स पर प्राइस अलर्ट, इवेंट कैलेंडर और लाइव चार्ट सेट करें। न्यूज के लिए CNBC, Bloomberg और कंपनी के प्रेस रिलीज़ फॉलो करें।
सुरक्षा और जोखिम: छोटे हिस्से में निवेश करें और डाइवर्सिफाई रखें। स्टॉप-लॉस और पोजीशन साइजिंग से आप बड़ा नुकसान रोक सकते हैं। विदेशी निवेश के टैक्स नियम जाँचें—किसी CA या टैक्स सलाहकार से सलाह लें।
तुरंत करने के लिए चेकलिस्ट:
अमेरिकी शेयर बाजार फास्ट और अवसरों से भरा है, लेकिन सही समय, जानकारी और जोखिम नियंत्रण के बिना नुकसान भी तेज होता है। छोटे कदम से शुरुआत करें, अलर्ट सेट रखें और लगातार सीखते रहें।
अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने 29 जनवरी, 2025 को अपनी प्रमुख ब्याज दर को 4.25%-4.50% रेंज में स्थिर रखा। यह निर्णय मुद्रास्फीति की दिशा और नई प्रशासन की आर्थिक नीतियों के प्रभाव का मूल्यांकन करते हुए लिया गया। पिछले महीनों में की गई दर वृद्धि के बाद, फेड का यह रुख बाजार में अनिश्चितता ला रहा है। शेयर बाजार ने भी इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी।