सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति घोटाले के मामले में मनीष सिसोदिया को जमानत देने का फैसला किया है। यह फैसला भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे सिसोदिया के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। न्यायालय ने कहा कि 17 महीने की लंबी हिरासत उनके त्वरित न्याय के अधिकार का उल्लंघन हैं, जो भारतीय संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार है।
मानवाधिकार का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों के हिचकिचाहट भरे रवैये पर भी प्रश्न उठाए और कहा कि 'जमानत एक नियम है, जेल एक अपवाद।' न्यायालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसी भी आरोपी को लंबे समय तक जेल में रखना उसके अधिकारों का उल्लंघन है। यह फैसला न केवल सिसोदिया के लिए बल्कि अन्य आरोपियों के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न्यायिक दृष्टिकोण में एक नई दिशा दिखा रहा है।
प्रकरण की समीक्षा
सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी 2023 को दिल्ली शराब नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं के लिए गिरफ्तार किया था। इसके बाद ईडी ने 9 मार्च 2023 को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत उन्हें गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले की समीक्षा करते हुए कहा कि यह एक 'न्याय का मजाक' होता अगर सिसोदिया को निचली अदालत से जमानत लेने की सलाह दी जाती।
सिसोदिया का पक्ष
सिसोदिया के वकील ऋषिकेश कुमार ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि सिसोदिया ने किसी प्रकार की छेड़छाड़ की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार किया और ईडी की चिंताओं को खारिज कर दिया। कोरट ने सिसोदिया को अपने पासपोर्ट को जमा करने और गवाहों को प्रभावित न करने का निर्देश दिया।
AAP की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद AAP में खुशी की लहर दौड़ गई। पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने खुशी जाहिर की और सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त किया। दिल्ली के शिक्षा मंत्री आतिशी ने 'सत्यमेव जयते' कहकर इस निर्णय का स्वागत किया। राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इसे 'केंद्र के तानाशाही रवैये पर तमाचा' बताते हुए उम्मीद जताई कि अन्य नेताओं को भी न्याय मिलेगा।
लंबी कानूनी लड़ाई
यह सत्य है कि सिसोदिया की गिरफ्तारी ने राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया था। उन्होंने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। कोर्ट ने 493 गवाहों की पहचान करते हुए सीबीआई और ईडी से यह पूछा कि ए यह मुकदमा कब तक समाप्त होगा।
सामाजिक और राजनैतिक प्रभाव
इस फैसले का सामाजिक और राजनैतिक प्रभाव काफी बढ़ा है। यह न्यायिक प्रणाली की नए रूप में व्याख्या करता है। यह फैसला न सिर्फ आम आदमी पार्टी और उनके समर्थकों के लिए एक राहत है बल्कि उन सभी लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण है जो न्याय प्रणाली में विश्वास रखते हैं।
कुल मिलाकर, इस मामले ने एक बार फिर भारतीय न्याय प्रणाली में विश्वास उत्पन्न किया है। यह दिखाता है कि न्यायिक प्रक्रिया में किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।