विनायक चतुर्थी का महत्व और पूजा विधि
विनायक चतुर्थी, आखिरी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक विशेष पर्व है। यह पर्व हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है जो गणेश जी की कृपा और उनके आशीर्वाद की कामना करता है। मान्यता है कि इस पावन दिवस पर भगवान गणेश की सच्चे मन से की गई पूजा सभी संकटों और विघ्नों को दूर करती है और मनोकामनाओं को पूरा करती है। जनवरी 2025 में यह पावन अवसर 3 जनवरी को है। इस दिन पूजा करने के लिए भक्तजन स्नानकर भगवान गणेश की मूर्ति के सामने उपासना करते हैं। पूजा के लिए घर और पूजा कक्ष की सफाई और पवित्रता अत्यंत आवश्यक है। भगवान की प्रतिमा को फूलों और माला से सजायें और गाय के शुद्ध घी का दीपक जलायें।
पूजा की विधि और अनुष्ठान
पूजा आरम्भ करने से पूर्व, भोर के समय उठकर स्नान कर लेना चाहिए। उसके बाद घर और पूजा कक्ष की विधिपूर्वक सफाई कर इसकी पवित्रता को सुनिश्चित करें। पूजा के लिए एक अलंकरण तैयार करें जिसमें भगवान गणेश की प्रतिमा विराजित करें। दीपक जलायें और भगवान गणेश का स्मरण कर उनकी स्तुति करें। भक्तजन इस दिन गणेश मंत्रों का जाप करें और 'गणेश स्तोत्रम्' का पाठ करें। इसके अतिरिक्त, 'विनायक कथा' का श्रवण करें और अंत में आरती का गायन करें।
व्रत और पारंपरिक भोजन
इस पवित्र तिथि पर व्रत रखना अत्यधिक पुण्यदायक माना जाता है। भक्त सुबह से सूर्यास्त तक उपवास करते हैं। इस समय के दौरान केवल सात्विक भोजन का ही परहेज होता है। तामसिक भोजन और अशुद्ध कर्मों से दूर रहना चाहिए। मंगलवार को, उपासना के उपरांत चाँद को अर्घ्य दिया जाता है जिसके बाद व्रत का समापन होता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन संयम और धैर्य से भगवान के नामों का जाप करने से भगवान आपकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी करते हैं।
उल्लिखित पूजा काल और तिथियां
जनवरी 2025 में चतुर्थी की तिथि 3 जनवरी को 12:49 AM से शुरू होकर 4 जनवरी को 02:22 AM तक रहेगी। इस अवधि के दौरान, पूजा का शुभ मुहूर्त है 11:25 AM से लेकर 01:47 PM तक। ध्यान दें कि इन मुहूर्त के दौरान भगवान गणेश की पूजा अत्यंत लाभकारी होती है और इसका पालन करने से जीवन में सुख, समृद्धि और आनंद की प्राप्ति होती है। इस दिन आप अपने ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए संबंधियों के साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में सम्मिलित होकर इसे एक आनंदमय अवसर बना सकते हैं।