रिलायंस जियो की स्थापना और बढ़ता सफर
रिलायंस जियो, भारतीय दूरसंचार क्षेत्र की सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनियों में से एक है। इसकी स्थापना 2016 में की गई थी, जिसने डिजिटल कनेक्टिविटी में क्रांति ला दी। जियो ने भारत में बहुत कम समय में 479 मिलियन सब्सक्राइबर्स के साथ एक मज़बूत ग्राहक आधार तैयार कर लिया है। इसने 4G का उपयोग करने वाले ग्राहकों के लिए डेटा सेवा की कीमतों में बेहतरीन कटौती की, जिससे भारतीय बाजार में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।
आईपीओ 2025 पर नजर
2019 में, मुकेश अंबानी ने रिलायंस जियो और रिलायंस रिटेल के पांच साल के भीतर लिस्टिंग की योजना की घोषणा की थी। आने वाले 2025 में, जियो की सार्वजनिक पेशकश की जाने वाली है, जबकि इसका रिटेल डिवीजन उसकी बाद की तारीखों में स्टॉक मार्केट में उतरेगा। जियो की इस लिस्टिंग से कंपनी को भारतीय बाजार में अपनी स्थिती को और मजबूत करने का अवसर मिलेगा।
जियो के मूल्यांकन और निवेश
रिपोर्ट्स के अनुसार, विश्लेषकों ने जियो की कीमत 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा आंकी है। जियो प्लेटफॉर्म्स में विदेशी निवेशकों ने $17.84 बिलियन का निवेश किया है, जिससे यह कुल 33% की हिस्सेदारी रखते हैं। इस कंपनी ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में सफलता हासिल की है, जिनमें केकेआर, जनरल अटलांटिक, और अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी जैसी मुख्य फर्म्स शामिल हैं।
रिलायंस रिटेल की स्थिति
वहीं, रिलायंस रिटेल के आईपीओ में देरी का कारण इसके परिचालन मामलों से जुड़ा है। भारत के सबसे बड़े रिटेल नेटवर्क के रूप में यह 3,000 से अधिक किराना सुपरमार्केट संचालित करता है। लेकिन बढ़ते हुए ऑनलाइन मार्केट के कारण यह क्षेत्र भी चुनौतियों का सामना कर रहा है, विशेष रूप से क्विक कॉमर्स प्रतियोगियों से।
रिलायंस का भविष्य और बाजार की प्रतिस्पर्धा
भविष्य को देखते हुए, रिलायंस ने गूगल, मेटा और एनविडिया जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी की है, जो इसके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित अन्य परियोजनाओं को बढ़ावा देगी। जियो को एलन मस्क की स्टारलिंक सेवा से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन कंपनी ने अपने नेटवर्क और सेवा में निरंतर सुधार करते हुए ग्राहकों के लिए बेहतर अनुभव सुनिश्चित किया है।
2023 के पहले दस महीनों में ही भारतीय बाजार में 12.58 बिलियन डॉलर का आईपीओ जुटाया गया है, जो पिछली वर्ष की तुलना में काफी बड़ा है। रिलायंस ने अपनी रणनीति के तहत अपने दोनों प्रमुख डिवीजनों के आईपीओ को उचित समय अंतराल पर लाने का निर्णय लिया है, ताकि किसी बड़ी पेशकश के साथ उसे जोड़कर बाजार में दबाव न बढ़े।
संभावित निवेशकों के लिए आकर्षण
जियो और रिलायंस रिटेल के निवेश में विशेष रूप से नए निवेशकों की रुचि बढ़ी है। यह कंपनियाँ स्टॉक बाजार में बड़ी पेशकशों के लिए तैयार हो रही हैं, जिनके जरिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को बड़ा लाभ हो सकता है। यह कदम न केवल कंपनी के लिए लाभकारी साबित होगा बल्कि भारतीय शेयर बाजार के व्यापक प्रदर्शन के लिए भी सकारात्मक रहेगा।
जियो और रिटेल के इस नये कदम से निवेशकों के बीच उत्साह बढ़ेगा और कंपनी के भविष्य का नया अध्याय लिखा जाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन आईपीओs से भारतीय टेलिकॉम और रिटेल बाजार में किस प्रकार का परिवर्तन आता है।