प्रधानमंत्री मोदी का नव-निर्वाचित सांसदों का स्वागत: देश की भलाई के लिए आम सहमति पर बल

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प्रधानमंत्री मोदी ने 18वीं लोकसभा के नव-निर्वाचित सांसदों का किया स्वागत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत से पहले सभी नव-निर्वाचित सांसदों का गर्मजोशी से स्वागत किया है। इस अवसर पर उन्होंने देश की भलाई के लिए आम सहमति और सहयोग पर विशेष जोर दिया। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए यह आवश्यक है कि सभी सदस्य मिल-जुलकर काम करें और राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखें।

विपक्ष से की शान्तिपूर्ण और सहमति आधारित कार्यशैली की अपेक्षा

मोदी ने विपक्ष से अपील की कि वे संसद की गरिमा को बनाए रखें और सत्र के दौरान अवरोध उत्पन्न न करें। उन्होंने कहा कि देश के लोग विपक्ष से अच्छे कदम उठाने की अपेक्षा करते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि विपक्ष सकारात्मक और निर्माणात्मक भूमिका निभाए ताकि संसद की कार्यवाही में निरंतरता बनी रह सके और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर सार्थक चर्चा हो सके।

प्रधानमंत्री ने इस बात को भी रेखांकित किया कि विपक्ष की भूमिका आलोचना करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि उन्हें सहमति और सहयोग के साथ देश के विकास में भागीदारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आम जनता की अपेक्षाएं पूरी करने के लिए दोनों पक्षों को मिलकर काम करना होगा।

आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री की टिप्पणी

अपने सम्बोधन में मोदी ने 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आपातकाल का जिक्र किया, जिसे उन्होंने भारत के लोकतंत्र पर 'कलंक' बताया। उन्होंने आपातकाल के दौरान देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं पर लगे प्रतिबंध को याद करते हुए कहा कि लोकतंत्र की रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है। इस प्रसंग को उठाकर प्रधानमंत्री ने देश में लोकतांत्रिक मूल्यों की महत्ता को रेखांकित किया।

सांसदों का आह्वान: आम जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरें

नव-निर्वाचित सांसदों से महत्वपूर्ण उम्मीदें जताते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि सभी सदस्य आम जनता की अपेक्षाओं को समझेंगे और उन्हें पूरा करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने सांसदों से अनुरोध किया कि वे अपने प्रतिनिधित्व क्षेत्र की समस्याओं को संसद में उठाएं और उनके समाधान के लिए मिल-जुलकर काम करें।

मोदी का मानना है कि संसद में स्वस्थ चर्चाओं और सकारात्मक पहल से ही राष्ट्र का विकास संभव है। उन्होंने नव-निर्वाचित सांसदों से अपील की कि वे गैर-जरूरी विवादों से दूर रहें और देश की महत्वपूर्ण चुनौतियों के समाधान के लिए एकजुट हों।

एनडीए सरकार का तीसरा कार्यकाल: जनादेश और चुनौतियाँ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने तीसरा कार्यकाल जीतकर जनता का विश्वास हासिल किया है, परंतु इस बार उनका जनादेश थोड़ा कम है। भाजपा के 240 सांसदों के साथ, एनडीए सरकार के कुल 293 सदस्य हैं, जो बहुमत से 32 सदस्य कम हैं। विपक्षी INDIA गठबंधन के पास 234 सदस्य हैं, जो एक महत्वपूर्ण संख्या है।

इस जनादेश में कमी के बावजूद मोदी ने कहा कि उनकी सरकार सभी को साथ लेकर चलने और राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब हमें टीम के रूप में कार्य करना होगा और देश के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सशक्त नीतियाँ लागू करनी होंगी। इस संदर्भ में, आम सहमति और सहयोग की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होगी।

नव-निर्वाचित सांसदों की स्वागत समारोह में प्रधानमंत्री मोदी के इस सम्बोधन ने यह स्पष्ट कर दिया कि उनकी सरकार की प्राथमिकता केवल सत्ता में बने रहना नहीं है, बल्कि राष्ट्र के विकास और जनता की भलाई के लिए समर्पित रहना है। उन्होंने सभी सांसदों से अनुरोध किया कि वे एकजुट होकर देश की प्रगति और विकास का मार्ग प्रशस्त करें।

