12 राज्यों में वोटर लिस्ट सुधार के लिए बूथ स्तरीय अभियान शुरू, 51 करोड़ मतदाताओं को शामिल किया गया

राजनीति 12 राज्यों में वोटर लिस्ट सुधार के लिए बूथ स्तरीय अभियान शुरू, 51 करोड़ मतदाताओं को शामिल किया गया

निर्वाचन आयोग ने 27 अक्टूबर, 2025 को 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निर्वाचन आयोग की दूसरी चरण की विशेष तीव्र संशोधन (SIR) अभियान शुरू किया है। इस बार, बूथ स्तरीय अधिकारी (BLOs) घर-घर जाकर वोटर लिस्ट की सत्यता की जांच कर रहे हैं। यह अभियान उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, केरल, गोवा, पुडुचेरी, लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप में चल रहा है। इसके तहत लगभग 51 करोड़ मतदाताओं की लिस्ट सुधारी जा रही है — एक ऐसा अभियान जिसका असर आने वाले राज्य विधानसभा चुनावों पर पड़ेगा।

बिहार के सफल अनुभव के बाद शुरू हुआ दूसरा चरण

यह अभियान बिहार में जून से सितंबर तक चले सफल SIR के बाद शुरू हुआ। वहां शुरू में 7.89 करोड़ वोटर थे, जिनमें से 65 लाख अयोग्य या डुप्लीकेट नाम हटा दिए गए। 21.53 लाख नए वोटर फॉर्म-6 के जरिए जोड़े गए। अंतिम लिस्ट में 7.42 करोड़ नाम शामिल हुए। यह आंकड़ा सिर्फ एक राज्य का नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक मानक बन गया है। अब इसी तरह की एक अत्यधिक संगठित रणनीति पूरे देश में लागू की जा रही है।

तीन अवसर, एक लक्ष्य: हर योग्य वोटर को शामिल करना

इस SIR में वोटर के लिए तीन बार मौका मिल रहा है। पहला: बूथ स्तरीय अधिकारी घर-घर जाकर वोटर की पहचान करते हैं। दूसरा: 9 दिसंबर, 2025 को प्रकाशित होने वाली ड्राफ्ट लिस्ट पर आप अपना नाम जोड़ने या सुधारने के लिए दावा दायर कर सकते हैं। तीसरा: 8 जनवरी, 2026 तक किसी भी अयोग्य नाम के खिलाफ आप आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। यह तीन-चरणीय प्रक्रिया निर्वाचन आयोग के लिए एक अद्वितीय अवसर है — न तो बस नाम हटाना, न ही बस जोड़ना, बल्कि वोटिंग के अधिकार को सच्चे अर्थों में सुनिश्चित करना।

क्या दस्तावेज चाहिए? सरल नियम

अगर आपका नाम 2003 की वोटर लिस्ट में था, तो आपको बस अपनी पहचान बतानी है। नए वोटर्स के लिए आधार कार्ड और हाल की फोटो काफी है। बूथ स्तरीय अधिकारी अपने क्षेत्र में कम से कम तीन बार घूमते हैं — अगर कोई घर खाली है, तो वे दोबारा आते हैं। इस बार बिना दस्तावेज के नाम जोड़ने का रास्ता खोला गया है, जिससे शहरी और ग्रामीण दोनों तरफ से अनदेखे वोटर्स को शामिल किया जा सके।

भाजपा की रणनीति: वोटर लिस्ट को जनसंपर्क का माध्यम बनाना

उत्तर प्रदेश के भाजपा नेता सिंह ने लखनऊ में एक बैठक में कहा, "हमारे बूथ कमेटी के सदस्यों के लिए यह जिम्मेदारी है कि कोई भी योग्य मतदाता अपना मत न डाल पाए।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस अभियान के दौरान जनता से बातचीत के जरिए सरकार की विकास योजनाओं, जैसे उज्ज्वला योजना या प्रधानमंत्री आवास योजना, के बारे में जानकारी दी जाएगी। यह वोटिंग अधिकार के साथ-साथ नीतिगत संचार का भी एक अवसर है।

विरोधी दल का सवाल: क्या यह सच में निष्पक्ष है?

विरोधी दल का सवाल: क्या यह सच में निष्पक्ष है?

