लद्दाख पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की दिल्ली पुलिस द्वारा 'दिल्ली चलो पदयात्रा' के दौरान गिरफ्तारी

समाचार लद्दाख पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की दिल्ली पुलिस द्वारा 'दिल्ली चलो पदयात्रा' के दौरान गिरफ्तारी

सोनम वांगचुक और प्रदर्शनकारियों की हिरासत: क्या हुआ?

लद्दाख के प्रमुख पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और उनके साथ चल रहे लगभग 125 प्रदर्शनकारियों को दिल्ली पुलिस ने 1 अक्टूबर 2024 को सिंघु बॉर्डर पर हिरासत में लिया। ये प्रदर्शनकारी 1 सितंबर को 'दिल्ली चलो पदयात्रा' के रूप में लद्दाख के लेह से रवाना हुए थे। उनकी मांग थी कि केंद्र सरकार लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करें, जिससे वहां के लोगों को अपने स्थानीय कानून बनाने के लिए शक्तियां प्राप्त हो सकें और उनकी भूमि और संस्कृती की सुरक्षा हो सके।

क्या थी 'दिल्ली चलो पदयात्रा' की मांग?

'दिल्ली चलो पदयात्रा' का उद्देश्य था 2 अक्टूबर, गांधी जयंती के मौके पर राजघाट पर पहुंचना, लेकिन दिल्ली पुलिस द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में 6 अक्टूबर तक निषेधाज्ञा जारी कर दी गई थी, जिस कारण यह यात्रा रोकी गई। इसके बाद सोनम वांगचुक और अन्य प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अतिशी ने बवाना पुलिस स्टेशन के बाहर पुलिस द्वारा रोके जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे तानाशाही करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि वे वांगचुक और अन्य प्रदर्शनकारियों से मिलने के लिए आई थीं और इस प्रकार की कार्रवाई उचित नहीं है। राहुल गांधी ने भी इस हिरासत की आलोचना करते हुए इसे 'अस्वीकार्य' बताया और इसे किसानों के विरोध प्रदर्शनों से जोड़कर देखा।

प्रदर्शनकारियों की मांगें क्या हैं?

प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगों में लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची का विस्तार, शीघ्र भर्ती प्रक्रिया के साथ एक सार्वजनिक सेवा आयोग का गठन और लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटें शामिल हैं। उनका कहना है कि इन छूटों से लद्दाख के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा होगी और क्षेत्र के समग्र विकास को बढ़ावा मिलेगा।

पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे सोनम वांगचुक एक प्रमुख पर्यावरण कार्यकर्ता हैं और उन्होंने लद्दाख की कई पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए काम किया है। वे अपनी सोलर हीटेड स्कूल और आइस स्तूप जैसी पहलों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका कहना है कि लद्दाख की भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषताओं को देखते हुए, संविधान की छठी अनुसूची जैसे विशेष प्रावधान यहां के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

हिरासत पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस हिरासत पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी जोरदार रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अतिशी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस कदम की आलोचना की है। उन्होंने इसे वर्तमान सरकार की तानाशाही और जन-विरोधी नीतियों का उदाहरण बताया। इस घटना ने एक बार फिर से केंद्र सरकार की नीतियों और उनके कार्यान्वयन को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं।

लद्दाख के लोगों की मांगों और उनकी आवाज को सुनना और समझना महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ एक जातीय और सांस्कृतिक समस्या नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के भविष्य से भी जुड़ा हुआ है जो इस क्षेत्र में रहते हैं और अपने अधिकारों और संसाधनों की सुरक्षा चाहते हैं।

लद्दाख के भविष्य का रास्ता

लद्दाख एक संवेदनशील क्षेत्र है जो पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। यहां के लोगों की मांगें और उनकी समस्याएं राष्ट्रीय स्तर पर सुनी और समझी जानी चाहिए। यदि सरकार इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाती है और उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करती है, तो इससे लद्दाख के विकास और स्थायित्व को एक नई दिशा मिल सकती है।

सोनम वांगचुक और उनके साथियों की इस पदयात्रा और उनकी हिरासत ने एक बार फिर से यह प्रतीत किया कि जब तक स्थानीय लोगों की बातें नहीं सुनी जाएंगी और उन्हें अपने भविष्य को संवारने के लिए आवश्यक शक्तियां नहीं दी जाएंगी, तब तक इस प्रकार के विरोध और संघर्ष जारी रहेंगे।

17 टिप्पणि

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    Rahul kumar

    अक्तूबर 1, 2024 AT 22:44

    सोनम वांगचुक की स्थिति को समझते हुए, हमें संविधान की छठी अनुसूची के महत्व को जनता तक पहुँचाना चाहिए। यह कदम लद्दाख के लोगों को स्थानीय कानून बनाने की शक्ति देगा, जिससे उनका संरक्षण संभव हो सकेगा। जानकारी के लिए आप संबंधित अधिकारियों की वेबसाइट देख सकते हैं।

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    sahil jain

    अक्तूबर 4, 2024 AT 06:20

    बिलकुल सही कहा, इस मुद्दे को लेकर जागरूकता बढ़ाना बहुत ज़रूरी है। लोगों को सही दिशा में ले जाना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।

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    Rahul Sharma

    अक्तूबर 6, 2024 AT 13:55

    दिल्ली पुलिस की यह कार्रवाई, लद्दाख के संविधानिक अधिकारों को नज़रअंदाज़ करती है, और यह स्पष्ट रूप से लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है, क्योंकि सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने चाहिए, इस बात को सरकार को समझना चाहिए, और तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।

