प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को स्वामी विवेकानंद की 122वीं पुण्यतिथि पर उनको श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने विवेकानंद के योगदान और उनके विचारों की अहमियत को याद करते हुए एक समृद्ध और प्रगतिशील समाज के निर्माण का सपना दोहराया। स्वामी विवेकानंद, जो भारतीय रहस्यवादी रामकृष्ण परमहंस के मुख्य शिष्य थे, ने भारतीय संस्कृति और वेदांत के दर्शन को वैश्विक स्तर पर फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था और उनका मूल नाम नरेंद्रनाथ दत्ता था। युवावस्था में ही उन्होंने अध्यात्मिकता के प्रति गहरा झुकाव दिखाया और उन्हें रामकृष्ण परमहंस के शिष्य बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। विवेकानंद ने अपने गुरु के संदेश को आगे बढ़ाया और भारतीय संस्कृति के ज्ञान को पूरे विश्व में फैलाया। उनकी शिक्षाओं ने न केवल भारत को, बल्कि पूरे विश्व को आध्यात्मिकता और मानवता का नया दृष्टिकोण दिया।
शिकागो की विश्व धर्म महासभा में स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद का सबसे प्रसिद्ध भाषण 1893 में शिकागो की विश्व धर्म महासभा में हुआ था। इस सभा में उनके द्वारा बोले गए शब्द 'मेरे अमेरिकी बहनों और भाइयों...' ने सबका दिल जीत लिया और उन्हें खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ आदर मिला। इस भाषण में विवेकानंद ने हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया और यह विचार रखा कि सभी धर्म समानता की दृष्टि से देखे जाने चाहिए। उनका यह भाषण आज भी याद किया जाता है और यह युवाओं को प्रेरणा देता रहता है।
रामकृष्ण मिशन और बेलूर मठ की स्थापना
स्वामी विवेकानंद ने 1899 में बेलूर मठ की स्थापना की, जो उनके अंतिम सांस तक उनके जीवन का केंद्र बना रहा। 1902 में, केवल 39 वर्ष की आयु में, वे बेलूर मठ में ही अपने शारीरिक काया को छोड़कर महाप्रयाण को प्राप्त हुए। अपने छोटे से जीवन में उन्होंने ऐसा काम किया जो सदियों तक याद रहेगा। उन्होंने कई आश्रमों और समाजसेवी संस्थाओं की स्थापना की, जिनमें प्रमुख रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ हैं। इन संस्थाओं ने गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा के लिए असंख्य योगदान दिया है।
विवेकानंद का जीवन और उनकी शिक्षाएं नई पीढ़ियों को प्रेरित करती हैं। उनके दृष्टिकोण और विचारों ने न केवल भारतीय समाज को, बल्कि पूरे विश्व को भी दिशा दी। उनकी शिक्षाएं आत्म-साक्षात्कार, ध्यान और समाज सेवा पर आधारित थीं।
प्रधानमंत्री का संबोधन
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचार और शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और हमें प्रेरित करती हैं। वे मानते हैं कि विवेकानंद का जीवन और विचार हमें आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। मोदी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने हमें सिखाया कि कैसे हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हुए आधुनिकता की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि विवेकानंद का संदेश हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है और हमें एकजुटता, सहिष्णुता और समर्पण के साथ अपने देश की सेवा करने का संकल्प लेना चाहिए।
स्वामी विवेकानंद का प्रभाव
स्वामी विवेकानंद के विचार और उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों के दिल और दिमाग में बसे हुए हैं। उनका मानना था कि हर व्यक्ति में असीम संभावनाएं होती हैं और उसे अपने आत्मबल को पहचानकर आगे बढ़ना चाहिए। उनकी शिक्षाओं ने भारतीय युवाओं को अपने देश के प्रति समर्पण और सेवा का दृष्टिकोण दिया।
विवेकानंद का जीवन और उनकी शिक्षाएं समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। वेदांत के दर्शन को सरल और स्पष्ट शब्दों में समझाना उनकी सबसे बड़ी देन थी। उन्होंने भारतीय संस्कृति के मूल्यों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुनः जागरूक करने का प्रयास किया। उनके द्वारा स्थापित संस्थाएं आज भी समाज की सेवा में लगी हुई हैं और उनके विचारों को आगे बढ़ा रही हैं।
