मणिशंकर अय्यर के बयान पर विवाद
कांग्रेस पार्टी के नेता मणिशंकर अय्यर के 1962 के चीन-भारत युद्ध पर दिए गए बयान ने एक बड़े विवाद को जन्म दिया है। अय्यर ने दिल्ली में विदेशी संवाददाता संघ में कहा कि चीन ने 'कथित रूप से' भारत पर आक्रमण किया था, जो कि भाजपा के अनुसार 'भारत की अखंडता पर हमला' और 'हर उस सैनिक का अपमान है जिन्होंने तिरंगे के लिए अपनी जान दी।' भाजपा प्रवक्ता गौरब भाटिया ने अय्यर के बयान की कड़ी निंदा की और इसे 'भारत विरोधी मानसिकता' करार दिया।
कांग्रेस का प्रतिक्रिया और दूरी
विवाद बढ़ने के बाद, कांग्रेस ने अय्यर के बयान से दूरी बना ली। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बताया कि अय्यर ने अपने बयान के लिए माफी मांगी है और इसे 'जुबान फिसलने' का मामला बताया। खेड़ा ने यह भी स्पष्ट किया कि अय्यर के बयान उनके व्यक्तिगत विचार थे न कि पार्टी के आधिकारिक रुख। खेड़ा ने भी यह बताया कि अय्यर अब पूर्व सांसद और मंत्री हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी उनके बयानों का समर्थन नहीं करती।
भाजपा का अाक्रमण
भाजपा, विशेष रूप से प्रवक्ता गौरब भाटिया, ने कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की चुप्पी पर सवाल उठाया। भाजपा ने इन्हें अय्यर के 'भारत विरोधी' बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आलोचना की। भाजपा ने इसे 'कांग्रेस की भारत विरोधी मानसिकता' का हिस्सा बताया और पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए।
अय्यर का माफीनामा
मणिशंकर अय्यर ने विवाद के बाद सार्वजनिक रूप से अपने बयान पर माफी मांगी। उन्होंने माना कि 'कथित' शब्द का इस्तेमाल करना एक गलती थी और वह उस बयान से पूरी तरह से पीछे हटते हैं। अय्यर ने यह भी कहा कि उनका मकसद किसी का अपमान करना नहीं था, बल्कि उनका बयान संचार की चूक का नतीजा था।
राजनीतिक तनाव और आरोप-प्रत्यारोप
इस विवाद ने भारत-चीन तनाव और भारतीय राजनीति में विभाजन को फिर से उजागर कर दिया है। जबकि कांग्रेस ने अय्यर के बयान से खुद को अलग कर लिया है, भाजपा ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। इसके आलावा, भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी आरोप लगाया कि उन्होंने 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद चीन को 'क्लीन चिट' दी थी, जिसे कांग्रेस ने नकारा है।
चीन-भारत तनाव का राजनीतिकरण
विवाद ने चीन और भारत के बीच मौजूदा तनाव को भी केंद्र में ला दिया है। पिछले कुछ वर्षों में चीन और भारत के बीच कई बार हिंसक झड़पें हुई हैं, जिनमें गलवान घाटी संघर्ष शामिल है। इस तरह के बयान और विवाद राजनीतिक पार्टियों के बीच मतभेद को और गहरा कर रहे हैं।
आगे की राह
ऐसे मामलों में बातचीत और विवेक की आवश्यकता होती है। राजनीतिक पार्टियों को चाहिए कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा और सैनिकों के सम्मान के मुद्दों पर एक समर्पित रुख अपनाएं। विवादों में उलझाने के बजाय, दोनों पक्षों को मिलकर राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। समय की मांग है कि देश के राजनेता एक सशक्त और एकजुट मोर्चा बनाएं, जो किसी भी बाहरी खतरे का सामना कर सके।
Naveen Kumar Lokanatha
मई 30, 2024 AT 19:12मणिशंकर अय्यर के इस बयान को समझने के लिये हमें इतिहास की पृष्ठभूमि देखनी होगी
1962 की युद्ध की जटिलताएं आज भी राजनीतिक विवाद का कारण बनती हैं
Surya Shrestha
जून 9, 2024 AT 06:35वास्तव में, अय्यर साहब के शब्दावली चयन में एक अभूतपूर्व असंगति निहित है; यह न केवल इतिहासकारों को उलझन में डालता है, बल्कि वर्तमान राजनीतिक विमर्श को भी धूमिल कर देता है।
Rahul kumar
जून 18, 2024 AT 17:57भाइयों, सही कहा गया कि 'कथित रूप से' शब्द का प्रयोग बहुत ही धुंधला है। हमें इस तरह के बयान से जनता को सही जानकारी देना बहुत ज़रूरी है। इस मुद्दे पर और रिसर्च करने की जरूरत है
