अहमद शहजाद का खुलासा: विराट कोहली की तुलना बाबर आज़ाम की हार का मुख्य कारण

खेल अहमद शहजाद का खुलासा: विराट कोहली की तुलना बाबर आज़ाम की हार का मुख्य कारण

जब अहमद शहजाद, पूर्व ओपनिंग बैट्समैन पाकिस्तान राष्ट्रीय टीम ने 13 अगस्त 2025 को इंडिया टुडे के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि बाबर आज़ाम की लगातार गिरावट का मूल कारण "विराट कोहली तुलना" है, तो भारत‑पाकिस्तान क्रिकेट का माहौल फिर से दहला दिया गया।

उस सत्र में शहजाद ने बखूबी बताया कि कैसे मीडिया, सोशल प्लेटफ़ॉर्म और कुछ अनुभवी खिलाड़ियों ने बाबर को भारत के सितारे विराट कोहली से जोड़ना शुरू कर दिया, जिससे भारत के प्रशंसकों की अपेक्षाएँ पाकिस्तान के कप्तान पर अनावश्यक दबाव बना देती हैं। यह बयान एशिया कप 2025पाकिस्तान और यूएई से ठीक पहले आया, जहाँ बाबर की फॉर्म को लेकर सवाल पहले से ही भड़क रहे थे।

स्टैटिस्टिक तुलना: आज तक का आंकड़ा

विराट कोहली (36) ने 302 ODI में 14,181 रन बनाकर 57.88 का औसत और 51 सेंचुरी हासिल की है। बाबर आज़ाम (29) ने 134 ODI में 6,291 रन, 54.23 का औसत और 19 सेंचुरी के साथ खेला है। शहजाद ने बताया कि बाबर की सेंचुरी‑ड्रॉट 12 अगस्त 2023 (एशिया कप 2023, कोलंबो) के बाद से 72 लगातार अंतरराष्ट्रीय इंटर्न में नहीं भरी – यह दुनिया के सक्रिय पुरुष खिलाड़ियों में सबसे लंबा रिकॉर्ड है।

साथ ही, कोहली ने फरवरी 2025 में 14,000 रन का माइलस्टोन 406 इंटर्न में पहुँचाया, जबकि बाबर ने 5,000 रन का आंकड़ा 120 इंटर्न में हासिल करके रिकॉर्ड बनाया। यह आँकड़े यही दिखाते हैं कि दोनों में तकनीकी क्षमता समान नहीं, बल्कि अवसर और मानसिक दबाव अलग‑अलग हैं।

खिलाड़ी और प्रबंधन की राय

बाबर के साथ‑साथ कमरान अक़माल, पूर्व विकेट‑कीपर‑बैट्समैन ने भी इस तुलना को “बेवकूफ लोग” कह कर खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "विराट कोहली एक ऐसा खिलाड़ी है जो पूरे विश्व में रोल मॉडल है, उसकी तुलना से बाबर को अनावश्यक दबाव मिलता है।"

देश के क्रिकेट बोर्ड पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के चेयरमैन जाका अशराफ ने 10 अगस्त 2025 को कराची में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बाबर की फॉर्म पर “चिंता” है, लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि "सम्पूर्ण टीम को इस दबाव को कम करना होगा," और कहा कि “एशिया कप का माहौल ही सबसे बड़ा टेस्‍ट होगा।”

एशिया कप 2025 की चुनौतियां

एशिया कप 2025 की चुनौतियां

एशिया कप में 28 सितम्बर 2025 को लाहौर के ग़द्दाफी स्टेडियम में भारत‑पाकिस्तान टकराव सबसे महत्वपूर्ण मैच माना जा रहा है। इस मैच में बाबर को पहले ही एक बार 151 रन की बड़ी इनिंग (2023) का रिकॉर्ड है, पर अब वह 72 इंटर्नों में सेंचुरी नहीं बना पा रहा है।

जुलाई 2025 में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ ODI सीरीज़ में बाबर ने 47, 0 और 9 रन बनाकर टीम को 2‑1 से हार में भाग दिया। तीसरे जीत में जेम्स मेलबर्न (वेस्टइंडीज़) के पैसर जेडन सील्स ने बाबर को 9 पर आउट किया, जिससे पाकिस्तान 92 सभी आउट हो गया। यह असफलता शहजाद के बयान के बाद से ही लगातार चर्चा का विषय रही।

भविष्य की संभावनाएँ

भविष्य की संभावनाएँ

विशेषज्ञों का मानना है कि बाबर को अब "तुलना नहीं, सुधार" पर ध्यान देना होगा। क्रिकटमन2.com की रिपोर्ट से पता चलता है कि बाबर की घर की औसत 70.00 से अधिक है, जबकि पहुंच के मैदानों पर वह 48.75 पर गिर जाता है। विराट कोहली की विदेशी औसत 52.30 है, जो बाबर से अधिक है।

भविष्य में बाबर को अपने खेल को विविध परिस्थितियों में अनुकूलित करने की आवश्यकता है, खासकर जब भारत की तेज़ गति वाली पिचों पर उन्हें पारी बनानी पड़े। अगर वह अपनी मानसिक शक्ति को मजबूत कर सके तो सेंचुरी‑ड्रोहट का अंत हो सकता है, और पाकिस्तान को एशिया कप में जीत की संभावनाएँ काफ़ी बढ़ेंगी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

बाबर आज़ाम की सेंचुरी‑ड्रॉट कब शुरू हुई?

बाबर ने आखिरी बार 12 अगस्त 2023 को कोलंबो के एशिया कप 2023 में 151 रन बना कर सेंचुरी हासिल की थी। इसका बाद से 72 लगातार अंतरराष्ट्रीय इंटर्न में कोई सेंचुरी नहीं आई।

विराट कोहली की तुलना क्यों बाभर को प्रभावित कर रही है?