स्वामी विवेकानंद का योगदान केवल आध्यात्मिकता तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने शिक्षा, समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। उनके विचारों ने स्वतंत्रता संग्राम के समय भारतीय युवाओं को प्रेरित किया और उन्हें आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया।
स्वामी विवेकानंद का जीवन और उनका योगदान हमेशा हमें प्रेरित करता रहेगा। उनकी शिक्षाएं और उनके विचार हमें एक बेहतर समाज और राष्ट्र के निर्माण की दिशा में एकजुट होकर काम करने की प्रेरणा देते हैं। उनकी पुण्यतिथि पर हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए और उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारना चाहिए।
Hariom Kumar
जुलाई 4, 2024 AT 19:38विवेकानंद जी की आत्मा सदा जिंदा रहे 🙏
shubham garg
जुलाई 16, 2024 AT 02:27बहुत बढ़िया बात है! मोदी जी ने भी सही कहा कि उनके विचार आज भी relevant हैं। चलो हम सब मिलके उन शिक्षाओं को अपनाएं।
LEO MOTTA ESCRITOR
जुलाई 27, 2024 AT 09:17स्वामी विवेकानंद का संदेश आज भी हमारे अंदर गहरी सोच को जाग्रत करता है।
उनका यह विचार कि “हर मानव में असीम सम्भावनाएँ होती हैं” हमें आत्म‑विश्वास देता है।
उन्होंने कहा कि सच्ची शक्ति भीतर की शांति में निहित है, न कि बाहरी शोभा में।
इसी प्रकार वे मानते थे कि राष्ट्र का वास्तविक विकास उसके नागरिकों के चरित्र में निहित है।
उनका यह सिद्धान्त कि “सेवा ही सच्चा धर्म है” हमें सामाजिक योगदान की दिशा में प्रेरित करता है।
उन्होंने अध्यात्म को विज्ञान के साथ जोड़ा, जिससे आधुनिक युवाओं को भी आकर्षित किया।
उनके शब्दों में हम पाते हैं कि बौद्धिक स्वतंत्रता और आध्यात्मिक प्रगति का मिलन ही प्रगति की कुंजी है।
वे कहते थे कि “भौतिक सुअधता के पीछे मत भागो, भीतर के प्रकाश को झलक दो” और यही आत्म‑ज्ञान का मार्ग है।
उनके विचारों में मानवता का सार्वभौमिक प्रेम दिखता है, जो किसी भी धर्म‑की सीमाओं से परे है।
उन्होंने बताया कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्तित्व का विकास है, न कि केवल पुस्तक ज्ञान।
उनकी विश्व धर्म महासभा में कही बातों ने पश्चिमी सोच को भी बदल दिया, जिससे संवाद का मार्ग खुला।
उन्होंने यह कहा कि “विचारों का आदान‑प्रदान ही प्रगति का आधार है” और यह आज के डिजिटल युग में अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
उनका जीवन हमें सिखाता है कि छोटा या बड़ा, प्रत्येक कार्य में सच्ची निष्ठा होनी चाहिए।
उन्होंने समुद्र‑तीर पर बैठ कर भी शांति की खोज की, जिससे यह समझा कि भीतर की शांति बाहरी शोर से अधिक महत्वपूर्ण है।
उनका संदेश यह भी है कि हम अपने मूल्यों को नहीं भूलें, परन्तु समय के साथ उनका रूप बदलें।
अंत में, विवेकानंद ने कहा था, “आपका कर्म ही आपका प्रमाण है,” और यह आज के प्रत्येक युवा को अपने भविष्य बनाते समय याद रखना चाहिए।
Sonia Singh
अगस्त 7, 2024 AT 16:06वाकई, उनका विचार आज के युवाओं को प्रेरित कर सकता है। थोड़ी शांति और एकजुटता की जरूरत हम सभी को है।
Ashutosh Bilange
अगस्त 18, 2024 AT 22:55अरे भाई, ये सब बात तो बिलकुल सही है! पर मैं कहूँगा कि अगर आप लोग इसको समझ नहीं पाते तो फिर क्या फायदा? 😂 मैं तो हमेशा से कहता आया हूँ, ज्ञान को ना सिर्फ पढ़ो, बल्कि जियो भी! नहीं तो ये सब खाली भाषण बन जाता है।
Kaushal Skngh
अगस्त 30, 2024 AT 05:44उसे पढ़ा तो है, पर कभी-कभी लागता है जैसे बात बहुत घुमावदार है। फिर भी, बुनियादी बात तो सही है।
Harshit Gupta
सितंबर 10, 2024 AT 12:33देश के भविष्य की बात है, तो हमें अपने महान कलाकारों की तरह गर्व से उनका अनुकरण करना चाहिए! स्वामी का संदेश राष्ट्र की आत्मा को सशक्त बनाता है, यही हमारा कर्तव्य है! चलो, मिलकर एक स्वच्छ, सुदृढ़ भारत बनाएं! 🇮🇳
HarDeep Randhawa
सितंबर 21, 2024 AT 19:22हम्म्म... क्या सच में हमें सिर्फ एक तारीख पर ही इतिहास को याद करना चाहिए???! शायद हर दिन कुछ नया सीखने का अवसर है, पर फिर भी, इस विशेष दिन पर एक छोटी सी यादगार जॉश तो बनती है, है ना??!