जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव: कांग्रेस और बीजेपी की रणनीति
जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है और सभी राजनीतिक दल तैयारियों में लग गए हैं। इस बार का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहली विधानसभा चुनाव होगा जब से 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाया गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया।
कांग्रेस की उम्मीदवारों की सूची
कांग्रेस पार्टी ने अपनी पहली सूची जारी की है जिसमें नौ उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के साथ सीट-बंटवारे का समझौता किया है जिसके तहत NC को 51 सीटें और कांग्रेस को 32 सीटें दी गई हैं। इस गठबंधन में CPI(M) और जम्मू और कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (JKNPP) को भी एक-एक सीट दी गई है।
जिन उम्मीदवारों के नाम कांग्रेस ने घोषित किए हैं, उनमें गुलाम अहमद मीर को डोरू से, विकर रसूल वानी को बनिहाल से, सुरिंदर सिंह चन्नी को त्राल से, अमनुल्लाह मंटू को देवसर से, पीरज़ादा मोहम्मद सैयद को अनंतनाग से, शेख जफरुल्लाह को इन्दरवाल से, नदीम शरीफ को भद्रवाह से, शेख रियाज को डोडा से और प्रदीप कुमार भगत को डोडा पश्चिम से उम्मीदवार बनाया गया है।
बीजेपी की उम्मीदवारों की सूची
वहीं बीजेपी ने भी अपनी पहली सूची जारी कर दी है जिसमें 44 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी भी इस चुनाव को लेकर पूरी तरह तैयार है। बीजेपी की सूची में 14 मुस्लिम उम्मीदवारों को स्थान दिया गया है, जिससे यह प्रतीत होता है कि पार्टी जम्मू और कश्मीर के सभी समुदायों को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रही है।
बीजेपी की सूची में प्रमुख नामों में अर्षिद भट को राजपोरा से, जावेद अहमद कादरी को शोपियां से, मोहमद रफीक वानी को अनंतनाग पश्चिम से और अडवोकेट सैयद वज़हत को अनंतनाग से शामिल किया गया है। इसके अलावा सुश्री शगुन परिहार को किश्तवार और गजाय सिंह राणा को डोडा से उम्मीदवार बनाया गया है।
चुनाव का महत्व
यह विधानसभा चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और राज्य के विभाजन के बाद पहला चुनाव है। इस चुनाव से यह पता चलेगा कि राज्य की जनता अनुच्छेद 370 के हटने और अन्य परिवर्तन के प्रति क्या सोच रखती है। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन जनता के बीच कितना लोकप्रिय होता है और बीजेपी किस तरह से अपनी स्थिति मजबूत करती है।
चुनाव के चरण और वोटों की गिनती
चुनाव आयोग के अनुसार, यह चुनाव तीन चरणों में होंगे: पहला चरण 18 सितंबर को, दूसरा 25 सितंबर को, और तीसरा 1 अक्टूबर को। वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी, जिसका जनता और राजनीतिक दल बड़ी बेचैनी से इंतजार कर रहे हैं।
इन चुनावों में कई नए चेहरे भी सामने आ रहे हैं, जिन्हें राजनीतिक अनुभव नहीं है लेकिन जनता के बीच उनकी लोकप्रियता है। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि इस बार का चुनाव कौन से नए राजनीतिक समीकरण लेकर आता है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
यह चुनाव न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। जम्मू और कश्मीर के मामले में दुनिया की नजरें हमेशा से लगी रही हैं। इसलिए यह चुनाव भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण परिक्षा होगी। दुनिया भर के देश इस पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे और इससे भारत की वैश्विक स्थिति पर भी असर पड़ सकता है।
कुल मिलाकर, यह चुनाव विभिन्न कारणों से बहुत महत्वपूर्ण है और इसमें जनता की राय का सम्मान भी शामिल है। सभी दल अपनी-अपनी रणनीति बना चुके हैं और अब इंतजार है 18 सितंबर का जब पहले चरण का मतदान होगा।
