महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024: एक महत्वपूर्ण मुकाबला
महाराष्ट्र की राजनीति के इतिहास में आने वाला चुनाव एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह मतदान 20 नवम्बर को पूरे महाराष्ट्र के 288 विधानसभा क्षेत्रों में सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक आयोजित होगा। यह चुनाव मुख्य रूप से दो प्रमुख गठबंधनों के बीच है: भाजपा-नेतृत्व वाली महायूति और महाविकास आघाड़ी (एमवीए)। महायूति में भाजपा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना, और उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी शामिल है। दूसरी ओर, एमवीए में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल है।
इस चुनाव में कुल 4,140 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में हैं। भाजपा जहां 149 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, वहीं शिवसेना 81 और अजीत पवार की पार्टी 59 सीटों पर अपनी दावेदारी पेश करेगी। कांग्रस ने 101 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, शिवसेना (यूबीटी) 95, और एनसीपी (शरद पवार) 86 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
मतदान परिणाम और संसदीय सत्र पर उनका प्रभाव
इस चुनाव परिणाम का घोषणा 23 नवम्बर को किया जाएगा। जिसका प्रभाव आने वाले संसद के शीतकालीन सत्र, जो 25 नवम्बर से शुरु होकर 20 दिसम्बर तक चलेगा, पर भी देखा जाएगा। यह सत्र राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि सरकार को विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
सुरक्षा के इंतजाम और मतदाता सुविधाएं
चुनाव आयोग ने सुचारू और शांतिपूर्ण मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की है। गुजरात से आए गृहरक्षक बलों की सहायता ली जा रही है, विशेषकर नासिक जैसे जिलों में। ठाणे में मतदाताओं को मतदान केंद्रों की पहचान करने में सहायता के लिए क्यूआर कोड का उपयोग किया गया है। इस तकनीकी सहायता का उद्देश्य मतदान प्रक्रिया को सरल बनाना और जनता की अधिकाधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।
चुनावी प्रचार और रणनीतियाँ
प्रमुख दलों के नेता जैसे राहुल गांधी, जेपी नड्डा और एकनाथ शिंदे इस दौर में जोरदार प्रचार कर रहे हैं। राहुल गांधी चुनाव को एक विचारधारा की लड़ाई के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जबकि जेपी नड्डा पुलिसियों को लेकर एमवीए की तीखी आलोचना कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस व एनसीपी पर धर्म आधारित आरक्षण नीतियों के प्रमोट करने का आरोप लगाया है।
महत्वपूर्ण मुद्दे और रणनीतियाँ
चुनाव के दौरान कई ज्वलंत मुद्दे उभरे हैं, जिनमें किसानों के कर्ज माफ करने की योजनाएं, महिलाओं की सुरक्षा और रोजगार अवसरों में वृद्धि शामिल हैं। इन मुद्दों के समाधान में कौन गठबंधन प्रभावी साबित होता है, यह देखने वाली बात होगी। इसके अतिरिक्त, राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के उपाय भी प्रमुख रूप से उभर कर आए हैं।
मतदान के परिणाम राष्ट्रीय राजनीति की दिशा को भी प्रभावित कर सकते हैं, खासकर संसद के आगामी सत्र की दृष्टि से। ऐसी स्थिति में दोनों गठबंधन अपने-अपने प्लैंक पर कितनी मजबूती से खड़े रहते हैं, यह देखने लायक होगा, क्योंकि यह न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक संतुलन बदल सकता है।