जब बात नॉर्वेजियन नोबेल समिति, एक स्वतंत्र नॉर्वेजियन संस्था है जो प्रत्येक वर्ष नोबेल शांति पुरस्कार के लिए laureates का चयन करती है. इसे अक्सर नोबेल शांति समिति कहा जाता है. इस समिति की जड़ें अल्फ्रेड नोबेल, दुर्लभ आविष्कारक और शांति के समर्थक में हैं, जिनके वैसा बगल में उनके वसीयत ने नोबेल शांति पुरस्कार, विश्व के सबसे प्रतिष्ठित शांति सम्मान की स्थापना की. इस प्रकार "अल्फ्रेड नोबेल → नोबेल शांति पुरस्कार" की सीधा संबंध स्थापित होता है.
नॉर्वेजियन नोबेल समिति नॉर्वेजियन संसद, स्टोर्टिंग (Storting) के कुछ सदस्यों द्वारा नियुक्त पाँच सदस्यों से मिलकर बनती है. हर साल वे "पर्याप्त विविधता → निष्पक्ष मतदान" सिद्धांत का पालन करके laureates चुनते हैं. चयन प्रक्रिया में तीन मुख्य चरण होते हैं: (1) संभावित नामांकन का संग्रह, (2) स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा मूल्यांकन, (3) अंतिम मतदान. इस क्रम में "समिति संरचना → चयन प्रक्रिया" का स्पष्ट ट्रांसपरेंसी स्थापित होता है. प्रक्रिया को समझने में मदद करने के लिए समिति अक्सर "नॉर्वेजियन नोबेल समिति चयन दिशानिर्देश" प्रकाशित करती है, जो उम्मीदवारों के "शांति‑प्रसार, मानवाधिकार, अंतरराष्ट्रीय सहयोग" जैसे मानदंडों को रेखांकित करता है.
वास्तव में, समिति के निर्णय कई बार वैश्विक चर्चाओं को जन्म देते हैं. उदाहरण के तौर पर 2023 में उन्होंने Malala Yousafzai को सम्मानित किया, जिससे शिक्षा के अधिकार पर नया प्रकाश पड़ा. 2021 में यूरोपीय संघ की भूमिका को मान्यता मिले, जिससे अंतरराष्ट्रीय नीति‑निर्माण में शांति‑प्रोत्साहन का महत्व उभरा. इस तरह "लौरेटर चयन → वैश्विक शांति प्रभाव" एक स्थायी कड़ी बनती है. इन laureates के कार्यों को अक्सर "शांति‑प्रोजेक्ट्स" के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जिससे आम जनता को उनके योगदान का स्पष्ट चित्र मिलता है.
अब आप इस पेज पर मिलने वाले लेखों की थोड़ी झलक देख सकते हैं. यहाँ आपको हालिया नॉर्वेजियन नोबेल समिति के निर्णयों की विस्तृत समीक्षा, चयन प्रक्रिया के अंदरूनी पहलू, और प्रमुख laureates की कहानियाँ मिलेंगी. चाहे आप छात्र हों, पत्रकार हों या सिर्फ शांति‑सम्बन्धी खबरों में रूचि रखते हों, यहाँ की सामग्री आपके लिए उपयोगी और व्यवहारिक होगी. आगे चलकर हम विभिन्न समय‑सीमा में समिति के निर्णयों के सामाजिक‑राजनीतिक प्रभाव को भी तोड़‑तोड़ कर पेश करेंगे, तो पढ़ते रहें.
María Corina Machado को नोबेल शांति पुरस्कार मिला, जबकि डोनाल्ड ट्रम्प का नामांकन खारिज हुआ; पुरस्कार का वेनेज़ुएला और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर बड़ा असर होगा।