JAYESH DHUMAK
अगस्त 28, 2024 AT 00:47जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
2019 में अनुच्छेद 370 के निरसन के बाद प्रदेश दो केन्द्र शासित क्षेत्रों में विभाजित हो गया, जिससे राजनीतिक परिदृश्य में गहरा परिवर्तन आया है।
इस संदर्भ में कांग्रेस और राष्ट्रीय कांग्रेस (NC) के बीच का seat‑barring समझौता बारीकी से देखा जाना चाहिए।
कांग्रेस ने नौ उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिनमें गुलाम अहमद मीर, विकर रसूल वानी और सुरिंदर सिंह चन्नी प्रमुख नाम हैं।
वहीं बीजेपी ने 44 उम्मीदवारों की व्यापक सूची प्रस्तुत की है, जिसमें 14 मुस्लिम उम्मीदवारों को भी स्थान मिला है।
यह देखकर स्पष्ट होता है कि दोनों दल मतदान वर्ग के विविध क्षेत्रों को आकर्षित करने के लिये सामाजिक और धार्मिक संतुलन को महत्व दे रहे हैं।
चुनाव तीन चरणों में आयोजित होंगे, पहला चरण 18 सितंबर को, दूसरा 25 सितंबर को और तीसरा 1 अक्टूबर को निर्धारित है।
इन चरणों के बीच सुरक्षा व्यवस्था, मतदान केंद्रों की उपलब्धता और मतदाता भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिये प्रशासनिक तैयारी महत्वपूर्ण होगी।
विशेष रूप से दुर्गम क्षेत्रों में वोटर एजुकेशन और प्रवाह को नियंत्रित करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों का प्रयोग बढ़ाया गया है।
अधिकतम उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने हेतु चुनाव आयोग ने मतगणना को 4 अक्टूबर को तय किया है, जिससे समय पर परिणाम आने की संभावना बढ़ती है।
इस चुनाव में कई नए चेहरे उभर कर सामने आ रहे हैं, जो युवा वर्ग के आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करते हैं।
इन उम्मीदवारों की स्थानीय समझ और सामाजिक जुड़ाव पार्टी‑आधारित रणनीतियों को पूरक कर सकते हैं।
अंत में यह कहा जा सकता है कि यह चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मजबूती का परीक्षण होगा, जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तर पर भारत की छवि निर्धारित होगी।
विभिन्न राजनीतिक वैज्ञानिकों ने इस चुनाव को ससंविधानिक बदलावों के बाद के पहले प्रमुख लोकतांत्रिक अभ्यास के रूप में विश्लेषित किया है।
इसलिए नागरिकों को सूचित रहकर, मतदान केंद्र पर उपस्थित होकर तथा अपनी जमीनी समस्याओं को प्रतिनिधियों के साथ साझा करके इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए।
Santosh Sharma
सितंबर 1, 2024 AT 15:53कांग्रेस‑NC गठबंधन का सीट‑बंटवारा दर्शाता है कि दोनों दल सामुदायिक संतुलन को प्राथमिकता दे रहे हैं।
भले ही गठबंधन में कुछ मतभेद हों, पर इस तरह की तालमेल अक्सर मतदाताओं को आकर्षित करती है।
बीजेपी की व्यापक सूची में 14 मुस्लिम उम्मीदवारों का समावेश एक रणनीतिक कदम है।
आगे चलकर यह देखना दिलचस्प रहेगा कि कौन‑सी पार्टी सबसे अधिक वोटों की गिनती कर पाती है।
समग्र रूप से, हर पार्टी को अपने आधार को मजबूत करने के लिये स्थानीय मुद्दों पर फोकस करना चाहिए।
yatharth chandrakar
सितंबर 6, 2024 AT 07:00बीजेपी ने बहुत सारे उम्मीदवार निकाले हैं, जिसमें कई युवा चेहरों को भी मौका मिला है।
इस बार का चुनाव कई नई ताकतों को सामने लाने का अवसर हो सकता है।
कांग्रेस की सूची छोटे आकार की है, पर गठबंधन का असर देखना होगा।
समय के साथ यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस पार्टी की रणनीति अधिक प्रभावी रही।
वोटर एंगेजमेंट बढ़ाने के लिये सभी दलों को अधिक प्रयास करने की जरूरत है।
Vrushali Prabhu
सितंबर 10, 2024 AT 22:07बेहत दाल्ची वस्स्तेबिलिटी काइस क्यायन की लिस्ट्स.
