भारत-कनाडा तनाव: हरदीप सिंह निज्जर मामले की जटिल समयरेखा

अंतर्राष्ट्रीय भारत-कनाडा तनाव: हरदीप सिंह निज्जर मामले की जटिल समयरेखा

भारत-कनाडा के कूटनीतिक संबंधों में नया मोड़

भारत और कनाडा के द्विपक्षीय संबंध हाल के वर्षों में कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हरदीप सिंह निज्जर की हत्या ने भारत-कनाडा संबंधों में नई परेशानी पैदा कर दी। निज्जर, जो खालिस्तान आंदोलन से जुड़े हुए थे, कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली लगने से मारे गए। इस हत्या ने दोनों देशों के बीच तनाव को जन्म दिया।

घटना का कारण और प्रभाव

कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 सितंबर 2023 को एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें दावा किया गया था कि कनाडा की खुफिया एजेंसियां भारतीय सरकार के साथ संभावित संबंध की जांच कर रही हैं। इस बयान के बाद कनाडा ने पवन कुमार राय, जो कनाडा में भारतीय खुफिया एजेंसी RAW के कार्यों के प्रमुख थे, को निष्कासित कर दिया। इसके जवाब में, भारत ने भी कनाडा के खुफिया कार्यालय के प्रमुख ओलिवियर सिलवेस्ट्रे को देश से निकाल दिया।

भारत सरकार ने इन आरोपों को 'निराधार' और 'प्रेरित' बताकर खारिज कर दिया। इस घटना के परिणामस्वरूप 1 सितंबर 2023 को कनाडा-भारत व्यापार समझौते पर वार्ता स्थगित हो गई। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा पर आक्रमण, उग्रवाद और आतंकवादी गतिविधियों के प्रति सहनशीलता दिखाने का आरोप लगाया।

छानबीन और गिरफ्तारी

मई 2024 में, रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) ने तीन भारतीय नागरिकों को निज्जर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया। हालांकि, भारतीय सरकार ने हमेशा अपनी भूमिका से इनकार किया है। कैनेडियन जांच अब भी जारी है और भारतीय सरकार के साथ संभावित संबंधों की जांच की जा रही है।

तनाव में उछाल और बातचीत का महत्त्व

अक्टूबर 2023 में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव ने 41 कैनेडियन राजनायिकों को भारतीय दूतावास से निकालने का रूप ले लिया। यह तनाव तब और बढ़ गया जब अक्टूबर 2024 में भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह घोषणा की कि उन्हें कनाडा की वर्तमान सरकार पर भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनायिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की क्षमता पर विश्वास नहीं है। इसके परिणाम स्वरूप, भारत ने अपने उच्चायुक्त और अन्य लक्षित राजनायिकों को वापिस बुला लिया।

हालांकि, जून 2024 में इटली में जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जस्टिन ट्रूडो की छोटी सी बैठक ने इस तनाव में मिलनसारिता की एक संभावना को जन्म दिया। फिर भी, दोनों देशों के बीच वार्ता और बातचीत किसी भी अंतरराष्ट्रीय विवाद का अहम हिस्सा होती है। इसलिए, दोनों देशों के नेताओं के बीच यह बैठक संभावित शांति के संकेत के रूप में देखी जा सकती है।

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में इस भीषण परिस्थिति को सुलझाने के लिए हमारे नेताओं की प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण है। हमें आशा है कि वाद-विवाद और सहयोग के माध्यम से यह विवाद सुलझ जाएगा, जिससे दोनों देशों के संबंध फिर से पटरी पर आ सकेंगे और आर्थिक और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।