भारत के लोकतंत्र की रीढ़ है निर्वाचन आयोग, भारत में मतदान, चुनाव आयोजन और निष्पक्ष परिणामों की गारंटी देने वाला संवैधानिक निकाय। ये वो संस्था है जो आपके वोट को असली बनाती है। बिना इसके, चुनाव बस एक शोर-शराबा होता। इसकी जिम्मेदारी सिर्फ बूथ लगाने तक नहीं, बल्कि उम्मीदवारों के खर्च, चुनावी वादे, और मीडिया के इस्तेमाल तक को नियंत्रित करना है।
इसके साथ ही, मतदान, किसी भी नागरिक का अधिकार और जिम्मेदारी जो लोकतंत्र को जीवित रखता है भी इसका अटूट हिस्सा है। जब आप बूथ पर जाते हैं, तो आप सिर्फ एक बटन दबा रहे होते हैं — आप एक पूरे राष्ट्र के भविष्य का फैसला कर रहे होते हैं। और इस पूरी प्रक्रिया को सुचारु बनाए रखने की जिम्मेदारी चुनावी प्रक्रिया, मतदान से लेकर परिणाम घोषित होने तक की सभी चरणों का समूह पर है। ये प्रक्रिया इतनी जटिल है कि हर साल 90 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं के लिए एक ही दिन में सब कुछ चलाना एक अद्भुत तकनीकी और प्रशासनिक चैलेंज है।
निर्वाचन आयोग ने भारत में ई-वोटिंग, वीवीपैट, और बहुभाषी बूथ जैसे नवाचार लाए हैं। ये सिर्फ टेक्नोलॉजी के बारे में नहीं है — ये आम आदमी की आवाज़ को सुनने की इच्छा है। जब कोई नया चुनावी नियम आता है, तो आयोग उसे स्कूलों, गाँवों और शहरों तक पहुँचाता है। ये तब तक काम करता है, जब तक आखिरी मतदाता अपना वोट नहीं डाल देता।
इस टैग पेज पर आपको ऐसे ही कई रियल-लाइफ उदाहरण मिलेंगे — जहाँ चुनाव ने राजनीति को बदल दिया, जहाँ निर्वाचन आयोग के फैसले ने टीमों को लड़ने का मौका दिया, या जहाँ एक छोटी सी तकनीक ने लाखों लोगों के वोट को सुरक्षित बना दिया। ये सब कहानियाँ बताती हैं कि चुनाव कोई रिसेप्ट नहीं, बल्कि एक जीवित प्रक्रिया है। आप जो भी खबरें आगे पढ़ेंगे, वो सब इसी दिल की धड़कन से जुड़ी हैं — निर्वाचन आयोग की।
निर्वाचन आयोग ने 12 राज्यों में वोटर लिस्ट सुधार के लिए बूथ स्तरीय अभियान शुरू किया है, जिसमें 51 करोड़ मतदाताओं को शामिल किया गया है। ड्राफ्ट लिस्ट 9 दिसंबर को जारी होगी, और अंतिम लिस्ट 7 फरवरी, 2026 को जारी की जाएगी।