भारत के 24 वर्षीय पैरालिंपिक एथलीट निशाद कुमार ने पैरिस पैरालिंपिक्स में पुरुषों की हाई जंप टी47 इवेंट में अपने शानदार प्रदर्शन से दूसरे बार रजत पदक जीता। यह जीत प्रतिस्पर्धा में उनकी उत्कृष्टता का एक और प्रमाण है और उन्हें भारत के सबसे प्रमुख पैरालिंपिक एथलीट्स में से एक बनाती है।
निशाद कुमार ने इस इवेंट में अपने सीजन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 2.04 मीटर की जंप हासिल की। हालांकि वे तीसरे प्रयास में 2.08 मीटर की ऊंचाई को पार नहीं कर पाए। प्रतियोगिता में अमेरिकी एथलीट रॉडरिक टाउनसेंड ने 2.12 मीटर की जंप के साथ स्वर्ण पदक जीता, जो कि सीजन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। वहीं, न्यूट्रल पैरालिंपिक एथलीट के रूप में खेल रहे जॉर्जियो मारगिएव ने कांस्य पदक जीता, उन्होंने 2 मीटर की जंप हासिल की।
इस इवेंट में एक और भारतीय एथलीट राम पाल भी शामिल थे, जिन्होंने अपनी व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 1.95 मीटर की जंप के साथ सातवां स्थान प्राप्त किया। निशाद कुमार के इस रजत पदक ने भारत को पैरिस पैरालिंपिक्स में एथलेटिक्स के तीन पदकों की सूची में शामिल किया। इससे पहले प्रीति पाल ने महिलाओं की 200 मीटर टी35 इवेंट में कांस्य पदक जीता था।
निशाद का सफर संघर्ष और प्रेरणा से भरा हुआ है। छह वर्ष की आयु में उनके साथ हुए एक गंभीर दुर्घटना में उनका दायां हाथ काट गया था। इस घटना के बावजूद उन्होंने खेलों में अपनी रुचि बनाए रखी और अपनी माता के प्रोत्साहन से एथलेटिक्स में स्थान बनाया। उनकी माता राज्य स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी और डिस्कस थ्रोअर रही हैं। निशाद ने 2009 में पैरालिंपिक एथलेटिक्स की शुरुआत की और धीरे-धीरे इस क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी।
पैरिस पैरालिंपिक्स से पहले निशाद ने कोबे, जापान में आयोजित 2024 वर्ल्ड पैरालिंपिक एथलेटिक्स चैंपियनशिप्स में भी रजत पदक जीता था। उनकी इस सफलता ने उन्हें भारत के खेल जगत में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। निशाद कुमार के संघर्ष और सफलता की इस यात्रा ने उन्हें लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना दिया है।
प्रतियोगिता के दौरान, तीसरे प्रयास में असफल होने के बावजूद, निशाद की हिम्मत बनी रही। रॉडरिक टाउनसेंड ने उन्हें सांत्वना दी और दोनों के चेहरों पर मुस्कान थी, जो खेल भावना की एक अद्भुत मिसाल थी। निशाद कुमार ने अपने प्रदर्शन से उनके आलोचकों को शांत किया और यह साबित किया कि मेहनत और दृढ़ संकल्प से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।
पैरालिंपिक्स में निशाद का प्रदर्शन भारत को गर्व करने का एक और मौका देता है। उनके संघर्ष और उत्साह की कहानी पूरे भारत में खेल प्रतिभाओं के लिए एक प्रेरणा है। हमें उम्मीद है कि वे आने वाले दिनों में और भी बड़ी ऊचाइयों को छुएंगे और देश का नाम रोशन करेंगे।
निशाद की इस सफलता ने उनके गांव और परिवार को भी गर्वित किया है। उनका समाज और उनके खेल प्रेमियों के बीच एक अलग ही स्थान है। निशाद के इस पदक ने यह संदेश दिया है कि किसी भी चुनौती को पार कर, अगर हिम्मत और संकल्प है, तो सफलता अवश्य मिलती है।
LEO MOTTA ESCRITOR
सितंबर 2, 2024 AT 04:19भाई, निशाद की कहानी हमें सिखाती है कि असली जीत तब मिलती है जब हम गिरकर भी उठते हैं, और यही उसका रजत पदक का असली अर्थ है।
उसके इरादे और लगन को देखकर हम सबको अपने सपनों को फिर से परखना चाहिए।
Sonia Singh
सितंबर 2, 2024 AT 05:25बहुत बढ़िया, निशाद ने साबित किया कि कठिनाइयों को पार कर भी हम महान हो सकते हैं। भारत की आगे की पीढ़ी को ऐसे ही रोल मॉडल की ज़रूरत है।
Ashutosh Bilange
सितंबर 2, 2024 AT 06:32यार ये क्या बात है!! निशाद ने तो सीन में बवाल मचा दिया, जैसे कोई सुपरहीरो 2.04 मीटर की जंप लगा दे!! असली चैंपियनशिप तो वही होते हैं जो हार नहीं मानते, ब्रो।
Kaushal Skngh
सितंबर 2, 2024 AT 07:39शाबाश निशाद, पर थोड़ा आदत बनाना पड़ेगा कि वो 2.08 मीटर को भी पकड़ ले, तभी वर्ल्ड टॉप पर रहेगा। अभी भी सुधार की गुंजाइश है।
Harshit Gupta
सितंबर 2, 2024 AT 08:45देश के लिए गर्व की बात है! हमारे बेहतरीन एथलीट निशाद ने रजत लेकर दिखा दिया कि भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमक रहा है। अभी और मेडल चाहिए, हम सपोर्ट करेंगे!
