IAS प्रोबेशनर पूजा खेडकर पर जांच समिति का गठन
IAS प्रोबेशनर पूजा खेडकर, जो कई विवादों में उलझी हुई हैं, ने केंद्र सरकार के उस निर्णय पर टिप्पणी करने से स्पष्ट मना कर दिया है जिसमें उनके उम्मीदवारी की जांच के लिए एक पैनल गठित किया गया है। खेडकर ने कहा कि उन्हें इस मामले पर बोलने का अधिकार नहीं है और वह 'प्रक्रिया का पालन' करेंगी और समिति को अपने प्रस्तुतियां देंगी। यह जांच ऐसे समय पर की जा रही है जब आरोपों की एक श्रृंखला ने उनके प्रतिष्ठा को घेर लिया है।
जांच समिति की संरचना और कार्यप्रणाली
केंद्र सरकार ने एक एक-सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो एक वरिष्ठ अधिकारी की अध्यक्षता में काम करेगी, जिनका रैंक अतिरिक्त सचिव के बराबर है। इसका मुख्य उद्देश्य खेडकर की उम्मीदवारी के दावों और उनके प्रति किए गए सभी आरोपों की जांच करना है। समिति अपनी रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करेगी, जिसके बाद और भी कार्रवाइयां की जाएंगी।
इसके जोड़े में यह समिति खेडकर के खिलाफ लगे विभिन्न आरोपों की गहराई से जांच करेगी। इनमें उनकी निजी ऑडी कार का उपयोग, जो एक लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट के साथ थी, शामिल है। इसके अलावा, उन पर प्रोबेशनरी अफसरों के लिए उपलब्ध न होने वाली सुविधाओं की भी माँग करने का आरोप है। सबसे गंभीर आरोपों में से एक यह है कि उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा को क्लियर करने के लिए नकली विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए हैं।
पूजा खेडकर, जो 2023 बैच की महाराष्ट्र केडर की आईएएस अधिकारी हैं, ने यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन (UPSC) परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 841 प्राप्त किया था। लेकिन अब उनकी सफलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं और इन आरोपों के कारण उनकी स्थिति खतरनाक स्थिति में है।
आगे की कार्यवाही
जांच समिति के गठन के बाद यह देखना होगा कि क्या खेडकर पूरी तरह से निर्दोष साबित हो पाती हैं या नहीं। इस मामले को देखते हुए, सरकार ने जांच प्रक्रिया को तेज करने और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान दिया है। समिति को अपने काम में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने की उम्मीद है, ताकि सही तथ्यों का खुलासा हो सके और न्याय हो सके।
खेडकर की चर्चा सिर्फ आरोपों तक ही सीमित नहीं है। इसमें उनकी परीक्षा तैयारियों और संघर्ष की कहानी भी है, जिसने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। उनके समर्पण और मेहनत की कहानी भी किसी से छिपी नहीं है। लेकिन इन आरोपों ने उनके संघर्ष की कहानी को एक नया मोड़ दे दिया है।
पूजा खेडकर की इस जांच पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं। यदि वह निर्दोष पाई जाती हैं, तो यह उनके लिए बहुत बड़ा संघर्ष होगा और उनके समर्थकों के लिए एक राहत की स्थति होगी। वहीं, अगर आरोप सत्य साबित होते हैं, तो उनके करियर और प्रतिष्ठा दोनों पर गहरा असर पड़ेगा।
अंततः, इस मामले में सच्चाई क्या है, इसका पता तो जांच के बाद ही चलेगा। फिलहाल, पूजा खेडकर और उनके समर्थक इस जांच प्रक्रिया के परिणाम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
इस पूरे मामले में एक बात स्पष्ट है कि प्रशासनिक सेवाओं की प्रतिष्ठा और विश्वास बनाए रखने के लिए यह जांच आवश्यक है। जनता का विश्वास और सेवा की प्रतिष्ठा सर्वोपरी हैं, और उसे बनाए रखना हमारा सबका कर्तव्य है।