विजय कोई सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक विजय, जीत का अनुभव जो खेल, राजनीति और जीवन के हर क्षेत्र में अलग अलग रूप लेता है है। ये विजय कभी एक टी20 मैच में डेवन कॉनवे के 59* रनों से आता है, तो कभी नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत की 140 रनों की जीत से। कभी ये विजय निर्वाचन आयोग के बूथ स्तरीय अभियान में 51 करोड़ मतदाताओं को सही सूची में शामिल करने की कामयाबी होता है। ये विजय कभी एक 17 साल की तीरंदाज़ शीतल देवी के पैरालंपिक ब्रॉंज से जुड़ा होता है, तो कभी एक नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरिना मैचाडो के लिए वेनेज़ुएला की आज़ादी की लड़ाई से।
विजय का रास्ता कभी सीधा नहीं होता। जब भारत ने श्रीलंका को सुपर ओवर में हराया, तो वो विजय एक बार फिर साबित कर दिया कि दबाव में भी जीत संभव है। जब अहमद शहजाद ने विराट कोहली की तुलना बाबर आज़ाम से की, तो वो विजय के बारे में एक और सवाल खड़ा कर दिया — क्या विजय सिर्फ स्कोरबोर्ड पर दिखता है, या उसकी नींव टीम के अंदरूनी तनाव और नेतृत्व में छिपी होती है? वहीं निर्वाचन आयोग का बूथ स्तरीय अभियान, जिसमें 51 करोड़ नाम शामिल हुए, विजय को एक नए आयाम में दिखाता है — एक ऐसा विजय जो बिना तांगड़े और बिना बैंड बाजे के, सिर्फ एक लिस्ट बनाकर आया।
विजय कभी एक टेनिस टूर्नामेंट में जैनिक सिनर के विंब्लडन जीतने से जुड़ा होता है, तो कभी एक बग हमले से रुके महिला क्रिकेट मैच में भारत की 88 रनों की जीत से। ये विजय न सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि उन लोगों के दिलों में भी रहता है जिन्होंने इसे बनाया। आज आपके सामने ये सभी कहानियाँ हैं — जहाँ खेल का विजय, राजनीति का विजय, और जीवन का विजय एक ही लहर में बह रहे हैं। ये लिस्ट आपको बताएगी कि विजय कैसे बनता है — चाहे वो मैदान में हो, बूथ पर हो, या फिर किसी अज्ञात तीरंदाज़ के तीर के उड़ने के बाद।