रैली त्रासदी: भारत में रैलियों से जुड़ी घटनाएँ, कारण और परिणाम

रैली त्रासदी एक ऐसी घटना है जो भारत के राजनीतिक और सामाजिक वातावरण में अक्सर देखी जाती है। रैली त्रासदी, जनसमूह के नियंत्रण में विफलता के कारण होने वाली जानलेवा घटना, जिसमें भीड़ के दबाव, अनियोजित आवागमन या सुरक्षा व्यवस्था की कमी से लोगों की मौत हो जाती है। ये घटनाएँ आमतौर पर बड़े राजनीतिक इकाई के अवसरों पर, जैसे चुनाव रैलियों, धार्मिक यात्राओं या जन आंदोलनों के दौरान होती हैं। इनका कारण कभी भीड़ का अनियंत्रित बढ़ना होता है, कभी सड़कों की अपर्याप्त चौड़ाई, और कभी सुरक्षा बलों का अनुपस्थित या अक्षम होना।

इन त्रासदियों के पीछे कई बार एक ही बात छिपी होती है — जनसमूह नियंत्रण, रैलियों के दौरान भीड़ के आवागमन को सुरक्षित और क्रमबद्ध तरीके से प्रबंधित करने की क्षमता। जब हजारों लोग एक ही दिशा में बहुत घने हो जाते हैं, तो एक छोटी सी गलती — जैसे बारिश, बिजली का जाना, या एक बिल्ली के भाग जाने जैसी घटना — पूरे जमाव को बदल सकती है। इसी तरह, सुरक्षा व्यवस्था, रैली के स्थान, समय और भीड़ के आकार के अनुसार तैनात की जाने वाली पुलिस, CRPF या अन्य बलों की व्यवस्था भी अक्सर अपर्याप्त होती है। कई बार लोगों को अपनी जान बचाने के लिए भागने का रास्ता नहीं मिलता, और यही त्रासदी का अंतिम रूप बन जाता है।

भारत में पिछले कई दशकों से ऐसी घटनाएँ हुई हैं — कुछ इतनी बड़ी कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर जांच के लिए भेज दिया गया। लेकिन अक्सर इनके बाद भी कुछ बदलता नहीं। रैली त्रासदी सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक निर्माण है — नियोजन की कमी, जिम्मेदारी के बंटवारे और जनता के प्रति उपेक्षा का नतीजा।

इस पेज पर आपको ऐसी ही घटनाओं की ताज़ा और विश्लेषणात्मक खबरें मिलेंगी — जहाँ रैलियों के दौरान क्या हुआ, किसकी गलती थी, कौन जिम्मेदार है, और अगली बार कैसे बचा जा सकता है। ये खबरें आपको बताएंगी कि जब भीड़ बढ़ जाती है, तो सुरक्षा का क्या मतलब होता है। ये वो बातें हैं जिनके बारे में आपने शायद सोचा भी नहीं, लेकिन जिनके बिना भारत की राजनीति को समझना अधूरा है।

करूर में विजय की रैली में भगदड़: 36 लोगों की मौत, 8 बच्चे और 16 महिलाएं शामिल
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करूर में विजय की रैली में भगदड़: 36 लोगों की मौत, 8 बच्चे और 16 महिलाएं शामिल

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  • नव॰, 24 2025

करूर में विजय की रैली में भगदड़ के कारण 36 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 8 बच्चे और 16 महिलाएं शामिल। मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्रत्येक परिवार को 10 लाख रुपये की मदद की घोषणा की।