छठ पूजा: परंपरा, रिवाज और भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसकी विशेषताएँ

छठ पूजा एक छठ पूजा, भारतीय हिंदू परंपरा में सूर्य देव और छठ देवी की पूजा का एक प्राचीन और शुद्ध रूप है, जो जीवन, ऊर्जा और अस्तित्व के स्रोत के लिए आभार व्यक्त करती है। इसे छठ बाप और छठ माता की पूजा भी कहते हैं, और यह भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से और नेपाल के कुछ हिस्सों में सबसे बड़े धार्मिक त्योहारों में से एक है।

इस त्योहार का मुख्य आधार है छठ देवी, सूर्य की शक्ति की प्रतिमूर्ति, जिन्हें जीवन देने वाली और बीमारियों से बचाने वाली माना जाता है। लोग इन्हें सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अर्घ्य देते हैं, जिसमें फल, दूध, चावल और गुड़ का उपयोग होता है। यह अर्घ्य नदियों के किनारे, खासकर गंगा घाट, जहाँ पानी शुद्ध और पवित्र माना जाता है, और जहाँ लोग दिनभर जल में खड़े होकर पूजा करते हैं पर दिया जाता है। इसके लिए तीन दिन का व्रत रखा जाता है, जिसमें निर्जला व्रत और बिना नमक के भोजन शामिल हैं।

छठ पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। यह त्योहार वर्ष में एक बार ही आता है, लेकिन इसकी तैयारियाँ हफ्तों पहले शुरू हो जाती हैं। घरों में बाँस के झाड़ू से सफाई, शाम को दीपक जलाना, और बच्चों को गीत सिखाना — ये सब इसका हिस्सा हैं। इसमें कोई ब्राह्मण नहीं होता, कोई पंडित नहीं होता, सिर्फ भक्त का दिल और उसकी श्रद्धा। यही वजह है कि इसे दुनिया का सबसे शुद्ध और सरल त्योहार माना जाता है।

आप इस संकलन में छठ पूजा के विभिन्न पहलुओं को देख सकते हैं — गाँवों में इसका तरीका, शहरों में इसकी नई आकृति, लोगों के अनुभव, और यह कि इस त्योहार ने आज भी अपनी शक्ति कैसे बनाए रखी है।

छठ पूजा 2025: 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक, सूर्य को अर्घ्य देकर बनेगी आत्मा की शुद्धि
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छठ पूजा 2025: 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक, सूर्य को अर्घ्य देकर बनेगी आत्मा की शुद्धि

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  • अक्तू॰, 28 2025

छठ पूजा 2025 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक मनाई जाएगी, जिसमें बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लाखों भक्त सूर्य देव और छठ मइया को अर्घ्य देंगे। यह त्योहार विश्वभर में भारतीय परिवारों द्वारा मनाया जा रहा है।