parlan caem
सितंबर 15, 2024 AT 13:13खाली बातों में राजनीति का फालतू शोर भरते रहो।
Mayur Karanjkar
सितंबर 20, 2024 AT 04:20सेट्य लिस्ट तो देखी, पर फोकस टैक्टिकल ऐलायंस पर।
मतदाता को समझदारी से वोट देना चाहिए।
Sara Khan M
सितंबर 24, 2024 AT 19:27🗳️ चुनाव टाइम, आशा है सबका वोट 🙌
shubham ingale
सितंबर 29, 2024 AT 10:33चलो भाई, सब मिलके मतदान को सफल बनाते हैं! 🎉
Ajay Ram
अक्तूबर 4, 2024 AT 01:40जम्मू‑कश्मीर का विभाजन एक जटिल प्रक्रिया रही है, और इसके बाद की पहली विधानसभा चुनाव बहुत ही संवेदनशील माने जा रहे हैं।
वास्तव में, इस क्षेत्र में विभिन्न समुदायों के बीच संतुलन बनाये रखने की चुनौती बड़ी है, जिससे राजनीतिक गठजोड़ों की महत्ता और भी बढ़ रही है।
कांग्रेस‑NC का समझौता, जिसमें कांग्रेस को 32 सीटें और NC को 51 सीटें मिल रही हैं, यह दर्शाता है कि सामुदायिक बंटवारे पर बहुत ध्यान दिया गया है।
इसी तरह, बीजेपी ने भी अपने उम्मीदवारों की सूची में विविध समुदायों को शामिल करके अपना छवि बनाय रखने की कोशिश की है।
सेट्य एग्जीक्यूटिव कमिटी ने तीन चरणों में मतदान तय किया है, जो सुरक्षा और लॉजिस्टिक दोनों पहलुओं से समझदारी का प्रतीक है।
मतदान के बाद कई नए चेहरों का उभरना, स्थानीय राजनीति में नई ऊर्जा लाने की संभावना रखता है।
इस चुनाव में परिणाम न केवल प्रदेशीय राजनीति को, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभाव डाल सकते हैं।
अंत में, नागरिकों को सूचित रहकर, अपने मताधिकार को प्रयोग में लाना चाहिए, क्योंकि यही लोकतंत्र की रीढ़ है।
Dr Nimit Shah
अक्तूबर 8, 2024 AT 16:47हमारी मातृभूमि की एकजुटता को देखते हुए, जम्मू‑कश्मीर में सही राष्ट्रीय दल का जीतना अनिवार्य है।
यह चुनाव भारत के अस्तित्व और संप्रभुता का परीक्षण है।
भ्रष्ट दलों की राजनीति को हम सबको अस्वीकार करना चाहिए।
बीजेपी की निर्णायक और सशक्त रणनीति इस क्षेत्र में स्थिरता लाएगी।
वोटर को राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि स्थानीय बंटवारे को।
एक बार फिर, देसी मजबूत रहने के लिये राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा देना जरूरी है।
Ketan Shah
अक्तूबर 13, 2024 AT 07:53जैसे आप देख रहे हैं, राष्ट्रीय एजेंडा को प्राथमिकता देना आवश्यक है, परन्तु स्थानीय तौर‑तरीके भी अनदेखे नहीं हो सकते।
सभी पक्षों को संतुलित करने के लिये विवेकपूर्ण चयन आवश्यक है।
भले ही राष्ट्रीय दृष्टिकोण महत्वपूर्ण हो, किन्तु क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान के लिये स्थानीय प्रतिनिधियों की भूमिका अनिवार्य है।
इसलिए मतदान के समय दोनों पहलुओं को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए।
Aryan Pawar
अक्तूबर 17, 2024 AT 23:00आपके पॉइंट ठीक है, कंसिटेंटली बायल मोनिटरिंग जरूरी है।
पर वोटर लर्निंग को भी इम्प्रूव करना चाहिए।
फॉलो‑अप एक्टिविटी से वैल्यू ऐड हो सकता है।
Shritam Mohanty
अक्तूबर 22, 2024 AT 14:07कहते हैं कि इस चुनाव में विदेशी एजेंटों ने हस्तक्षेप किया है, ये सब सच है।
भाई, चुनाव आयोग के सिस्टम में गड़बड़ी है, जिससे परिणामों में फेरबदल हो सकती है।
हमारे लोग अनजाने में भी अपनी धरोहर को खतरे में डाल रहे हैं।
बहुत जरूरी है कि हम सभी जागरूक हों और इस धोखे को रोकें।
Anuj Panchal
अक्तूबर 27, 2024 AT 05:13पिछले बिंदु पर पुनर्विचार आवश्यक है, क्यूंकि इन्क्लूसिव मेंटॉरशिप के तहत डेटा‑ड्रिवेन एनालिसिस से उम्मीदवारों की प्रोफाइल का मूल्यांकन किया जा सकता है।
जम्मू‑कश्मीर में बहु-परतीय सामाजिक संरचना को देखते हुए, टर्मिनोलॉजी‑हेवी डिस्कोर्स में जटिलता को कम करने के लिये क्लस्टर्ड मॉडल अपनाया जाना चाहिए।
साथ ही, वोटर एंगेजमेंट में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का इंटीग्रेशन जरुरी है।
उपरोक्त बिंदुओं को सम्मिलित करके, हम एक अधिक पारदर्शी और इकोनॉमिकली स्थिर चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित कर सकते हैं।
अंत में, हर बर्डरलाइन वोटर को जागरूक एवं समावेशी बनाना हमारे सामुदायिक लक्ष्य के साथ संरेखित है।