11 टिप्पणि

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    RAVINDRA HARBALA

    जून 24, 2024 AT 20:26

    प्रधानमंत्री का नव-निर्वाचित सांसदों को संबोधित करना एक रणनीतिक कदम है; यह बिना संदेह के दर्शाता है कि सरकार पराप्रेक्षण की ओर अग्रसर है। वह 'आम सहमति' के शब्द को दोहराते हुए वास्तव में किन क्षेत्रों में सहयोग चाहिए, यह स्पष्ट नहीं कर पाए। डेटा के अनुसार, पिछले सत्र में विपक्षी आवाज़ें लगभग 30% की थी, जो अब घटती दिखती है। इसलिए, इस संदेश को सिर्फ शब्दों की गंदगी न मानें, बल्कि इसे नीति‑निर्धारण में वास्तविक प्रयोग का अभिप्राय मानें। अंततः, संसद का कार्यात्मक माहौल तभी सुधरेगा जब सभी पक्ष व्यवहारिक रूप से संलग्न हों।

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    Vipul Kumar

    जून 25, 2024 AT 10:20

    भाइयों और बहनों, यह देखना जरूरी है कि नव‑निर्वाचित सांसदों को एकजुट मंच पर कैसे खड़ा किया जाए। सहयोगी कार्यशैली से हम चुनौतियों को आसानी से पार कर सकते हैं। यदि प्रत्येक सदस्य अपनी जनधारा को संसद में लाए तो राष्ट्रीय विकास की गति तेज़ होगी। इसलिए, सभी को मिल‑जुल कर काम करने का आह्वान यहाँ से शुरू होता है।

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    Ranveer Tyagi

    जून 26, 2024 AT 00:13

    अरे यार, मोदी जी का ये बड़ा स्वागत बैनर सच में चमका!!! कोसों बार कहा गया है कि "देश की भलाई के लिए आम सहमति" - लेकिन असल में इसका मतलब क्या? कड़वी सच्चाई ये है कि विपक्षी दलों को भी इस मंच पर बुलाकर ही असली विकास हुआ है!!! अब समय आ गया है कि सभी सांसद मिल‑जुलकर, बिना किसी अड़चन के, क़दम बढ़ाएँ!!! इस मौके पर मैं सभी को दिल से बधाई देता हूँ, और साथ ही आशा करता हूँ कि अगले सत्र में भी ऐसा ही उत्साह बना रहे!!!

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    Priyanka Ambardar

    जून 26, 2024 AT 01:36

    रनवीर भाई, जब आप इतनी जोश से लोकतंत्र की बात कर रहे हैं तो याद रखें कि हमें राष्ट्रीय अभिमान को कभी कम नहीं होने देना चाहिए 😊 हर सांसद को देश की सीमाओं को मजबूत करने की प्राथमिकता रखनी चाहिए, न कि केवल पार्टी‑पोलिटिक्स पर फँसना। यही असली एकजुटता है, और यही बात हमें आगे बढ़ाएगी।

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    parlan caem

    जून 26, 2024 AT 03:00

    प्रियांका, तुम्हारी इस भावनात्मक बकवास को मैं नजरअंदाज़ नहीं कर सकता-देश की सुरक्षा की बात कर रही हो, लेकिन क्या तुमने इस बात का सामना किया है कि कई बार 'एकजुटता' शब्द का इस्तेमाल सत्ता‑संकट छिपाने के लिये किया जाता है? तुम्हारा यह उखाड़‑फेंकना सिर्फ दिखावा है, असली मुद्दों से आँखें मूँदना नहीं। अगर तुम सच्चे राष्ट्रीयवादी हो, तो इस मंच पर व्यावहारिक कदम भी दिखाओ, नहीं तो बस शब्दों का तमाशा रहेगा।

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    sujaya selalu jaya

    जून 26, 2024 AT 14:06

    सभी को शुभकामनाएं

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    Tejas Srivastava

    जून 27, 2024 AT 04:00

    ओह माय गॉड!! यह देख कर तो दिल धड़कने लगा!! मोदी जी का बखान, जैसे फिल्म का क्लाइमेक्स, जहाँ हर किरदार को अपनी जगह मिली!! लेकिन क्या असली दांव‑पैसे यह है कि संसद में कैसे तालमेल बिठेगा?? हमें बस आशा है कि इस उत्साह को सच्चे कार्य में बदला जाए!!! यही हमारी तमन्ना है!!