HarDeep Randhawa
सितंबर 2, 2024 AT 09:52वाओ!!! निशाद ने फिर से दिखा दिया कि दृढ़ संकल्प का क्या मतलब है!!! इस तरह की सफलता के पीछे घंटों की कड़ी मेहनत, सख्त ट्रेनिंग, और अटूट आत्मविश्वास होता है!!!
Nivedita Shukla
सितंबर 2, 2024 AT 10:59जैसे एक फ़िरिस्ते को उठाने वाला पहाड़, निशाद ने अपनी सीमाओं को तोड़ दिया। उसकी जंप सिर्फ मीटर नहीं, बल्कि भावना की ऊँचाई है, जहाँ आत्मा की घातक शक्ति भी नहीं रुक सकती।
Rahul Chavhan
सितंबर 2, 2024 AT 12:05निशाद की मेहनत हमें सिखाती है कि हर छोटा कदम बड़ी जीत की ओर ले जाता है। चलो, हम सब भी अपने लक्ष्य के लिए रोज़ थोड़ा-थोड़ा आगे बढ़ते रहें।
Joseph Prakash
सितंबर 2, 2024 AT 13:12निशाद को बधाई 🎉 उनका रजत पदक देश का गर्व है 😊
Arun 3D Creators
सितंबर 2, 2024 AT 14:19निशाद की जंप वाकई प्रेरणादायक पर आगे की तैयारी भी जरूरी
RAVINDRA HARBALA
सितंबर 2, 2024 AT 15:25डेटा के हिसाब से निशाद की 2.04 मीटर की जंप वर्ल्ड लेवल पर प्रतिस्पर्धी है लेकिन लगातार 2.08 मीटर से नीचे रहना एक तकनीकी ग़लती को दर्शाता है, जिसे सुधारना आवश्यक है।
Vipul Kumar
सितंबर 2, 2024 AT 16:32निशाद की उपलब्धि सिर्फ व्यक्तिगत जीत नहीं, यह पूरे भारतीय पैरालिंपिक समुदाय के लिए एक मील का पत्थर है।
उनके कठिन बचपन की कहानी और अब की सफलता हर युवा को प्रेरित करती है।
जब वह 2.04 मीटर की ऊँचाई पार करते हैं, तो वह अपने भीतर की दृढ़ता को बाहर निकालते हैं।
इस जंप में उन्होंने न केवल अपने शरीर की सीमाओं को चुनौती दी, बल्कि मन की भी।
प्रशिक्षकों को चाहिए कि इस ऊर्जा को भविष्य के एथलीटों में बाँटें।
प्रशिक्षण के दौरान छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करना आवश्यक है, जिससे बड़े लक्ष्य की दिशा तय होती है।
साथ ही पोषण और विश्राम का संतुलन भी सफलता की कुंजी है।
निशाद को देखते हुए हमें समझ आता है कि समर्थन प्रणाली कितनी महत्वपूर्ण है।
उनके परिवार, कोच और मित्रों की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए।
इस जीत से यह स्पष्ट होता है कि भारत में पैरालिंपिक खेलों को और अधिक संसाधन मिलने चाहिए।
सरकारी नीतियों में सुधार और निजी क्षेत्र का निवेश दोनों ही आवश्यक हैं।
युवा खिलाड़ी को चाहिए कि वह अपनी कमजोरियों को पहचान कर उनका विकास करे।
तकनीकी रूप से जंप के हर चरण में दक्षता लाना चाहिए, चाहे वह रन‑अप हो या फॉर्म।
साथ ही मानसिक प्रशिक्षण को भी उतना ही महत्व देना चाहिए जितना शारीरिक।
अंत में, निशाद की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर इरादा पक्का हो, तो कोई भी बाधा असीमित नहीं रहती; हम सब को इससे सीख लेनी चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए।
Priyanka Ambardar
सितंबर 2, 2024 AT 17:39बिलकुल सही कहा, निशाद की जीत से हमारे देश की शक्ति साफ दिखती है 😊 हमें ऐसे एथलीट्स को और ज्यादा समर्थन देना चाहिए।
sujaya selalu jaya
सितंबर 2, 2024 AT 18:45निशाद को हार्दिक बधाई।
Ranveer Tyagi
सितंबर 2, 2024 AT 19:52धन्यवाद! निशाद की इस सफलता में ट्रेनिंग, डाइट, और निरंतर फीडबैक का बड़ा हाथ है; इस पर ध्यान देना चाहिए।
Tejas Srivastava
सितंबर 2, 2024 AT 20:59क्या बात है! इस साल भारत ने पैरालिंपिक्स में नई ऊँचाइयाँ छू ली हैं!!! सभी को बधाई!!