sahil jain
जून 28, 2024 AT 05:19सही कहा आपने! चलिए मिलकर सच्चाई तक पहुंचते हैं :)
Rahul Sharma
जुलाई 7, 2024 AT 16:41मणिशंकर अय्यर का बयान भारत-चीन के इतिहास में एक नई चर्चा का कारण बना है।
1962 के युद्ध को अक्सर शून्य-एक के रूप में समझा जाता है, लेकिन वास्तविकता में यह एक जटिल संघर्ष था।
उस समय के सैन्य कमियों और रणनीतिक त्रुटियों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
अय्यर ने 'कथित' शब्द का प्रयोग करके शायद अपनी राय को कोमल बनाने की कोशिश की।
यह शब्दावली आज के राजनीतिक माहौल में गलतफहमी को बढ़ावा देती है।
कांग्रेस द्वारा इस बयान से दूरी बनाना पार्टी के भीतर के संतुलन को दर्शाता है।
वहीं, भाजपा ने इस अवसर को विरोधी पार्टियों को कमजोर करने के लिए उपयोग किया।
इस प्रकार का राजनीतिकरण राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों को धुंधला करता है।
हमें याद रखना चाहिए कि युद्ध के शहीदों ने अपने प्राण न्योछावर किए, और उनका सम्मान सबसे पहले होना चाहिए।
किसी भी सार्वजनिक बयान में उनकी भावनाओं का ख्याल रखना अनिवार्य है।
साथ ही, चीन के साथ वर्तमान तनाव भी एक संवेदनशील मुद्दा है, जो कभी भी उबल सकता है।
दोनों देशों को आर्थिक सहयोग के साथ-साथ सुरक्षा समझौतों को सुदृढ़ करना चाहिए।
राजनीतिक दलों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे राष्ट्रीय हितों को व्यक्तिगत लाभ के लिए उपयोग न करें।
इस परिस्थिति में एकजुट आवाज़ बनाकर ही हम बाहरी दबावों का सामना कर सकते हैं।
अंत में, लोकतंत्र की समृद्धि तभी संभव है जब हम संकल्प लें कि इतिहास को सही ढंग से प्रस्तुत करें और भविष्य की दिशा साफ़ रखें।
Sivaprasad Rajana
जुलाई 17, 2024 AT 04:03इतिहास को सही ढंग से समझना वाकई जरूरी है, यह बात आप ने ठीक कही।
Karthik Nadig
जुलाई 26, 2024 AT 15:25भाजप की बारीकी से देखो, वो अय्यर को ज़रूर ही एक बार गिरा देंगे 😂🇮🇳
Jay Bould
अगस्त 5, 2024 AT 02:47ऊपर वाली पोस्ट में थोड़ा ठंडा दिमाग रखना चाहिए, नहीं तो बात और बिगड़ सकती है।
Abhishek Singh
अगस्त 14, 2024 AT 14:09ओह, राजनीति में फिर वही पुरानी ड्रामा।
Chand Shahzad
अगस्त 24, 2024 AT 01:31विचारशील विवादों को शांति से सुलझाना ही लोकतंत्र की ताकत है, आपके बिंदु पर मैं सहमत हूँ।
Ramesh Modi
सितंबर 2, 2024 AT 12:53असज्जन का मनोविज्ञान, यह तथ्य कि सत्य को शब्दों में बांधना मानवता की बड़ी चुनौती है; अय्यर का बयान इसे एक बार फिर उजागर करता है; क्या यह व्याख्या पर्याप्त है?
Ghanshyam Shinde
सितंबर 12, 2024 AT 00:16बहुत गहरी बात, पर समझ नहीं आया।
SAI JENA
सितंबर 21, 2024 AT 11:38हम सब को मिलकर इस तरह के विवाद को सुलझाने में योगदान देना चाहिए; राष्ट्रीय भावना को प्राथमिकता देनी चाहिए।
Hariom Kumar
सितंबर 30, 2024 AT 23:00चलो इस मुद्दे को सकारात्मक रूप से देखें 😊
shubham garg
अक्तूबर 10, 2024 AT 10:22यार, ये सब राजनीतिक बातों में फंसके टाइम बेकार हो जाता है, बिंदास चर्चा चाहिए।
LEO MOTTA ESCRITOR
अक्तूबर 19, 2024 AT 21:44जीवन में भी कभी-कभी हमें जटिल परिस्थितियों को सरल बनाकर देखना चाहिए, यही तो विचार है।
Sonia Singh
अक्तूबर 29, 2024 AT 08:06सबको शांत रहना चाहिए और तथ्य के आधार पर चर्चा करनी चाहिए, यही सबसे बेहतर तरीका है।
Ashutosh Bilange
नवंबर 7, 2024 AT 19:28भाई, बात का फुल एकटिक्स है, बिल्कुल मैजिकल नहीं तो वैसा नहीं हो सकता!
Kaushal Skngh
नवंबर 17, 2024 AT 06:50इसे देख कर लगता है कि सब कुछ वही पुराना चक्र फिर से घुम रहा है।
Harshit Gupta
नवंबर 26, 2024 AT 18:12ड्रामा तो बाद में, असल मुद्दा तो इस बात का है कि कांग्रेस कब तक ऐसे झूठे बयान देने से खुद को बचाएगी!😡