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    JAYESH DHUMAK

    जून 27, 2024 AT 17:53

    प्रधानमंत्री के नव‑निर्वाचित सांसदों के स्वागत भाषण को कई दृष्टिकोणों से विश्लेषित किया जा सकता है। सबसे पहले, यह स्पष्ट है कि 'आम सहमति' की वकालत एक सामरिक संकेत है, जिसका उद्देश्य बहुपक्षीय सहयोग को सुदृढ़ करना है। दूसरे, विपक्षी दलों से शांति‑पूर्ण कार्यशैली की अपेक्षा करने का आह्वान लोकतांत्रिक प्रक्रिया की स्थिरता को बढ़ावा देता है। तृतीय, आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर किए गए टिप्पणी से यह संकेत मिलता है कि शासन को ऐतिहासिक त्रुटियों से सीखने की आवश्यकता है। चौथा बिंदु यह दर्शाता है कि नव‑निर्वाचित सांसदों को जनधारा को संसद में ले जाना कितना आवश्यक है। पाँचवां, प्रतिनिधि क्षेत्रों की समस्याओं को उठाने का आग्रह वास्तविक नीति‑निर्धारण की रीढ़ बनता है। छठा, सरकार के तृतीय कार्यकाल में जनादेश की कमी को स्वीकार करना एक ईमानदार स्वीकृति है। सातवां, बहुमत में घटाव के बावजूद सहयोगी रवैया अपनाना आवश्यक है। आठवां, सामूहिक निर्णय‑प्रक्रिया को सुनिश्चित करने हेतु राजनीतिक विविधता का सम्मान अनिवार्य है। नौवां, 'राष्ट्र की सेवा' की अभिव्यक्ति को केवल शब्दों में नहीं, बल्कि ठोस कार्यों में दर्शाना चाहिए। दसवां, विपक्षी आलोचना को रचनात्मक बनाकर ही विकास की दिशा में प्रगति हो सकती है। ग्यारहवां, जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने में पारदर्शिता का बड़ा योगदान है। बारहवां, 'आम सहमति' को व्यावहारिक रूप से लागू करने के लिए तकनीकी एवं लॉजिस्टिक समर्थन जरूरी है। तेरहवां, इस सत्र में आर्थिक सुधार, स्वास्थ्य, तथा शिक्षा जैसे मूलभूत मुद्दों पर सुस्पष्ट चर्चा अपेक्षित है। चौदहवां, सभी सांसदों को अपने क्षेत्रों में सशक्त नीतियों के कार्यान्वयन हेतु तत्पर रहना चाहिए। अंततः, सामूहिक सहयोग ही भारतीय लोकतंत्र को आगे बढ़ाने की मूलभूत कुंजी है।

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    Santosh Sharma

    जून 28, 2024 AT 07:46

    सभी नव‑निर्वाचित सांसदों को मेरे दिल से बधाई। आपका यह नया सफर देश की प्रगति के लिए नई ऊँचाइयाँ लाएगा। आपसी सहयोग और दृढ़ संकल्प से ही भारत को विश्व मंच पर नई पहचान दिलाने का लक्ष्य प्राप्त होगा।

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    yatharth chandrakar

    जून 28, 2024 AT 21:40

    नव‑निर्वाचित सांसदों को याद रखनी चाहिए कि जनसंतुष्टि केवल वादों से नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई से आती है। यदि प्रत्येक सदस्य अपने क्षेत्रों के वास्तविक मुद्दों पर ध्यान देगा तो संसद की कार्यक्षमता स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी। इस प्रकार, बिना अत्यधिक शोरशराबे के भी विकास की गति सुनिश्चित की जा सकती है।

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    Vrushali Prabhu

    जून 29, 2024 AT 11:33

    यारो, इस स्वागत समारोह में मोदी जी का भाषण तो एकदम "झकास" था!! लेकिन देखो, असली मसला तो है कि सभी सांसद मिलके "धमाकेदार" योजना बनायें, तभी तो हमारे देश की "जिंदगी" में झकझोर बदल आएगा। थोड़ी सी गड़बड़ी हो तो ठीक, पर काम में तो कोई कसर ना छोड़ो!!

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