जब आप अपना वोट डालते हैं, तो आपके पीछे एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसकी भूमिका कभी दिखाई नहीं देती — बूथ स्तरीय अधिकारी, चुनाव प्रक्रिया के सबसे छोटे लेकिन सबसे ज़रूरी अंग, जो मतदान केंद्र पर रोज़ाना अपनी जिम्मेदारियाँ निभाता है। ये लोग न तो टीवी पर आते हैं और न ही खबरों में आते हैं, लेकिन बिना इनके कोई भी चुनाव संभव नहीं। ये अधिकारी मतदान के दिन अपने बूथ पर सुबह 6 बजे पहुँच जाते हैं, वोटिंग मशीन चेक करते हैं, मतदाताओं की पहचान करते हैं, और शाम तक हर वोट को सही तरीके से दर्ज करते हैं।
ये अधिकारी चुनाव अधिकारी, निर्वाचन आयोग के निर्देशों को बूथ पर लागू करने वाले अंतिम कड़ी हैं होते हैं। उनके पास बूथ का पूरा ज़िम्मा होता है — वोटर लिस्ट अपडेट करना, भ्रष्टाचार की शिकायत सुनना, वोटिंग बॉक्स की सुरक्षा, और अगर कोई गड़बड़ हो तो तुरंत रिपोर्ट करना। इनकी भूमिका सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। जब कोई बुजुर्ग या पहली बार वोट डालने वाला युवा उलझ जाता है, तो बूथ स्तरीय अधिकारी ही उसे समझाता है। ये लोग वोटर की भरोसा बनाते हैं।
इन अधिकारियों के बिना चुनाव का कोई अर्थ नहीं। आपके शहर का एक बूथ स्तरीय अधिकारी अगर भ्रष्ट हो गया, तो वहाँ के 500-1000 वोट गायब हो सकते हैं। अगर वह ईमानदार है, तो उसके बूथ से एक नागरिक का वोट देश के भविष्य को बदल सकता है। ये लोग आम आदमी की आवाज़ हैं — जिनकी भूमिका किसी भी बड़े नेता से कम नहीं।
यहाँ आपको ऐसे ही कई ऐसे कहानियाँ मिलेंगी जहाँ बूथ स्तरीय अधिकारी ने चुनाव को सही रास्ते पर लाया, जहाँ नागरिकों ने उनकी मदद से अपना वोट डाला, और जहाँ निर्वाचन आयोग के नियमों का असली असर दिखा। इन लेखों में आप देखेंगे कि कैसे एक छोटा सा बूथ देश के नेतृत्व को तय करता है।
निर्वाचन आयोग ने 12 राज्यों में वोटर लिस्ट सुधार के लिए बूथ स्तरीय अभियान शुरू किया है, जिसमें 51 करोड़ मतदाताओं को शामिल किया गया है। ड्राफ्ट लिस्ट 9 दिसंबर को जारी होगी, और अंतिम लिस्ट 7 फरवरी, 2026 को जारी की जाएगी।