मीडिया और कुछ अनुभवी खिलाड़ियों ने बाबर को कोहली की ही पध्दति से आंकना शुरू कर दिया। इससे बाबर पर मानसिक दबाव बढ़ा, जिससे वह अपनी असली क्षमता पर ध्यान नहीं दे पा रहा है।

पीसीबी इस स्थिति से कैसे निपट रहा है?

पीसीबी के चेयरमैन जाका अशराफ ने सार्वजनिक रूप से बाबर की फॉर्म पर चिंता जताई, लेकिन साथ ही तकनीकी स्टाफ को बताया कि टीम के सभी खिलाड़ियों को इस दबाव को कम करने की दिशा में काम करना चाहिए।

एशिया कप 2025 में बाबर के लिए सबसे बड़ा चुनौती क्या होगी?

28 सितम्बर 2025 को लाहौर के ग़द्दाफी स्टेडियम में भारत‑पाकिस्तान टकराव बाबर के लिए मुख्य परीक्षा होगी। इस मैच में उनका अच्छा प्रदर्शन पाकिस्तान की जीत के लिए निर्णायक होगा।

2 टिप्पणि

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    s.v chauhan

    अक्तूबर 12, 2025 AT 23:03

    भाई साहब, अहमद शहजाद की बात सुनकर लगता है कि दबाव का असर वास्तव में फॉर्म पर पड़ता है। बल्लेबाज़ को लगातार तुलना में रखना उनके आत्मविश्वास को घटा देता है। हमें टीम के अंदर एक सकारात्मक वातावरण बनाना चाहिए जहाँ हर खिलाड़ी अपनी क्षमता पर भरोसा कर सके। कोहली की तुलना को कम करके बहर का मनोबल बढ़ाया जा सकता है। आशा है PCB इस बात को समझेगा और उचित कदम उठाएगा।

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    Halbandge Sandeep Devrao

    अक्तूबर 27, 2025 AT 12:23

    अहमद शहजाद ने प्रस्तुतीकरण में विश्लेषणात्मक रूप से यह उल्लेख किया कि तुलनात्मक विश्लेषण का उपयोग खिलाड़ी मनोवैज्ञानिक प्रोफ़ाइल पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
    इस परिप्रेक्ष्य में, बायर आज़ाम की पीआर शब्दावली को अत्यधिक प्रतिस्पर्धात्मक मानदंडों के साथ संरेखित करना एक रणनीतिक त्रुटि प्रतीत होती है।
    सांख्यिकीय मॉडल द्वारा प्रमाणित होता है कि बायर की औसत स्कोर 54.23 है, जबकि कोहली का औसत 57.88 है, परन्तु यह अंतर केवल रन उत्पादन में नहीं बल्कि मानसिक तनाव में भी परिलक्षित होता है।
    मनोविज्ञान विज्ञान के अनुसार, सामाजिक तुलना सिद्धांत (Social Comparison Theory) यह दर्शाता है कि व्यक्तिगत प्रदर्शन की अवधारणा बाहरी मानकों द्वारा विकृत हो सकती है।
    इस सिद्धांत के अनुप्रयोग को देखते हुए, बायर को कोहली के मानकों के साथ निरंतर तुलना करना उसके प्रदर्शन में गिरावट को उत्प्रेरित करता है।
    कई अनुसंधानों में पुष्टि हुई है कि उच्च-स्तरीय खिलाड़ी जब निरंतर बाहरी अपेक्षाओं के अधीन होते हैं तो उनका वैरिएंस इन पिच पर घट जाता है।
    परिणामस्वरूप, बायर की 72 लगातार अंतरराष्ट्रीय इनिंग्स में शतक न बन पाना इस वैरिएंस का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
    इसके अतिरिक्त, मीडिया द्वारा निर्मित क्यूरेटेड इमेज यानी ‘कोहली मॉडल’ ने दर्शकों के अपेक्षा पैरामीटर को अनुक्रमिक रूप से बढ़ा दिया है।
    इस तरह की अत्यधिक अपेक्षा ढांचा बायर के निर्णय‑निर्माण प्रक्रियाओं को जटिल बनाता है, जिससे वह रचना‑संधान (Shot Selection) में सुसंगतता नहीं बनाए रख पाता।
    पीसीबी को इस मनोवैज्ञानिक कारक को संबोधित करने हेतु एक बहु‑आयामी हस्तक्षेप योजना अपनानी चाहिए।
    ऐसी योजना में खेल मनोविज्ञान विशेषज्ञों का समावेश, वैकल्पिक प्रदर्शन मेट्रिक्स की स्थापना, तथा दबाव‑कम करने वाली रूटीन प्रशिक्षण शामिल होनी चाहिए।
    वैकल्पिक मेट्रिक्स में ‘कन्टेक्स्टुअल एडेप्टेशन स्कोर’ तथा ‘डिक्लाइन‑रिस्पॉन्स टाइम’ को मापना उपयोगी हो सकता है।
    अंतःक्रियात्मक सत्रों द्वारा बायर को अपने आंतरिक मूल्यांकन प्रणाली को पुनः स्थापित करने का अवसर मिलेगा।
    अगर पीसीबी इस वैज्ञानिक ढांचे को अपनाएगा तो बायर की संभावित शतक‑ड्रॉट पुनः आरंभ होने की संभावना बढ़ेगी।
    समग्र रूप से, तुलना‑आधारित उत्पीड़न को घटाकर बायर को एक स्वतंत्र रणनीतिक परिप्रेक्ष्य प्रदान करना उसके दीर्घकालिक प्रदर्शन में सुधार का प्राथमिक साधन होगा।

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