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    Sivaprasad Rajana

    अक्तूबर 8, 2024 AT 21:30

    लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी, एक गंभीर सामाजिक मुद्दा बन गया है।
    यह सिर्फ एक व्यक्तिगत मामला नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की स्वायत्तता और सांस्कृतिक पहचान का सवाल है।
    संविधान की छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करने की माँग, स्थानीय लोगों की स्वायत्तता को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है।
    जैसे कि उन्होंने सोलर हीटेड स्कूल और आइस स्तूप जैसी योजनाएं शुरू की हैं, वहीँ उनका लक्ष्य पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय विकास दोनों को संतुलित करना है।
    इन पहलों ने दिखाया है कि स्थानीय नवाचार किस हद तक सफल हो सकता है, अगर उसे सरकार का समर्थन मिले।
    संसदीय प्रतिनिधियों को अब इस मुद्दे को गंभीरता से उठाना चाहिए, ताकि लद्दाख के लोग अपनी पहचान सुरक्षित रख सकें।
    दिल्ली पुलिस द्वारा लागू निषेधाज्ञा, विरोध का अधिकार तभी वैध है जब वह सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़े नहीं।
    परंतु इस मामले में, प्रदर्शनकारियों ने शांति से अपना संदेश दिया, जिससे पुलिस की कार्रवाई सवाल उठाती है।
    राज्य सरकार को भी इस स्थिति को समझकर, न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।
    लद्दाख की विशेष भू-स्थापना, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सबसे अधिक प्रभावित है, इसलिए स्थानीय निर्णय प्रक्रिया अनिवार्य है।
    सार्वभौमिक नागरिक अधिकारों के तहत, सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने चाहिए, चाहे वह उत्तर में हो या दक्षिण में।
    यदि केंद्र सरकार इस मांग को नकारती है, तो भविष्य में अधिक बड़े विरोधी आंदोलन हो सकते हैं।
    जनसंख्या का बड़ा हिस्सा युवा वर्ग का है, जो भविष्य में इस क्षेत्र की दिशा तय करेगा।
    इन युवा आवाज़ों को सुनना, राष्ट्रीय एकता और समृद्धि के लिए आवश्यक है।
    अंत में, हमें उम्मीद है कि सरकार इस मुद्दे को सुलझाएगा और लद्दाख के लोगों को उचित सम्मान देगा।

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    Karthik Nadig

    अक्तूबर 11, 2024 AT 05:06

    यह तो स्पष्ट है कि दिल्ली की नीतियों ने लद्दाख की पहचान को ख़तरे में डाल दिया है! 😡🇮🇳 अगर सरकार ने तुरंत कदम नहीं उठाए, तो देश के साथियों को भी पछताना पड़ेगा।

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    Jay Bould

    अक्तूबर 13, 2024 AT 12:41

    भाई लोग, लद्दाख की संस्कृति और पर्यावरण दोनों का सम्मान बहुत जरूरी है। हमें मिलकर आवाज़ उठानी चाहिए, ताकि सही समाधान मिल सके।

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    Abhishek Singh

    अक्तूबर 15, 2024 AT 20:16

    ओह वाह, फिर से बात है पुलिस की, कुछ भी नहीं बदलेगा।

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    Chand Shahzad

    अक्तूबर 18, 2024 AT 03:52

    कृपया इस प्रकार की टिप्पणी को ठोस तथ्यों के साथ समर्थन दें, ताकि चर्चा रचनात्मक रहे। धन्यवाद।

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    Ramesh Modi

    अक्तूबर 20, 2024 AT 11:27

    दिल्ली पुलिस ने फिर एक बार अपनी शक्ति का प्रयोग किया, यह एक बिगड़ते हुए लोकतंत्र की निशानी है!!!; इस तरह की कार्रवाई से नागरिकों में भय उत्पन्न होगा!!!; हमें इसे रोकना चाहिए!!!

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    Ghanshyam Shinde

    अक्तूबर 22, 2024 AT 19:02

    अरे यार, ये लोग रोज़ ऐसे ही नाटक करते रहते हैं।

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    SAI JENA

    अक्तूबर 25, 2024 AT 02:38

    हालांकि यह स्थिति निराशाजनक लगती है, परन्तु संवाद के माध्यम से समाधान निकाला जा सकता है। सभी पक्षों को मिलकर काम करना आवश्यक है।

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    Hariom Kumar

    अक्तूबर 27, 2024 AT 10:13

    आशा है कि जल्द ही उचित समाधान मिलेगा! :)

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    shubham garg

    अक्तूबर 29, 2024 AT 17:48

    भाई लोग, देखो तो सही, अदालत में मामला चल रहा है, इसे जल्द सुलझाया जाना चाहिए।

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    LEO MOTTA ESCRITOR

    नवंबर 1, 2024 AT 01:24

    सभी को नमस्ते, इस मुद्दे पर थोड़ा और जानकारी चाहिए तो यहाँ पूछें।

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    Sonia Singh

    नवंबर 3, 2024 AT 08:59

    मैं तो बस यह देख रहा हूँ कि लोग कितनी जल्दी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, बहुत अच्छा लग रहा है।

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    Ashutosh Bilange

    नवंबर 5, 2024 AT 16:34

    इतनी बड़ी समस्या को हल करने के लिए बस एक ही शब्द है – जटिलता! लेकिन हम सब मिलकर समाधान निकालेंगे, देखिएगा!

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    Kaushal Skngh

    नवंबर 8, 2024 AT 00:10

    बहुत प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।

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