मतदाता सूची: वोटर लिस्ट अपडेट, बूथ स्तरीय अभियान और वोटिंग अधिकार

जब आप किसी चुनाव में वोट देते हैं, तो आपका नाम मतदाता सूची, एक ऐसी ऑफिशियल लिस्ट है जिसमें भारत के हर वयस्क नागरिक का नाम और बूथ विवरण दर्ज होता है, जिससे उसका वोटिंग अधिकार पुष्टि होता है के जरिए पहचाना जाता है। ये सूची कोई आम डेटा नहीं, बल्कि आपके लोकतंत्र का एक अहम हिस्सा है। अगर आपका नाम इसमें नहीं है, तो आप वोट नहीं दे सकते। इसीलिए निर्वाचन आयोग हर साल इसे अपडेट करता है, नए वोटर्स को जोड़ता है, और मरे हुए या जहाँ नहीं रहे लोगों को हटाता है।

2025 में, निर्वाचन आयोग, भारत का संवैधानिक निकाय जो चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने की जिम्मेदारी रखता है ने 12 राज्यों में बूथ स्तरीय अभियान, एक ऐसा स्थानीय स्तर का अभियान है जिसमें अधिकारी सीधे बूथ पर जाकर घर-घर जाकर वोटर डेटा अपडेट करते हैं शुरू किया। इसमें 51 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं को शामिल किया गया। ये अभियान सिर्फ नाम जोड़ने के लिए नहीं, बल्कि गलत डेटा, डुप्लिकेट नाम और बूथ बदलाव को ठीक करने के लिए है। आपके बूथ का नंबर बदल गया है? आपका नाम गायब है? ये अभियान आपके लिए वो सुविधा बन गया है जिसकी आपको जरूरत है।

ये सूची आपका अधिकार है, न कि एक अनुमति। आपको इसे अपडेट करवाने के लिए किसी को नहीं बुलाना पड़ता। ऑनलाइन फॉर्म भरना, ई-पीएफआई ऐप डाउनलोड करना, या बूथ स्तरीय अधिकारी से संपर्क करना — सब आसान है। अगर आप अपना नाम लिस्ट में नहीं पाते, तो ये आपकी गलती नहीं है, बल्कि प्रणाली की जिम्मेदारी है। आज के दौर में, वोटिंग अधिकार, एक ऐसा संवैधानिक अधिकार है जो आपको अपने नेता चुनने की शक्ति देता है, और जिसके बिना लोकतंत्र अधूरा है बस एक शब्द नहीं, बल्कि एक कार्रवाई है।

इस पेज पर आपको वोटर लिस्ट से जुड़ी सभी ताजा खबरें मिलेंगी — कौन से राज्यों में अभियान चल रहा है, ड्राफ्ट लिस्ट कब जारी हो रही है, और किस तरह आप अपना नाम जोड़ सकते हैं। आपके बूथ के बारे में क्या बदलाव हुए हैं? क्या आपके पड़ोस में कोई नया वोटर जुड़ा है? ये सभी जानकारी यहाँ एक जगह पर है। आपका वोट, आपकी आवाज़ है। और ये सूची, उस आवाज़ को सुनने का रास्ता।

टीएमसी आरोप: निर्वाचन आयोग और भाजपा की मिलीभगत से मतदाता सूची में हुई बड़ी गड़बड़ी
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टीएमसी आरोप: निर्वाचन आयोग और भाजपा की मिलीभगत से मतदाता सूची में हुई बड़ी गड़बड़ी

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  • नव॰, 10 2025

टीएमसी ने निर्वाचन आयोग और भाजपा पर आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया के तहत पश्चिम बंगाल में हजारों मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं, जिसे 'मौन अदृश्य हेराफेरी' बताया जा रहा है।