2025 के चुनावी विवाद के बाद, जब राहुल गांधी ने कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में "वोट चोरी" का आरोप लगाया था, तो निर्वाचन आयोग ने इसे खारिज कर दिया था। अब यह SIR अभियान उनी से ज्यादा संवेदनशील है। क्या इस बार भी कोई लिस्ट में हेरफेर हो रहा है? निर्वाचन आयोग ने अपनी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ड्राफ्ट लिस्ट को ऑनलाइन और स्थानीय पंचायत घरों पर प्रकाशित करने का फैसला किया है। लेकिन अभी भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी पहुंच संदेह के बिंदु है।

आने वाले चुनावों के लिए तैयारी

इस SIR का सीधा संबंध 2026 में होने वाले चार राज्यों के चुनावों से है: तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और गोवा। इन राज्यों में वोटर लिस्ट में हुई छोटी-छोटी तालमेल की गलती भी नतीजे बदल सकती है। वहीं, असम में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नागरिकता जांच के तहत अलग अभियान चल रहा है — जिससे देश में वोटिंग के नियमों के बारे में अलग-अलग व्याख्याएं बन रही हैं।

संविधान की धारा 324 के तहत एक अनिवार्य जिम्मेदारी

यह सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि निर्वाचन आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है। धारा 324 और वोटर रजिस्ट्रेशन नियम, 1960 के तहत, आयोग को हर योग्य नागरिक को मतदान का अधिकार देना है और अयोग्यों को हटाना है। यह कोई राजनीतिक चाल नहीं, बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद है। अगर एक भी योग्य वोटर लिस्ट में नहीं है, तो चुनाव की वैधता सवाल में आ जाती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या मैं अपना नाम वोटर लिस्ट में जोड़वा सकता हूं अगर मैंने अभी तक कभी रजिस्टर नहीं किया?

हां, आप फॉर्म-6 के जरिए अपना नाम जोड़ सकते हैं। बूथ स्तरीय अधिकारी आपके घर पर आकर इस फॉर्म को भरने में मदद करेंगे। आपको बस अपना आधार कार्ड और एक हाल की फोटो लेकर आना है। आप 9 दिसंबर, 2025 तक ड्राफ्ट लिस्ट में दावा दायर कर सकते हैं।

अगर मेरा नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है, तो मैं क्या करूं?

पहले अपने बूथ के BLO से संपर्क करें — वे आपकी जानकारी की जांच करेंगे। अगर आपका नाम गायब है, तो आप 9 दिसंबर से 8 जनवरी, 2026 तक ड्राफ्ट लिस्ट पर दावा दर्ज कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपना पहचान पत्र और पता साबित करने के दस्तावेज चाहिए।

क्या बूथ स्तरीय अधिकारी बार-बार आएंगे अगर मैं घर पर नहीं हूं?

हां, BLOs कम से कम तीन बार आते हैं — सुबह, दोपहर और शाम के समय। अगर आप घर पर नहीं हैं, तो वे आपके पड़ोसियों से जानकारी लेते हैं और आपके लिए एक नोट छोड़ देते हैं। आप उस पर दर्ज किए गए नंबर पर कॉल कर सकते हैं।

क्या यह अभियान निर्वाचन आयोग के लिए कोई राजनीतिक फायदा दे रहा है?

निर्वाचन आयोग ने इसे एक निष्पक्ष अभियान बताया है। लेकिन वास्तविकता यह है कि जिन राज्यों में चुनाव आ रहे हैं, उनमें वोटर लिस्ट की सुधार की गति तेज है। यह अभियान लोकतंत्र के लिए जरूरी है, लेकिन इसकी निष्पक्षता की निगरानी नागरिकों और निगरानी संगठनों के द्वारा ही सुनिश्चित की जा सकती है।

2026 के चुनावों में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?

अगर वोटर लिस्ट में नए योग्य मतदाताओं को शामिल किया गया, तो युवा और महिला मतदाताओं का प्रभाव बढ़ेगा। इससे वोटिंग टर्नआउट बढ़ सकता है, जिससे छोटे दलों के लिए अवसर खुल सकते हैं। विरोधी दलों के लिए यह एक चुनौती भी है — अगर वे इस अभियान को नजरअंदाज करते हैं, तो अपने वोटर्स को खो सकते हैं।

क्या लक्षद्वीप और अंडमान जैसे द्वीपों में भी यह प्रक्रिया लागू हो रही है?

हां, यह अभियान सभी 12 क्षेत्रों में एक जैसा लागू है। द्वीपों में BLOs नौकाओं या हेलीकॉप्टर के जरिए जाते हैं। लक्षद्वीप में 98% वोटर्स का नाम ड्राफ्ट लिस्ट में था, जो देश का सबसे ऊंचा अनुपात है। यह दर्शाता है कि अगर व्यवस्था ठीक हो, तो यह अभियान किसी भी जगह सफल हो सकता है।