यह पेज उन लोगों के लिए है जो मनीष सिसोदिया से जुड़ी खबरें, अदालत की कार्यवाही और उनकी नीतियों पर भरोसेमंद जानकारी चाहते हैं। यहाँ आप हर नए विकास — बयान, अदालत की तारीखें, सरकारी रिपोर्ट और शिक्षा से जुड़ी पहल के बारे में सीधा और साफ-सुथरा अपडेट पाएंगे। अगर आप तेज़ी से मुख्य बिंदु समझना चाहते हैं तो यह टैग पेज उपयोगी रहेगा।
सबसे पहले, ऊपर दिए गए पोस्ट लिस्ट को समयानुसार पढ़ें — सबसे नया पहले। हर लेख के साथ सार दिया गया है ताकि आप तुरंत समझ सकें कि खबर न्यायिक कार्रवाई, राजनीतिक बयान या नीति से जुड़ी है। अदालत से जुड़े मामलों में हम तारीख, उपस्थित पक्ष और मुख्य दलीलें संक्षेप में देते हैं ताकि आपको पूरा केस पढ़ने की ज़रूरत न पड़े।
क्या आप किसी विशेष अपडेट को ट्रैक करना चाहते हैं? पेज पर उपलब्ध फिल्टर और सर्च का इस्तेमाल करें: 'कानूनी', 'शिक्षा', 'AAP बयान' जैसे टैग जल्दी परिणाम देंगे। लंबे केसों के लिए हम टाइमलाइन भी देते हैं — गिरफ्तारी, चार्जशीट, कोर्ट सुनवाई और फ़ैसला — ताकि घटनाक्रम समझना आसान रहे।
यहाँ मिलने वाली रिपोर्टिंग तीन तरह की रहती है: 1) ताज़ा घटनाक्रम — कोर्ट की सुनवाई, नई एफआईआर या गिरफ्तारी से जुड़ी खबरें; 2) विश्लेषण — नीतियों और बयान का अर्थ, राजनीतिक निहितार्थ; 3) दस्तावेजी सार — सरकारी रिपोर्ट, कोर्ट ऑर्डर या आधिकारिक बयान का संक्षेप। हर प्रकार की रिपोर्ट में स्रोत और तारीख स्पष्ट होती है ताकि आप पढ़कर तुरंत समझ सकें कि खबर किस स्थिति पर आधारित है।
उदाहरण के तौर पर, शिक्षा से जुड़े पुराने प्रयोग और स्कूल सुधारों पर लेखों में आसानी से पढ़ पाएंगे कि किन पहलों से क्या असर देखने को मिला। जबकि कानूनी कवरेज में हम नौटंकी नहीं करते — सिर्फ़ फेक्ट और ऑफिसियल रिकॉर्ड पर जोर देते हैं।
न्यूज़ पढ़ते समय कुछ बातें ध्यान में रखें: आधिकारिक दस्तावेज़ और कोर्ट रिकॉर्ड सबसे विश्वसनीय होते हैं; अनौपचारिक सूत्र या सोशल पोस्ट को क्रॉस-चेक करें। अगर किसी रिपोर्ट में फैक्ट चेक की ज़रूरत लगे तो हम लिंक देते हैं जिससे आप मूल स्रोत देख सकें।
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सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में जमानत दी है। कोर्ट ने 17 महीने की लंबी हिरासत को उनके त्वरित न्याय के अधिकार का उल्लंघन माना। कोर्ट ने 'जमानत एक नियम, जेल एक अपवाद' को न सिर्फ रेखांकित किया बल्कि निचली अदालतों के आमद हिचकिचाहट पर भी सवाल उठाया।