जब चक्रवात, एक तीव्र वायुमंडलीय घटना जो तेज हवाओं और भारी बारिश के साथ आती है भारत के किनारों पर टकराता है, तो ये सिर्फ मौसम की बात नहीं होती—ये जीवन, शिक्षा और सुरक्षा को बदल देता है। चक्रवात का सीधा असर बारिश पर पड़ता है, और यही बारिश जम्मू जैसे इलाकों में स्कूलों को बंद करने का कारण बन जाती है। जब इंडियन मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट चेतावनी जारी करता है, तो ये सिर्फ एक अलर्ट नहीं होता, बल्कि लाखों लोगों के दिन का फैसला बदल देता है।
ये चक्रवात सिर्फ तटीय इलाकों तक सीमित नहीं रहते। जब उत्तरी भारत में लगातार भारी बारिश होती है, तो ये चक्रवात के बाकी हिस्सों का असर होता है। वो बारिश जिसने जम्मू के स्कूल बंद कर दिए, वो वैष्णो देवी की यात्रा को भी रोक देती है। ये चक्रवात का एक अलग रूप है—जहाँ हवा कम दिखे, लेकिन पानी का बोझ बहुत ज्यादा हो। भारी बारिश, चक्रवात के बाद आने वाली लंबी और अनियमित बारिश जो बाढ़ और भूस्खलन का कारण बनती है भारत के बहुत से इलाकों में आपदा प्रबंधन की चुनौती बन जाती है। ये बारिश न केवल घरों को नुकसान पहुँचाती है, बल्कि बच्चों की शिक्षा, यातायात और आपातकालीन सेवाओं को भी ठप कर देती है।
चक्रवात और उसके बाद की बारिश के बीच एक सीधा रिश्ता है। जब कोई चक्रवात बनता है, तो उसका असर दूर तक फैलता है। इसीलिए जब दिल्ली सरकार ग्रीन पटाखे के लिए अनुमति माँगती है, तो ये भी एक तरह की चेतावनी है—कि हमारा मौसम बदल रहा है, और हमें उसके साथ अपनी आदतें भी बदलनी होंगी। चक्रवात के बाद जो बारिश होती है, वो कभी सिर्फ बारिश नहीं होती। वो असल में एक आपदा होती है जो शहरों को बंद कर देती है, गाँवों को अलग कर देती है, और जिंदगी को रोक देती है।
इस लिस्ट में आपको ऐसी ही खबरें मिलेंगी—जहाँ चक्रवात और उसके असर के बारे में सच्चाई छिपी है। कुछ खबरें बारिश के कारण स्कूल बंद होने की हैं, कुछ आपदा प्रबंधन की, और कुछ उन लोगों की हैं जिन्हें इसका सीधा असर झेलना पड़ता है। ये सब एक ही कहानी के हिस्से हैं—जहाँ मौसम निर्णय लेता है, और हमें उसके साथ चलना पड़ता है।
सेन्यार और दित्वाह दो चक्रवात एक साथ बंगाल की खाड़ी को घेर रहे हैं। भारतीय मौसम विभाग ने तमिलनाडु, पुडुचेरी और अंडमान-निकोबार में भारी बारिश और तूफानी हवाओं की चेतावनी जारी की है।