तमिलगा वेत्री कझगम: तमिलनाडु की राजनीति, चुनाव और समाज की असली कहानी

तमिलगा वेत्री कझगम, तमिलनाडु की एक प्रमुख राजनीतिक गतिविधि जो राज्य के नागरिकों के अधिकारों और चुनावी पारदर्शिता के लिए लड़ती है का मतलब है ‘तमिलनाडु की जीत’। ये सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो राज्य के लाखों नागरिकों के लिए अपने अधिकारों की रक्षा करने का नारा लगाता है। यह तमिलनाडु की राजनीति के दिल में बसा हुआ है, जहाँ चुनावी निर्णय, मतदाता सूची की स्पष्टता और राज्य सरकार की जिम्मेदारी एक साथ जुड़ी हुई हैं।

टीएमसी इस आंदोलन का सबसे बड़ा प्रतिनिधि है। जब मतदाता सूची में हजारों नाम हटाए जा रहे हैं, तो टीएमसी ने इसे ‘मौन अदृश्य हेराफेरी’ बताया। ये नहीं है कि कोई नाम गायब हो गया, बल्कि ये है कि जिन लोगों को वोट देने का अधिकार है, उनकी आवाज़ दबा दी जा रही है। चुनाव आयोग के खिलाफ ये आरोप बस एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक लोकतंत्र की जान बचाने की कोशिश है। अगर एक व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से हट जाए, तो उसका वोट नहीं गया, बल्कि उसका अधिकार छीन लिया गया।

इसी वजह से 12 राज्यों में बूथ स्तरीय अभियान शुरू हुए। ये नहीं कि आपको एक फॉर्म भरना है, बल्कि आपको अपने बूथ पर जाकर अपना नाम देखना है। अगर आपका नाम नहीं है, तो आपको इस बात का एहसास होना चाहिए कि आपकी आवाज़ नहीं, बल्कि आपका अधिकार खतरे में है। तमिलगा वेत्री कझगम का मकसद यही है — कि हर वोटर को अपना अधिकार याद दिलाया जाए।

ये सिर्फ तमिलनाडु की बात नहीं। जब पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची को लेकर विवाद हो रहा है, तो ये साफ है कि ये एक राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है। जहाँ एक ओर निर्वाचन आयोग 51 करोड़ मतदाताओं को शामिल कर रहा है, वहीं दूसरी ओर टीएमसी जैसे समूह उसी सूची में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं। ये टकराव कोई छोटी बहस नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आधारशिला पर सवाल है।

अगर आप तमिलनाडु के रहने वाले हैं, तो आपको ये जानना ज़रूरी है कि आपका नाम मतदाता सूची में है या नहीं। अगर आप भारत के किसी भी हिस्से से हैं, तो आपको ये समझना चाहिए कि जो तमिलगा वेत्री कझगम के खिलाफ बोल रहा है, वो आपके अधिकार के खिलाफ बोल रहा है। ये आंदोलन तमिलनाडु के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए है।

इस पेज पर आपको ऐसी ही खबरें मिलेंगी — जो सिर्फ समाचार नहीं, बल्कि आपके अधिकारों के बारे में सच्चाई बताती हैं। चाहे वो टीएमसी का आरोप हो, चाहे मतदाता सूची की गड़बड़ी हो, या चुनाव आयोग की अनदेखी — यहाँ हर खबर आपके लिए एक चेतावनी और एक अवसर है।

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  • नव॰, 24 2025

करूर में विजय की रैली में भगदड़ के कारण 36 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 8 बच्चे और 16 महिलाएं शामिल। मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्रत्येक परिवार को 10 लाख रुपये की मदद की घोषणा की।