रवींद्रनाथ टैगोर जयंती: बंगाली साहित्य और संस्कृति के प्रतीक का सम्मान
हर वर्ष 9 मई को महान कवि और साहित्यकार रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती मनाई जाती है। यह तारीख बंगाली कलेंडर के बैसाख महीने में आती है, जिसे रवींद्र जयंती के रूप में विशेष माना जाता है। टैगोर, जिन्हें गुरुदेव कहकर भी पुकारा जाता है, न केवल बंगाल बल्कि पूरे भारतीय साहित्य के प्रतीक माने जाते हैं। उनके साहित्य और विचारों का प्रभाव विश्व साहित्य में भी महत्वपूर्ण रहा है।
रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती का आयोजन कई कल्चरल संगठनों द्वारा 1980 के दशक से शुरू किया गया था। इस दिन को विशेष रूप से उनकी लेखनी और उनके विचारों को समर्पित कर मनाया जाता है। साहित्य, संगीत, नृत्य और कलाओं के माध्यम से उनकी कला और विचारों की प्रस्तुति की जाती है।
इस विशेष दिवस पर विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें साहित्यिक चर्चा, कविता पाठ, नाटक, नृत्य प्रदर्शन, और संगीत समारोह शामिल हैं। गुरुदेव के लिखे गीतों और कविताओं को गायन के रूप में पेश करना, उनके प्रशंसकों के लिए एक खास तरीका होता है जिससे वे टैगोर के प्रति अपना आदर प्रकट करते हैं।
हरू वर्ष की भांति, रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2024 में भी उनके जन्मस्थल जोरासांको ठाकुरबाड़ी में विशेष आयोजन किए जाएंगे। जोरासांको ठाकुरबाड़ी, जो कोलकाता में स्थित है, टैगोर के जीवन और साहित्य की यात्रा को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
उनकी जयंती के दिन स्कूलों और कॉलेजों में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन होता है। विद्यार्थी नृत्य प्रदर्शन, कविता पाठ और गायन प्रतियोगिताएं में भाग लेते हैं। इससे युवा पीढ़ी में भी टैगोर के प्रति आदर और सम्मान की भावना उत्पन्न होती है।